कविताएं ही आने वाले वक्त में इंकलाब लाएंगी.
कविताएं ही एक दिन कामयाब होंगी
नफरती आवाजों को दफ्न
करने में.
आखिर कब तक हम
संवेदनाओं से भरे हृदय को,
नफरतों से भरते रहेंगे.
आखिर में कविताएं
हिंदीवाले
कैसा क्रूर भाग्य का चक्कर
कैसा विकट समय का फेर
कहलाते हम- बीकानेरी
कभी न देखा- बीकानेर
जन्मे ‘बीकानेर’ गाँव में
है जो रेवाड़ी के पास
पर हरियाणा के यारों ने #कविता
हिंदीवाले
तुम्हे ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली
~जाफर अली हसरत #शायरी
हिंदीवाले
नीद के हिस्से की रातें
हम जागने में खर्च कर
रहे है
~हिंदीवालें #शायरी