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jatinjoshi2727
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jatin joshi

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jatin joshi

गिरने से डरता है क्यों तू?
उड़ने से क्यों है घबराता?
मर-मर के जीने से अच्छा,
चंद्रहास पर धार चढ़ाता।

ये भी-वो भी, सब बोलेंगे,
बस काम है इनका बोलना,
इन भारी-भारी शब्दों को ,
गज हिम्मत से तू तोलना।

सावन में आते जो भौरे,
पतझड़ में वो खो जाते है,
आने जाने का ये रंग भी,
शायद हमसे ही लाते हैं।

सब रिश्ते यहाँ मीठाई के,
डब्बों के अंदर बिकते हैं,
ईद, दीवाली, होली में ही,
चखने को ये मिलते हैं।

जैसे जीता तू आया है,
जीने वैसे अब छोड़ दे,
जो, जंजीरें बाँधे तुझको,
बन आग उन्हें तू तोड़ दे।
 #NojotoQuote बदलना होगा।
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बदलना होगा। hindikavitakoshblog.blogspot.com

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jatin joshi

जब भी कभी घर से निकलता हूँ ,
माँ माथे पर एक छोटा सा टीका जरूर लगाती है।

क्यों लगाती होगी ? आज तक नहीं जान पाया।

उसकी आँखें देखकर लगता है कि,
उसे बड़ा विश्वास है उस छोटे से टीके पे ,
तभी तो हमेशा मुस्कुराती है उसे देखकर।।

अब तो मुझे भी इस टीके की आदत होने लगी है।
उसके बिना लगता है अधूरा हूँ मैं।

मुँह धोता हूँ तो माथे पर उसकी अधूरी छाप रह जाती है,
और अगली सुबह वह छाप, फिर से मेरी माँ बन जाती है।।
 #NojotoQuote माँ का टीका।
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माँ का टीका। hindikavitakoshblog.blogspot.com

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jatin joshi

सुबह शाम लड़ता रहता हूँ।
छोटा तो हूँ, पर भारी पड़ता हूँ।
कभी झूठ-मूठ का रोती है,
 कभी डाँट-मार पढ़वाती है,
छिपा-छिपाकर अपनी चीजें,
 हर रोज़ चिढ़ाया करती है।
वैसे तो हूँ मैं उन्नीस का,
पर बच्चा वही बनती है।

न मम्मी पापा, दादा दादी,
हर बात मुझे बतलाती है।
कोई और साथ न हो मेरे,
विश्वास वही जो दिखती है।

क्या बयाँ करूँ इस रिश्ते को,
भगवान् भी इसमें हार है।
बहन शब्द के मोल के आगे,
फीका ये जग सारा है।
लड़ती है झगड़ती है वो,
पर प्यार बड़ा ही करती है।। #NojotoQuote लड़ती है झगड़ती है पर प्यार बड़ा वो करती है।
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लड़ती है झगड़ती है पर प्यार बड़ा वो करती है। hindikavitakoshblog.blogspot.com

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jatin joshi

एक दिन बैठा मैं छत पर अपनी,देख दूर एक पेड़ खड़ा था।
भूरे पत्तों को लहराता,अभिमानी वो वहाँ खड़ा था।

अपनी भाषा में बोल रहा कुछ,समझ सका न, बूझ सका मैं।
कहने को थी दो आँखें मेरी,देख सका न जान सका मैं।

अगले दिन उठकर गया वहाँ पर,निर्मम हालत, विश्वास नहीं।
सूखे थे पत्ते, सूखी डालें,बचने की अब कोई आस नहीं।

बोला मेरा अब अंत ही बचा,एक काम मेरा जो, मुझे बताना।
ये लकड़ी, पत्ते, शाखें मेरी,काट इन्हें तू आग लगाना।
होगी फिर जो कुछ राख़ इधर पर,
जो मरने वाले उन्हें लगाना।।
जो मरने वाले उन्हें लगाना।। #NojotoQuote राख़।
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राख़। hindikavitakoshblog.blogspot.com

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वो भौंक रही है भौंक रही है, हालत पर अपनी भौंक रही है।

मार रहा था लात कोई, कोई पत्थर उसपर फेंक रहा था।
नाले पर सेहमा पिल्ला उसका, माँ की राहें ताक रहा था।

एक भाई पड़ा था कूड़े पर, एक सड़क किनारे गिरा पड़ा।
एक यही अभागा बचा है अब, कोने पर कबसे पड़ा पड़ा।

ये देखके भी अंधे हम सब, न रहा यहाँ इंसान कोई।
धुत्कारों के तीर इन्हीं पर, क्यों मिला नहीं कमज़ोर कोई?

सड़क आज सुनसान बड़ी है, माँ बच्चों की लाश पड़ी है।
झूठ मूठ की आह! भर रहे, अब जाकर ये बात बड़ी है।

वो भौंक रही थी , भौंक रही थी, हालत पर अपनी भौंक रही थी।

 #NojotoQuote वो भौंक रही थी।
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वो भौंक रही थी। hindikavitakoshblog.blogspot.com

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निशान वो गहरे थे......

सोचा अतीत को पीछे छोड़, आगे बढ़ता जाऊँ मैं।
गुज़र चुके कल की ओर, कभी न वापस आऊँ मैं।
लेकिन कुछ कदम चलते ही, पैर लड़खड़ाने लगे मेरे....
क्योंकि निशान वो गहरे थे.......

सोचा आँसुओं की गगरी फोड़, मुस्कुराहट को गले लगाऊँ मैं।
पीठ से चाक़ू निकालकर, सारे रिश्ते फिर से निभाऊँ मैं।
लेकिन कमरे से निकलते ही हिम्मत टूट गयी मेरी,
क्योंकि निशान वो गहरे थे.......

सोचा वक़्त के साथ खुद को मज़बूत बनाऊँ मैं।
गलतियों से सीखकर खुद को जीना सिखाऊँ मैं।
लेकिन वक़्त के साथ कमज़ोर पढ़ गया शरीर मेरा,
क्योंकि निशान वो गहरे थे......

सोचा अब लड़कर ही इन निशानों को मिटाऊँ मैं।
बची हुई ताक़त के बल पर, आज ही इनको हराऊँ मैं।
लेकिन इस युद्ध मैं शक्ति हार गयी मेरी क्योंकि निशान वो गहरे थे.......

 #NojotoQuote निशान वो गहरे थे।
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jatin joshi

आज बाज़ार में भीड़ बहुत है।
कोई आने वाला है शायद......

दुकानों के शटर् आज बंद पड़े हैं।
दूध की गाड़ी दूर खड़ी है कहीं।
लोग किसी की बातें कर रहे हैं,
कोई आने वाला है शायद.......

आज घर पर अख़बार नहीं आया।
बाज़ार में क्या चल रहा है, नहीं पता।
गाड़ीओं के पहिए आज थमे हुए हैं।
कोई आने वाला है शायद.......

पूरी रात इसी सोच में निकल गयी।
सुबह खबर मिली, मौत हुई है किसी की।
कोई बहुत बड़ा आदमी था वो।
फिर मैं समझ गया....

कल बाज़ार में भीड़ बहुत थी।
मगर कोई आने वाला नहीं था... #NojotoQuote बाज़ार में भीड़ बहुत थी। (पूरी कविता)
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बाज़ार में भीड़ बहुत थी। (पूरी कविता) hindikavitakoshblog.blogspot.com

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jatin joshi

सपने मेरे सब टूट गए,
जब जाना कितना गहरा पानी।

 न तैरना मुझको आता था,
                      न पास थी कोई नाव मेरे।
लकड़ी को एक विश्वास बना,
                     फिर लहरें सारी साथ मेरे।

एक दूर किनारा दिखा मुझे,
                      पत्थर की थी चट्टान बड़ी।
चढ़ते-चढ़ते ऊपर जिसपर,
                      साँसे जो मेरी हुई खड़ी।

मंजिल थी मेरी पूरब में,
                      उस लाल दिशा को जाना था।
सपनों के डर से नींद नहीं,
                      फिर से वापस न जाना था।

अब चारों ओर उजाला था,
       टूटे सपने से जीत गया।
था मुझको अब विश्वास बड़ा,
जीवन जीना मैं सीख गया। #NojotoQuote टूटे सपने से लड़ाई(पूरी कविता)
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टूटे सपने से लड़ाई(पूरी कविता) hindikavitakoshblog.blogspot.com

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jatin joshi

समय गया मैं बड़ा हुआ।
पैरों पर "थोड़ा" खड़ा हुआ।

लोगोँ की सुनकर बहक गया,
जीवन मेरा तब महक गया।
लगता था सब हैं साथ मेरे,
खुशियाँ थी दोनों हाथ मेरे।

आयी एक मुश्किल पास तभी,
तब भी था याद, है याद अभी......

जिनकी सुनकर मैं बेहका था।
सुनकर जीवन जो महका था।
रहा न कोई साथ मेरे,
खाली थे दोनों हाथ मेरे।

लोगोँ को फिर मैं जान गया।
ऐसी ही दुनिया मान गया।

फिर समय गया मैं बड़ा हुआ।
पैरों पर "पूरा" खड़ा हुआ।। #NojotoQuote लोगों को जब मैं जान गया।
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लोगों को जब मैं जान गया। hindikavitakoshblog.blogspot.com

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jatin joshi

सोचा आज समय से थोड़ी बहस करूँ।

पूछा उससे उसके घमंड का कारण,
तो बोला 'अनमोल है साख मेरी'।

पूछा उससे उसके स्वार्थ का कारण,
तो बोला 'मुझे किसी की जरूरत नहीं'।

पूछा उससे उसकी शक्ति का कारण,
तो बोला 'कमजोरी मेरी' ।

अचानक घड़ी पर नज़र गयी,
समय कब निकला पता ही नहीं चला।
और मेरे सारे सवालों का उत्तर भी मिल गया.... #NojotoQuote समय से बहस।
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समय से बहस। hindikavitakoshblog.blogspot.com

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