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sanjivchauhan1928
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Sanjiv Chauhan

jo kah nhi pate likh dete hain......

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Sanjiv Chauhan

#Waqt 

एक वक्त था हर चीज के लिए वक्त निकाल लेते थे,
एक वक्त है खुद के लिए वक्त कम पड़ गया है।

वो वक्त जो कटता नहीं था आने वाले वक्त की बेवक्त बातों के बिना। ये वक्त है जो कटता नहीं है उस वक्त की बेवक्त यादों के बिना।

उस वक्त ये गिला था वक्त मिलता नहीं साथ वक्त बिताने का।
इस वक्त ये गिला है तूने वक्त नहीं दिया कभी मुझको समझ पाने का।

उस वक्त तू कुछ भी बोल देती थी यकीन हो जाता था यूं ही।
इस वक्त तुझे वक्त याद नहीं आता मजबूरियों के आगे।

आज ये वक्त है तेरा।
आज ये वक्त है मेरा।

लेकिन उस वक्त वो वक्त हमारा होता था।

©Sanjiv Chauhan #waqt
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Sanjiv Chauhan

#Sarkari 

भारी मन, थोड़ी उदासी, जिम्मेदारी और अनिश्चितताओं के बीच हर बार घर से वापस आ जाना पड़ता है शहर यूंही ही।
यहां आकर कुछ और ही हो जाता हूं,  खुद को छोड़ आता हूं वहीं कहीं, जब से सरकारी हुए हैं खुद के रहे नहीं।

©Sanjiv Chauhan #random_thoughts
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Sanjiv Chauhan

"सफर"

"बीच सफर में घर से वापस लौटते वक्त कुछ भूल जाता हूं जो साथ में ले गया था शायद, बिखरने लगती हैं कुछ उलझनें,कुछ बेचैनियां, कुछ मायूसियां यूं ही, जब देखता हूं लहलहाते खेतों को, बहती हुई नदियों को, भीड़ में उदास चेहरों को, हर चेहरा यूं ही अजनबी सा दिखता है,
 यूं तो घर से लौटते वक्त अपनों से मिल पाने का कुछ सुकून भी होता है साथ, 
सफर की हलचल, सफर की थकान ,सफर की शामें, अपनों की यादें सब कुछ थोड़ा थोड़ा साथ ले आता हूं मगर कुछ है जो वापस लौटते वक्त भूल जाता हूं।
 शायद यूं ही खुद को भूल आता हूं कहीं पहुंचने की जद्दोजहद में।

©Sanjiv Chauhan सफर 

#Journey #घर
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Sanjiv Chauhan

आसान नहीं होता।
घर से दूर निकलते वक्त, मीलों दूर चलते वक्त।
खुद को सम्हालते हुए, आंसुओं को टालते हुए।
यादों को समेटकर, जख्मों को कुरेदकर।
छोड़कर वो अपना कमरा, कितनी यादों से था जो भरा।
थोड़ा सुकून भरी वो शाम, यार दोस्तों के वो नाम। 
मां के हाथ का वो खाना, पिता का वो हर बार समझाना।

यूं ही घर छोड़ना कभी आसान नहीं होता।

©Sanjiv Chauhan #Journey
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Sanjiv Chauhan

"रात" 
वो लंबी  सुबह , वो सुस्ती भरी दोपहर, वो ढलती शाम घर पे सब कुछ तो  होता था,

जब से कमाने के लिए शहर आए हैं, बस रात होती है

©Sanjiv Chauhan #Raat
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Sanjiv Chauhan

#home

"सुकून तलाशने घर जाता हूं,
मायूसियां लेकर लौट आता हूं।"

©Sanjiv Chauhan #walkingalone
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Sanjiv Chauhan

"पीछे "

"जैसे ही जरा सा कुछ कर गुजरने में हम आगे बढ़ते हैं,
बहुत कुछ पीछे छूट जाता है,
मगर इंसानों के असली चेहरे भी सामने आ ही जाते हैं वही चेहरे जो ढोंग करते हैं आपके अपने होने का मगर सच ये ही है सब मतलब के रिश्ते हैं।
हर मुसीबत में आपका अपना आप खुद हैं खुद ही लड़ना पड़ता है,आगे बढ़ना पड़ता है, चलते रहना पड़ता है।
क्योंकि जिंदगी रुकती नहीं सब पीछे छूटने के बाद भी।"

©Sanjiv Chauhan #baarish
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Sanjiv Chauhan

Guest
"कभी निकल आए थे अपने घर से अजनबी शहर में अंजान बनकर,
अब खुद के घर भी लौटते हैं सिर्फ मेहमान बनकर।।"

©Sanjiv Chauhan
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Sanjiv Chauhan

"कभी बेटी बनकर घर को संवारती है,
कभी बनकर बहू घर को निखारती है,

उसके होने से महकता है हर आंगन,
मां बनकर वो अपने सपनो को भी मारती है।"


कभी मां, कभी बेटी, कभी बहू, कभी बहन यूं तो किरदार बहुत हैं
लेकिन हर किरदार में तू जंचती बहुत है।

©Sanjiv Chauhan #womensday
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Sanjiv Chauhan

"सोच लेना जरूर,

कोई बात कहने से पहले,
कोई वादा करने से पहले ,,
किसी से मजाक करने से पहले,
खुद को खुदा समझने से पहले,
मजबूरियां गिनाने से पहले,
दूर कहीं जाने से पहले,
किसी को गिराने से पहले,
कुछ बन जाने से पहले,
किसी को भुलाने से पहले,
................................

एक बार सोचना जरूर।

©Sanjiv Chauhan #thinkaboutit
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