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rajeevmishra1154
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samandar Speaks

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samandar Speaks

White अब घर घर में ये आग फैलाई जाएगी
चुनावी,साल है,अदावत,सबसे निभाई जायेंगी

सबको जमातों कौमों फिरको में बाटकर
आग लगा कर घरों में आग से बुझाई जायेगी

वतन के रहनुमाओं को मोहरों कि शकल देकर
झूठी हमदर्दी से मुहब्बत दिखाई जायेगी 

मुफ़्त कि रोटियां बंटेगी घर गिरवी रख कर
इस कदर हमारे कल कि बोली लगाई जायेगी

झंडो तले बंटेगी नवजवानों कि जवानी फिर से
पैर तोड़ कर आसमानों की अदा सिखाई जाएगी 

अब घर घर में ये आग फैलाई जाएगी
चुनावी,साल है अदावत सबसे निभाई जायेंगी
राजीव

©samandar Speaks #diwali_wishes  अंजान  Satyaprem Upadhyay  मनीष शर्मा  Poonam bagadia "punit"  Sandeep L Guru

#diwali_wishes अंजान Satyaprem Upadhyay मनीष शर्मा Poonam bagadia "punit" Sandeep L Guru #कविता

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samandar Speaks

Unsplash ग़म और भी है मगर खुलासा कौन करे
हर बात में मुस्कुरा देता हूं तमाशा कौन करे

हर ज़ख़्म को दिया है चुपी का नाम मैंने
बेवजह दर्द अपना किसी से साझा कौन करे

जो दिल में चुभते हो सवालात शब भर 
उनपे सहर के गुनाहों का इशारा कौन करे

जिन राहों पर उजालों का डर समाया हो
उनमें अंधेरों के खौफ को नुमाया कौन करे

तक़दीर जब लिखी है सियाही से बेरंग हीं 
फिर ख़्वाब के सुरज का दिखावा कौन करे

जो लोग ख़ुद सौदाई हो, ग़फ़लत के बाजारों का
उनसे यार ए वफ़ा का अब  दावा कौन करे
राजीव

©samandar Speaks #library  अंजान  Satyaprem Upadhyay  Radhey Ray  Poonam bagadia "punit"  Internet Jockey

#library अंजान Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Poonam bagadia "punit" Internet Jockey #कविता

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samandar Speaks

White  ये आसमां ज़मीं पर उतर क्यों नहीं जाता
ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता 

ये रुकता तो,बच्चे भी बच्चे रहते,हम भी हम रहते
न वो दूर कहीं जाते,ना हम घर के बाहर ठहरते
बदलते वक्त के हालात पर ये तरश क्यों नहीं खाता 
ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता

झोपड़ियां सहमी है दुबकी हैं फट्टे शॉल में लिपटी है
बकरियां फट्टे बोरे में,टूटी खाट पे हुई जा खड़ी हैं
इस बेबसी में नए साल का फितूर उतर क्यों नहीं जाता 
ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता

बाप कि जवानी लेकर बेटे बड़े हो रहे हैं
इन्हें जवान करते बाप अधमरे हो रहे हैं 
रैन बसेरों का डर अब निकल क्यों नहीं जाता
 ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता
राजीव

©samandar Speaks #love_shayari  मनीष शर्मा  Satyaprem Upadhyay  Radhey Ray  Poonam bagadia "punit"  Sandeep L Guru   मनीष शर्मा  Satyaprem Upadhyay  अंजान  Sandeep L Guru  Mukesh Poonia

#love_shayari मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Poonam bagadia "punit" Sandeep L Guru मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay अंजान Sandeep L Guru Mukesh Poonia #कविता

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samandar Speaks

Unsplash तुम आए और चले भी गए ,पल भर भी दीदार कर न सके
मेरी जागी जागी आंखे थी,तुम भीड़ में ठीक से दिख न सके

ये आना भी क्या आना था,ये पागल दिल बेकरार रहा
मैं खुद ही रोती हंसती रही,तुमको न जरा एहसास रहा
हसरत थी आंखों में रख लूं पर वक्त वफ़ा तो कर न सका
तुम आए और चले भी गए ,पल भर भी दीदार कर न सके

कल ही तो वादे कर के गए,कल ही दिखलाए थे सपने
कल बच्चों से कुछ बातें की,अम्मा को हंसाए थे तुमने
अब आज ये तुमको हो क्या गया,एक दिन भी करार कर ना सके 
तुम आए और चले भी गए ,पल भर भी दीदार कर न सके

तुम आए और चले भी गए ,पल भर भी दीदार कर न सके
मेरी जागी जागी आंखे थी,तुम भीड़ में ठीक से दिख न सके
राजीव

©samandar Speaks #camping  Satyaprem Upadhyay  Internet Jockey  Radhey Ray  Sandeep L Guru  Mukesh Poonia

#camping Satyaprem Upadhyay Internet Jockey Radhey Ray Sandeep L Guru Mukesh Poonia #कविता

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samandar Speaks

White 

Upon the soil where silent tears do fall,
A hero stands, though mortal he no more.
Manish, the name that echoes duty's call,
In Rajauri's shadow, his valor soared.

For freedom's light, he faced the darkest night,
A beacon strong against the vile attack.
His courage burned, a flame so fierce, so bright,
A shield for kin, though he shall not turn back.

O Gopalganj, your son now rests in peace,
His sacrifice a tale the winds shall weave.
Though grief does swell, let pride in hearts increase,
For such a soul, this earth can scarce conceive.

Though he departs, his legacy shall stay,
A martyr's light to guide our destined way.

©samandar Speaks #sad_quotes  Satyaprem Upadhyay  Internet Jockey  Mukesh Poonia  Sandeep L Guru  मनीष शर्मा

#sad_quotes Satyaprem Upadhyay Internet Jockey Mukesh Poonia Sandeep L Guru मनीष शर्मा #कविता

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samandar Speaks

she was...
Upon the threshold stands her patient gaze,
Her shadow stretched by sun's unyielding might,
A beacon through the summer’s scorching haze,
She waits for me, her heart my guiding light.

Her sari clings, dampened by the day’s heat,
Yet still she smiles, though weary from her chore,
The noon’s harsh rays bow down before her feet,
Her love transcends what time or toil can score.

A jug of water rests within her hand,
Cool respite offered as my steps draw near,
No words are said, yet I can understand,
In her soft eyes, a world of love appears.

O mother, framed against the summer's glare,
Your tender watch, no heat could e’er impair.

©samandar Speaks #lightning  Radhey Ray  Sandeep L Guru  Satyaprem Upadhyay  Mukesh Poonia  Anant

#lightning Radhey Ray Sandeep L Guru Satyaprem Upadhyay Mukesh Poonia Anant #कविता

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samandar Speaks

Unsplash दीवारों पे आज भी निशान है गुजरे हुए लम्हों का,
कुछ धुंधली सी तस्वीरें, कुछ खामोश कहकसों का।
वो कागज की कश्तियां, बरसात के पानी में,
वो हंसी के पल, जो छूट गए ज़िंदगानी में।
स्कूल की वो गली, वो मैदान याद आता है,
जहां ख्वाब बुनते थे, वो आसमान याद आता है।
कभी लड़ते, कभी हंसते, और दोस्ती निभाते,
आज उन चेहरों के साये भी गुमनाम नजर आते
वो क्लास की खिड़की, जहां से बाहर झांकते थे,
खुद के ख्वाबों में खोए, दुनिया को ताकते थे।
आज भी लगता है, वो सब पल वहीं ठहर गए,
और हम वक्त के साथ, न जाने कहां बिखर गए।
गुजरी सड़कों पर चलना अब सपना सा लगता है,
जहां हर मोड़ पर बचपन हमें अपना सा लगता है।
पर वो साथी, वो ठिकाने, अब कहीं खो गए हैं,
वो आवाजें, वो अफसाने, अब धुंधले हो गए हैं।
चाहे जितना लौटूं, वो रास्ते नहीं मिलते,
वो गलियां नहीं मिलती, वो किताबी बस्ते नहीं मिलते
बस यादों का एक खजाना है, जो दिल में बसता है,
और गुजरा हुआ हर पल, कहीं अंदर सिसकता है।
वक्त की परछाइयों में ढूंढते हैं अपने साये,
वो जगहें, वो लोग, जो कभी लौटकर ना आए।
पर इस दिल के कोने में,उनका निशान बाकी है
फिर से लौटेंगे हमराह ,उनका एहसास बाकी है
राजीव

©samandar Speaks #camping  Radhey Ray  Sandeep L Guru  Satyaprem Upadhyay  Mukesh Poonia  मनीष शर्मा

#camping Radhey Ray Sandeep L Guru Satyaprem Upadhyay Mukesh Poonia मनीष शर्मा #कविता

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samandar Speaks

White अब क्या बताऊं ये क्या हैं
इक सपना है हिंदी में, या उर्दू में ख्वाब है,
चाँद का आइना, सूरज का नक़ाब है।
बारिशों की छन-छन, जैसे सितारों की सरगोशी,
हवा की सरसराहट, मानो ज़ुबां पर कोई नज़्म रुकी हो।
लहरों की हलचल, जैसे धड़कता हो समंदर का दिल,
भँवरों की गुनगुनाहट, जैसे मौन की गहराई में छुपा एक गीत।
अब क्या बताऊं ये क्या है,
ये सुबह का आँचल, जिसमें रौशनी का जादू सिमटा है,
ये शाम का सन्नाटा, जैसे थककर कायनात खुद को सुला रही हो।
जंगलों की फुसफुसाहट, जैसे पेड़ आपस में राज़ बांट रहे हों,
पहाड़ों की बुलंदी, जैसे किसी दुआ की सदा आसमान को छू गई हो।
अब क्या बताऊं ये क्या है,
ये बूँदें, जो धरती की प्यास बुझाकर मुस्कुराती हैं,
ये मिट्टी की ख़ुशबू, जैसे कुदरत का इश्क़ ज़मीन से लिपट गया हो।
ये फूलों का खिलना, जैसे हर सुबह एक नया अफ़साना लिखती हो,
ये तितलियों का नृत्य, जैसे रूहानी ख़्वाबों का रंगीन कारवां।
अब क्या बताऊं ये क्या है,
ये बादलों का आग़ोश,जैसे किसी मां ने अपने बच्चे को छुपा लिया हो,
ये झील का सुकून, जैसे किसी सूफी का दिल।
कुदरत का हर रंग, हर सुर, हर अंदाज़,
जैसे खुदा ने अपने दिल के सबसे गहरे कोने में
हमारे लिए एक नज़्म लिख छोड़ी हो।
अब क्या बताऊं ये क्या हैं 
राजीव@samandar speaks

©samandar Speaks #love_shayari  Satyaprem Upadhyay  Radhey Ray  Mukesh Poonia  मनीष शर्मा  bewakoof

#love_shayari Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Mukesh Poonia मनीष शर्मा bewakoof #कविता

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samandar Speaks

Unsplash नीली आँखों का जादू और पलकों का पहरा
गुलाबी ये आलम और दिल ठहरा ठहरा

तब्बसुम मोतियों सा लबों पे है छाया
और सुर्खी ए महरो है पसरा पसरा

काले बादलों का घेरा ,और बारिश की बुँदे,
चाँद हो जैसे की ,नहाया नहाया

इस्लाम सी है ,लाम लट गेसुओं की
अदा पे खुदा का ,है नूर, पसरा पसरा

सांसो की ताज़गी में, कुदरत, की ख़ुशबू,
एक जाम हर अदा जैसे हो छलका छलका
Rajeev

©samandar Speaks #camping  Radhey Ray  Mukesh Poonia  मनीष शर्मा  Anant  bewakoof

#camping Radhey Ray Mukesh Poonia मनीष शर्मा Anant bewakoof #कविता

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samandar Speaks

Unsplash रिश्तों की डोर उलझे, तो टूट जाती है,
जुड़ने का फ़न यहाँ किसे आता है?

हर शख़्स यहाँ अपने ग़म में डूबा है,
दूसरे के दर्द को कौन सहलाता है?

मुलाक़ातें अब चेहरों तक सीमित हैं,
दिल का रास्ता कोई कहां बनाता है?

वादे क़समें सब बातें लगती हैं झूठी,
रिश्ता निभाने का वक़्त कौन लाता है?

जो सबसे क़रीब था जहां से दूर हो गया,
यादों के साये से आदमी दिल बहलाता है।
राजीव

©samandar Speaks #Book  Radhey Ray  Satyaprem Upadhyay  Sandeep L Guru  Mukesh Poonia  मनीष शर्मा

#Book Radhey Ray Satyaprem Upadhyay Sandeep L Guru Mukesh Poonia मनीष शर्मा #कविता

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