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bajrangisingh3976
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Bajrangi Singh

काव्यज

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Bajrangi Singh

I lost my Dad

I lost my Dad #Life

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Bajrangi Singh

मन की आखों से देखों क्योंकि करतल की रेखा से नीचे 
जीवन कितना खाली है,
अनुभव के इस दिवा स्वप्न की
रात भयानक काली है।

जीवन के पगडंडी पथ पर
लुढ़क खिसक कर चलता हूँ,
संघर्षों के प्रबल आग में 
नख-शिख सारा जलता हूँ।

©Bajrangi Singh #AdhureVakya
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Bajrangi Singh

प्रेम आशक्ति है, आभास भी,
प्रेम ब्रम्ह का विश्वास भी।
प्रेम मूक है अभिव्यक्ति भी,
प्रेम शैव है और शक्ति भी।

प्रेम आश्रय है आलम्ब भी,
प्रेम प्रतीक्षा है विलम्ब भी।
प्रेम संयम है उपभोग भी,
प्रेम निश्चित है संयोग भी।

©Bajrangi Singh
  प्रेम 
#paper

प्रेम #paper

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Bajrangi Singh

इज़हार तेरी आँखों में देख कर जब देखा आस्माँ में
अनंत भी छिपने लगा तेरे तल्ख-ए-समाँ में।

©Bajrangi Singh #dilkibaat
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Bajrangi Singh

ना हकीकत है ना कल्पना है 
जो बच जाए वो सपना है

©Bajrangi Singh #Nature
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Bajrangi Singh

तेरी आँखों में देख कर जब देखा आस्माँ में
अनंत भी छिपने लगा तेरे तल्ख-ए-समाँ में।

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Bajrangi Singh

तेरी आँखों में देख कर जब देखा आस्माँ में
अनंत भी छिपने लगा तेरे तल्ख-ए-समाँ में।

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Bajrangi Singh

तेरी आँखों में देख कर जब देखा आस्माँ में
अनंत भी छिपने लगा तेरे तल्ख-ए-समाँ में।

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Bajrangi Singh

मैनें तनहाई से मोहब्बत क्या किया
लोग मुझे पागल कहने लगे 
मैनें तो खुद से प्यार करना चाहा है।
खुद से खुद की दोस्ती को निबाहा है।
फिर क्यों इतनी उलझन है इतनी पीड़ा है
हृदय के झंकृतियों में वेदना की वीणा है।
क्या कहना है खुद से मुझे, ये सवाल है
क्यों मन में इतना सारा ज़न्ज़ाल है।
आखिर क्या चाहिए मुझे, ऐ मन बता।
कोई समानुभूति है, तो वो भी जता।
अगर जान लेनी है मेरी, तो वो भी ठीक।
भेज दे यमराज को करके निडर निर्भीक।
कह दे मौत से ना डरे मेरे सत्कर्मों से।
कर ले मित्रता मेरे आज तक के दुष्कर्मों से।
तब मुझे ले जाए वो उस हंसपद के पार में।
इस विपद से दूर उस आलोक के संसार में
जिस जगह पर वायु हो ना, ना धरा की बात हो ।
ना किसी की एषणा, ना कोई आघात हो। #मौत
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Bajrangi Singh

# श्री रघुनाथजी

# श्री रघुनाथजी #कविता

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