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ashokkumar9613
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ASHOK KUMAR POET

Ashok kumar poet

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ASHOK KUMAR POET

ये जिंदगी खेल का घर है,
इस खेल मे खिलाड़ी भी अपने I
भाई बहन और मात -पिता,
लगे है अपनी -अपनी जीत में ॥

हार जाता है, इंसान अपनों से ।
वरना इंसान को हराना नामुमकिन है॥

©ASHOK KUMAR POET शायरी

शायरी

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ASHOK KUMAR POET

उड़ते पंछी को ,पिजड़े में बन्द नहीं करना चाहिए 
वो आजाद है , उसे खुली हवा में छोड़ देना 
चाहिए ॥

प्यार हो या इस्क ,ये दो दिलों का मेला है ।
एक दिन इस मेले को भी उजड़ना है ॥


जमाना देखा है हमने ,अपनी आंखों से ,
लोग कहते है दूसरे दोखा देते है ।
लेकिन यारों हमने देखा है ,
दूसरे नहीं अपने देते है दोखा ॥

©ASHOK KUMAR POET शायरी

शायरी

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ASHOK KUMAR POET

मुस्कान फूलों की तरह , नन्हें बच्चो की देखों ।
जैसे  फूल , बगीचे को महकाते है ।
बच्चों की मुस्कान , सबका मन मोह लेती है।
इसको ही असली मुस्कान कहते है ॥

इंसान भी कोई कारण से हंसता ।
कारण बिना उसे हंसी नहीं आती ॥

बच्चों की मुस्कान में , संसार में संसार का 
आनंद नजर आता है ।यही हंसी कहलाती ।

बच्चों को छोड़कर , मुस्कारने वाली हसी में ।
अपना कुछ ना कुछ स्वार्थ ,अवश्य होता है ॥

बच्चों की हंसी ही मुस्कान है 
बाकी सब मुँह खोलना ॥

©ASHOK KUMAR POET बच्चों की मुस्कान ( हंसी)

बच्चों की मुस्कान ( हंसी) #कविता

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ASHOK KUMAR POET

दुनियां में सबसे विश्वसनीय पवित्र निस्वार्थ प्रेम है वह है ............. I (माँ)

ये जो शारीरिक संबंध बनाने के लिए , दूसरे खून से पति - पत्नी का जो, पवित्र रिश्ता जोड़ा जाता है ना ये ,मतलबी , स्वार्थी , निर्लज्ज, दिखावा वाला प्रेम होता है।

मैंने दो शब्द माँ के लिये कहे
अच्छे लगे तो मुझे आगे बढ़ने के लिए अपना साथ देवें ।

आप सभी का दिल से शुक्रिया / धन्यवाद

©ASHOK KUMAR POET माँ के लिए दो शब्द

माँ के लिए दो शब्द #ज़िन्दगी

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ASHOK KUMAR POET

ज़िंदगी भी अजीब है ।
सबको घुमाती रहती है ॥

इंसान दूसरों का फैसला करता
पर अपना फैंसला न कर पाता ।

ज़िंदगी भी अजीब है।

जन्म -मरण का बंधन न देखा ।
फिर भी कहते है लोग ॥

ज़िंदगी भी अजीब है ।

इस जन्म में सुख नही तो क्या ।
अगले जन्म में सुख मिलेगा ॥

ज़िंदगी भी अजीब है।
ये अगला - पिछला जन्म ।
इंसान को थोंडा धैर्य वाला
बनाये रखता  है। ।
ज़िंदगी नी अजीब है।
ज़िंदगी भी अजीब है ॥

©ASHOK KUMAR POET ज़िंदगी भी अजीब है ।

ज़िंदगी भी अजीब है । #ज़िन्दगी

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ASHOK KUMAR POET

संभल कर चलना ये दोस्त इस जमाने में ।
दोखा कोई और नहीं अपने ही देते है ॥

देखी है दुनिया करीबी से

जो लोग अपना बनना चाहते है तब
अपनी जुबा भी रख देते अपने कदमों में ॥

जो मतलब से रिश्ते बनते है वो
खून के रिश्ते तक मिठा देते है यारो ॥

देखी है दुनिया करीबी से

बनाबट के रिश्ते शुरु में आनंद देते है ।
बाद में हमें बर्बाद करते है।

देखी है दुनिया करीबी से
संभल कर चलना संभल कर चलना
 इस जहान् में ।
देखी है दुनिया करीबी से

©ASHOK KUMAR POET देखी है दुनिया करीबी

देखी है दुनिया करीबी #विचार

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ASHOK KUMAR POET

महाराणा प्रताप राजस्थान के शूरवीर वीरों के वीर महावीर
कठिनाई से न डरने वाले
मौत सदा रहती छाया बनकर
घास पूंस की रोटी खाकर
स्वाभिमान परा अडा रहा ।

चाहे जिंदगी मिट्टी में मिल जाये
इज्जत मिट्टी में न मिल पाये
यही जिंदगी की रही कहानी |

॥महाराणा प्रताप को नमन ॥

©ASHOK KUMAR POET #maharanapratap
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ASHOK KUMAR POET

सच बोलने वाला इंसान इस दुनिया में अकेला रहता है
क्योंकि दुनिया उसे पागल समझती है।
सच तो यह है कि वह दीवाना है।
न तो उसे किसी चीज या इंसान के मिलने की खुशी या दुख नही होता ।
यहा सभी लोग पैसे की इज्जत करते है ।
पैसा इंसान को इज्जत देता है।
इस दुनिया में गरीबो को कीडा - मकोड़ा समझा जाता है।
अमीर - गरीब सब मरते है वरना
गरीबो का रहने का स्थान नहीं होता जनाब ।
यहां दुनिया मतलबी होती है मतलब खत्म होते ही इंसान का बोलने का तजरबा भी बदल जाता है।
जरा संभल कर चलना यारो
हर रास्ते पर कांटे बिछे पडे है ।

©ASHOK KUMAR POET संभलकर चलना

#Love

संभलकर चलना #Love

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ASHOK KUMAR POET

गलती जिन्दगी की किताब का पन्ना है , 
पन्ने को तो फाडकर फेंक दे जनाब
लेकिन जब पूरी किताब पैसों के घंमडियों की हो 
तो एक पन्ने को फाडने से क्या फर्क पडेगा जनाब ।
ये सब झूठा बहाना है कि दिन रात याद करते है
 सोते और जागते समय ।
जब पता है एक गलती के पीछे पूरी किताब खो न जाय -
इतना पता हो ही गया है तो उस किताब को पड़ना ही छोड
देना चाहिए क्योंकि यह किताब दोखा दे जायेगी या गुम होकर दूसरी लाइब्रेरी में जा सकती है ।
जरूत पडे तो याद करना । यह हमारा नही और का कहना है।

©ASHOK KUMAR POET गलती जिन्दगी की किताब का पन्ना है।

#OneSeason

गलती जिन्दगी की किताब का पन्ना है। #OneSeason

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ASHOK KUMAR POET

आपने  पगला बना दिया और नाचने वाला बना दिया
क्या नहीं बनाया जनाब
देखो किस्मत का खेल ।
अपने बनकर लोग अपनो की
जिन्दगी को तबाह करने पर उतर जाते है लोग ।
किस्मत अच्छी थी वरना आज कैदखाने में होते जनाब
यदि ना रह सको किसी के दिल में तो
उसे अपने हालात पर छोड़ दो ।
आजाद है ये दुनिया
तुम भी इसके एक हिस्से हो जनाब ।
दोष हमारा ना था फिर भी
 दोषी हम निकले ।
अपने हाथों का था कारनामा
दोष हमारे हाथों का आया ।
गलती उसकी नजर ना आई
सारा दोष अपने सिर मढ गई वो ।
खुदा भी माफ ना करे जिसे
जो निर्दोष पर वाणी का चाबुक चला गई वो।
वे कितने भोले चेहरे थे
जीब सर्पिणी की निकली उनकी यारो।

©ASHOK KUMAR POET किस्मत का खेल

किस्मत का खेल

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