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harshusaini3948
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Harshu saini

Preparing for UPSC Lyricist Writer poet Most of time for a writting just 5 minute

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Harshu saini

-   नया शहर - 

समझ नहीं आता कैसे लिखू मैं दिल की कहानी अपनी इस नए शहर आके।
वक्त नहीं यहाँ पास किसी के जो खुद में झाँके पर वक्त है कि गैरों को ताके।।

चकाचौंध भरी दिखावे की जिंदगी तेरे शहर की, करे हर वक्त विचलित मुझे।
यहाँ नहीं जानता कोई कौन है पड़ौसी मेरा, मैं कैसे ढूँढू तेरे शहर आके तुझे।।

ना दिखे नीव की छावनी, ना दिखे महफिलें दोस्तों की बस दिखे यहाँ काम।
मेरे गाँव की गुज़रती है मंदिरों में साँझ, यहाँ मयखाने में गुजरे सबकी शाम।।

दिखते है  दिखावटी मुस्कुराते चेहरे भी इस शहर के मुझे जैसे हो परेशान। 
हर्ष हसे हसीं अपनी सुकू से,शहर सोचे मैं जिंदगी से जीता इकलौता इंसान।।

©Harshu saini नया शहर 

#cityview  Akansha Agarwal

नया शहर #cityview Akansha Agarwal #कविता

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Harshu saini

ALBUM-- कुछ बातें
Harsh Saini (हर्ष सैनी) 

WRITTEN BY--@harshu2k00
COMPOSED BY - @harshu2k00
ALL CREDIT - @harshu2k00

1. काश, जिंदगी, किताब
2. मेरी खामियाँ
3. इम्तिहान
4. इश्क़ तेरा मेरा
5. बदलता वक्त

©Harshu saini

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Harshu saini

""एक ख्वाब *ek khwaab*एक ख्वाब"" 

मुझे मेरा एक ख्वाब जो अधूरा सा लगता है,
मुझे हर सुबह जिंदगी में अंधेरा सा लगता है।

अब है जो ख्वाब मेरा,मुझे परेशान किए जा रहा है,
ना कर सका उसे पूरा,वो सरेआम किए जा रहा है।

लोगों को हर्ष का वो ख्वाब, केवल एक ख्वाब सा लगता है,
फकत उस ख्वाब बिन मुझे मेरा हर सुख बिमार सा लगता है।

मेरा एक ख्वाब है जो हमेशा मेरी खामी सी बनता गया,
मैं शांत मन हर्ष समन्दर मे उठी सुनामी सा बनता गया।

मैं ढूंढता फिरता हूँ ख्वाब को पूरा करने के रास्ते,
ख्वाब वो है मेरा जो देखा मैंने तुझे पाने के वास्ते।

कभी - कभी  मेरी रातें भी, बड़ी लंबी गुज़रती  है,
जब कभीं मुद्दतों के बाद वो ख्वाबों में आके ठहरती हैं।

©Harshu saini #ekkhbaab #khbaab #poerty #Poet #writer #

#TakeMeToTheMoon  Akansha Agarwal
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Harshu saini

""एक ख्वाब*Ek khbaab*एक ख्वाब"" 

मुझे मेरा एक ख्वाब जो अधूरा सा लगता है,
मुझे हर सुबह जिंदगी में अंधेरा सा लगता है।

अब है जो ख्वाब मेरा,मुझे परेशान किए जा रहा है,
ना कर सका उसे पूरा,वो सरेआम किए जा रहा है।

लोगों को हर्ष का वो ख्वाब, केवल एक ख्वाब सा लगता है,
फकत उस ख्वाब बिन मुझे मेरा हर सुख बिमार सा लगता है।

मेरा एक ख्वाब है जो हमेशा मेरी खामी सा बनता गया,
मैं शांत मन हर्ष समन्दर मे उठी सुनामी सा बनता गया।

मैं ढूंढता फिरता हूँ ख्वाब को पूरा करने के रास्ते,
ख्वाब वो है मेरा जो देखा मैंने तुझे पाने के वास्ते।

कभी - कभी  मेरी रातें भी, बड़ी लंबी गुज़रती  है,
जब कभीं मुद्दतों के बाद वो ख्वाबों में आके ठहरती हैं।

©Harshu saini #khabaab #ख्वाब #Poetry #writer #poem #Poet 

#Star  Akansha Agarwal
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Harshu saini

"" jindgi *जिंदगी* jindgi ""

मंज़िल का पता है, बस रास्ता ढूँढ रहा हूँ।
अंत मे मौत तक है जाना,फिर भी जिन्दगी से लड़ रहा हूँ।
हर सपने को सच करने में लगा हूँ,मैं हर सपने को अपना जो मान रहा हूँ।
तरीक़े है अनेक जिंदगी जीने के,मैं सही तरीका तलाश कर रहा हूँ।
जिंदगी छोटी है मेरी,फकत मैं बड़ा नाम कमाने में लगा गया हूँ।
दुखों से भरे है रास्ते मेरे,
पर मैं अपने अजीज दोस्तों के साथ खुशी से चल रहा हूँ।
आज मैं जिंदगी को धीरे धीरे समझ रहा हूँ,
कुछ बड़ों से सीख रहा हूँ, तो कुछ छोटे बच्चों को सिखा रहा हूँ।
किस्मत का दामन छोड़ कर,जिंदगी में नए खुशियो के किस्से पिरो रहा हूँ,
कल तक मंजिल से अनजान था मैं,आज हर जिंदगी की राह में हर राही का हमसफर हो रहा हूँ।

आज भी लूका छिपी खेल रही है जिंदगी मुझसे,अब मैं जिंदगी को ढूँढने में परिपक्व हो गया हूँ,
सुख दुःख का साथ ही हर व्यक्ति के जीवन में,मैं इसके हर किस्से को अपनाने लग गया हूँ।

ए जिन्दगी कुछ दिन बाद तू अकेली रह जाएगी,मैं मौत का दामन थाम लूँगा, तू देखती रह जाएगी।
ए जिंदगी जिस किसी दिन तुझे मेरी याद आएगी,जिंदगी तू मेरे जीने के तरीके को याद कर बड़ा मुस्करायेगी।

©Harshu saini #jindgi #Life #poerty #Poet #writer 

#moonlight  Akansha Agarwal
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Harshu saini

"काश" 

काश ये सिर्फ शब्द नहीं, है मेरे मन की दोहरी प्रकृति का खुला दरबार,
कह दूँ उसे खुदा के अभिशाप या हर्ष का अपनी ही खुशियों पर वार।

मिल जाता है मुझे सब कुछ, पर मिले ना मन की शांति,
की काश कुछ और मिल जाता बस रह जाती है ये भ्रांति। 
सब कुछ छोड़ दिया जिसकी हुई मुझे प्राप्ति,
जो मिल ना पाए कभी उसके लिए हर्ष के चंचल मन में क्रांति। 

ना मिला वो, क्यू मिला ये,
क्यू पाया जिसे चाहा ही नहीं, जिसे चाहा वो घर आया ही नहीं,
काश आ जाता वो, काश ना आता ये,
काश हो जाता वो , काश ना होता ये,
काश वो शब्द है जो ना मिली छोटी छोटी चीजों के लिए,
मिली मुझे बहुत सी खुशियो को मन ही मन खा जाता ये।

दिल लगा लिया था साँझ संग हमने,
पर आँखे पूर्णिमा के चाँद की चाँदनी के दीदार में झुकती जा रही थी,
काश हो जाती साँझ और रात की चाँदनी इक साथ मेरी,
इसी आश में प्रीत संग प्रीति की आकांक्षा मेरी अधूरी सी होती जा रही थी।

ये मेरे मन की दोहरी प्रकृति मेरा दुश्मन और काश की पर्याय होती जा रही थी, 
मेरा मन इच्छाओं का सागर हो रहा था,
और जिंदगी काश शब्द से भ्रमित होकर मौत का अतृप्त साहिल होती जा रही थी।

©Harshu saini #river #Kash #jindgi #nojohindi #poerty #kabita
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Harshu saini

सड़क:अंजान सफ़र में मेरा हमदर्द


जानने चला था इस ज़माने को, कुछ कदम बढ़ाए ही थे घर के बाहर जाने को,
किसी ने नहीं थामा हाथ मेरा,
पर जो थी पैरों के नीचे वो इस अंजान सफ़र में मेरा हमदर्द बन गई।

चलने लगे साथ साथ दिल की बातें करते करते,
वो पूछने लगी कहा तक जाओगे इस विशाल दुनियाँ में,
मैं हल्के से मुस्कराते बोला-"मौत तक भी अगर तुम साथ हो मेरे।"
यूँ ही सवालों का सिलसिला चलता गया,
और सफर एक मूक हमसफर से बात करते करते गुज़रता गया।
थक कर मैं बैठ गया उसके किनारे, 
पूछा तुम थकती नहीं चलके हर राही के साथ,
वो बोली मैं तो यहि रहती हूँ रुकी, बस चलाए रखती हमसफर का एहसास कराए हर कदम को अपने साथ।
मैं भी आश्चर्य चकित हुआ सुनके फ़ेर उसके अल्फाजों का,
"कि बात तो सही है स्थिर है यह सड़क तो अपनी जगह,
एहसास होता है केवल की चल रही है वो कदम से कदम मिलाए मेरे साथ।"

जानकर बारे उसके, उससे मोहब्बत बढ़ने लगी थी,
पैरों के नीचे की वो सड़क, दिल में उतरने लगी थी,
मंजिल का पता नहीं पर, राह आसान हो रही थी,
मायूसी के साथ शुरू हुए इस सफर में, अब अंजान मूक हमसफ़र से मुस्कराहट से बात हो रही थी।

मिली मंजिल छूट गया हमसफ़र और बनके रह गई फिर से वो सिर्फ एक सड़क, काश मिले उसे कोई नया मुझ सा मुसाफिर और फिर से मिल जाए इस सुनसान सड़क को हमसफ़र।

सीखा मैंने कुछ इस तरह जिंदगी को उससे -
जरूरी नहीं मिल जाए कोई जिवित हमसफ़र हर सफ़र मे, 
कभी बना लिया करो प्रकृति की मूक चीजों को अपना हमदर्द,
ग़ज़ल बना लिख देना इन लम्हों को,
जो पढ़े कोई तुम्हें तो वो भी ना रहे अकेला जी ले, वो भी समझ मुझे हमसफ़र ,इस सफ़र में।

©Harshu saini सड़क :अंजान सफ़र में मेरा हमदर्द

#sadak #harshu_saini #longwritting #Poetry #poetry_voiceofsoul

सड़क :अंजान सफ़र में मेरा हमदर्द #sadak #harshu_saini #longwritting #Poetry #poetry_voiceofsoul

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Harshu saini

"" बंद दरवाजा ""


बैठा था लिखने कुछ बेज़ुबा से सपने को,
बाहर से आई आवाज कोई खोने चला है अपनों को,
देखा पास जाके तो कई सपने ख़ाक हो रहे थे।
"अब थक गया हूँ मैं,नहीं जीना मुझे", बंद दरवाज़े के पीछे पंखे पर लटके उस शख्स के ये अंतिम अल्फाज हो रहे थे।
बाहर दरवाज़ा खटखटाते माँ बाप हो रहे थे,पर अभी भी दरवाज़ा बंद था उस कमरे का,शायद दरवाजे के पीछे इंसान के कुछ सपने विलीन हो गए थे।

इकठ्ठी थी भीड़ बहुत बंद दरवाज़े के बाहर और वो अकेला बंद दरवाज़े के पीछे था।
दिया वास्ता उसे लोगों ने अपनों का, पर अब उसे शायद मौत, अपनों से ज्यादा प्यारी हो रही थी।

पूछा मैंने क्या वज़ह है इसकी जो ये पाप करने चले हो,अपने ही हाथो से अपने आप को मारने चले हो।
वो बोला -"कैसे सुनाऊँ तुम्हें अपनी नाकामी अपने मुहँ से, लिख दिया है मैंने भी अपनी ख़ामोशियों को हर्ष,अल्फाजों से गहरा नाता है तुम्हारा, तुम भी तो अपने दर्द लिखने लगे हो।
मैंने कहा"खुद से खफ़ा हो क्या।"
वो बोला आत्मा भी दुःखी है मेरी और परमात्मा मेरा नाराज,
आज आसमा भी बन जाएगा साक्षी जब पूरा होगा आत्मा का परमात्मा से मिलने का इंतज़ार।"

अब समझ नहीं पा रहा था कोई कैसे बचाए उसकी जान, कोशिश भी की बंद दरवाजा तोड़ने की, पर बनके खड़ा था वो दरवाजा भी हैवान।

अब चीख़ भी नहीं आ रही उसकी,सबका मन व्यथित सा होने लग गया,
खुला वो दरवाजा तब तक उस इंसान पर अपनी ही मौत का कलंक गया।

पड़ी थी उसकी आखिरी लेख मैंने,जिसपे पड़े थे बिखरे कई अल्फाज,
लिखा था उसमे,
         "हर्ष जिम्मेदारियाँ बड़ी है जीवन में, 
         कोशिश करना पूरी जिम्मेदारियाँ निभाने की,
         अगर सफल नहीं हो पाए तो कोई बात नहीं,
         जिंदगी है ढलना भी सीखा देगी।
         पर अगर मान गए बीच रास्ते में हार,
         तो अपनी ही नजरो में गिर जाओगे,
         और आपकी लाश भी इसी बंद दरवाज़े के पीछे लटकी पाएगी।"

©Harshu saini #sucide #writting 
#harshu_saini #banddarwaj
#Door
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Harshu saini

जब कभीं तुम्हारे बारे में लिखता हूँ ,
 इश्क़ बेशुमार लिखता हूँ, 
आँखों में आंसू आ जाते हैं, 
शायद में शायरी में अधूरी ख्वाहिश लिखता हूँ। #height #harshu_writes


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