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kirbadh6516
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Kirbadh

मिट्टी का तन, मस्ती का मन क्षण -भर जीवन मेरा परिचय

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Kirbadh

सुरमई अखियों में सुरमा लगा के
चिलमन में अपना चेहरा छुपा के
नशीले नैनों के तीर चला के 
चली गईं वो जियरा चुरा के

©Kirbadh #Beautiful_Eyes  शायरी लव

#Beautiful_Eyes शायरी लव

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Kirbadh

Unsplash असमंजस है बहुत
राहें भी कम नहीं
क्या करूँ? किसको चुनु?
किधर को मैं चल पड़ूं
होती उथल-पुथल मन में
आता है तूफ़ान 
भावनाओं की लहरों पर 
होकर सवार
हिलने लगती हैं आस्थाएं
बरबस ही 
कभी-कभी बहुत कठिन होता है
चुन पाना एक राह
प्रज्ञा को भी

©Kirbadh #library
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Kirbadh

रखने लगा हूँ अब आलम-ए-फ़क़ीरी 
इन दुनियावी रिश्तों के व्यापार में
शीरी सी लगती हैं ज़माने की तल्ख़ बातें
कुछ तो बदला है ज़रूर मेरे क़िरदार में

©Kirbadh #rain  शायरी दर्द

#rain शायरी दर्द

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Kirbadh

हे गुन्नू गुड़िया
पटाखों की पुड़िया
चुलबुली बिटिया
हाजमोला की टिकिया
हो सतरंगी जीवन थारा
खुशियों से हरा भरा 
गदगद हृदयातल से भेज रहे
जन्मदिवस की तुमको बधईया

©Kirbadh #happybirthday  कविता

#happybirthday कविता

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Kirbadh

धुआं फैला हौले-हौले
जब जली सिगरेट
अपनी कुर्बानी देकर भी
माचिस न करती रिग्रेट

फेफड़े स्याह हो गए
पीकर ये सिगरेट
पीने वाले सोचे मगर
हो जाएंगे वे रिजनरेट

©Kirbadh #smoke  कविताएं कविता कविता कोश

#smoke कविताएं कविता कविता कोश

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Kirbadh

#FourLinePoetry आज-कल मैं तुम्हारा हमदर्द नहीं रहा
बदली फ़िज़ा का मौसम सर्द नहीं रहा
ऐसा क्या हो गया मुझको नहीं मालूम
पर मेरा क़िरदार अब ख़ुदग़र्ज़ नहीं रहा

©Kirbadh #fourlinepoetry  कविताएं कविता कोश

#fourlinepoetry कविताएं कविता कोश

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Kirbadh

White दिल में आज भी
 इक कसक बाकी है
जीवन में प्यार का
एक सबक बाकी है

बहुत कर ली सबकी हथजोरी
सत्ता के गलियारों में अभी
तेरी हनक बाकी है

अपनी जीत पर इतना
न इतरा ऐ सिकन्दर 
पोरस हार गया तो क्या
मगध अभी बाकी है

©Kirbadh #poem  देशभक्ति कविता हिंदी दिवस पर कविता कविता कोश

#poem देशभक्ति कविता हिंदी दिवस पर कविता कविता कोश

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Kirbadh

संध्या की अरुणिम बेला में
होते जो तुम मेरे क़रीब हो
फ़रक नहीं पड़ता है मुझको
चाहे सारा जगत रक़ीब हो

ठुकराई मैने इस दुनियां की
सारी धन और दौलत है
पाखण्ड नहीं स्वीकार्य मुझे
चाहे ग़ुरबत मेरे नसीब हो

©Kirbadh #kinaara  लव शायरी शायरी attitude

#kinaara लव शायरी शायरी attitude

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Kirbadh

White चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल-थल में
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है, अवनि और अंबरतल में
पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से
मानो झूम रहे है तरु भी, मंद पवन के झोंकों से

:मैथिलीशरण गुप्त 

शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

©Kirbadh #love_shayari  हिंदी कविता

#love_shayari हिंदी कविता

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Kirbadh

White थी मेरी नासमझी
जो किया ज़ाहिर 
दिल-ए-हालात को

थे बड़े ख़ुदग़र्ज़ वो
जो समझे नहीं
मेरे जज़्बात को

दिल न टूटता मेरा
ग़र जान पता
उनके ख़यालात को

बहुत मुहब्बत है उनसे
तभी अनदेखा करता रहा
उनकी हर करामात को

©Kirbadh #flowers  शेरो शायरी लव शायरी

#flowers शेरो शायरी लव शायरी

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