Nojoto: Largest Storytelling Platform
rinkisinghrs9239
  • 37Stories
  • 62Followers
  • 286Love
    20Views

Rinki Singh Sahiba

  • Popular
  • Latest
  • Video
b1064b095418c7680885590d33b04ede

Rinki Singh Sahiba

b1064b095418c7680885590d33b04ede

Rinki Singh Sahiba

मैं स्त्री हूँ , वही स्त्री जिसने पैदा किया उस पुरुष को जो उसकी हदें तय करता है।

©Rinki Singh Sahiba #womensday
b1064b095418c7680885590d33b04ede

Rinki Singh Sahiba

खुद्दारी का ऐसा आलम आया है,
टूटी कश्ती ने साहिल ठुकराया है।

©Rinki Singh Sahiba
b1064b095418c7680885590d33b04ede

Rinki Singh Sahiba

कैसी मुश्किल में जान है मेरी,
चाँद को देखूँ या तेरा चेहरा।

©Rinki Singh Sahiba शायरी

#Karwachauth

शायरी #Karwachauth

b1064b095418c7680885590d33b04ede

Rinki Singh Sahiba

हक़ीक़ी इश्क़ की अब दास्तां नहीं कोई,
बदन की चाह में उलझे तमाम किस्से हैं।

रिंकी सिंह साहिबा

©Rinki Singh Rs #peace
b1064b095418c7680885590d33b04ede

Rinki Singh Sahiba

दिल का ये दर्द हमें तंग किए रहता है,
कोई ख़ुश्बू की तरह संग किए रहता है।

वाह क्या खूब मुसव्विर है वो ऊपर वाला,
फूल पत्तों पे कई रंग किए रहता है।

प्यार से उसने बनाई है ये प्यारी दुनिया,
लेकिन इंसान यहाँ जंग किए रहता है।

जिसकी आहट से रग ए जाँ पे धमक होती है, 
दिल की धड़कन को वही चंग किए रहता है।

उसके आने से शब ओ रोज़ महक उठते हैं,
सारे आलम को वो खुशरंग किए रहता है।

रंग है ,नूर है, अफशां हैं चरागां सारे,
वो तसव्वुर को भी गुलरंग किए रहता है।


साहिबा साज़ ए मुहब्बत जो छेड़ देता है
मेरी ग़ज़लों में नए रंग किए रहता है।

©Rinki Singh Rs #MereKhayaal
b1064b095418c7680885590d33b04ede

Rinki Singh Sahiba

इश्क़ की राह में गुजरने से।
प्यार बढ़ता है प्यार करने से।

इश्क़  दरिया अजीब है साहिब,
लोग जीते हैं डूब मरने से।

नूर किरदार का भी है शामिल ,
हुश्न रोशन नहीं सँवरने से।

बेख़तर कूदना ही पड़ता है,
बात बनती नहीं है डरने से।

आबला पा ही बढें आगे को,
मंजिलें कब मिली ठहरने से।

गुल ने हँसकर कहा हवाओं से,
ख़ुश्बू जाती नहीं बिखरने से।

यूँ वफ़ा शर्मसार होती है,
यार हरदम तेरे मुकरने से।

गीत ग़ज़लों में जो रवानी है,
इश्क़ की आग में निखरने से।

इल्म ए दरिया मुझे हुआ रिंकी,
उनकी आँखों में ही उतरने से।

®रिंकी सिंह साहिबा

©Rinki Singh Rs #NationalSimplicityDay
b1064b095418c7680885590d33b04ede

Rinki Singh Sahiba

उन्हें बस दाग ही दिखने लगे हैं,
मुहब्बत जब तलक थी चाँद थे हम।
सिंह साहिबा

©Rinki Singh Rs

b1064b095418c7680885590d33b04ede

Rinki Singh Sahiba

#FourLinePoetry सुकूँ मांगे न राहत मांगती है,
ये चाहत तो इबादत मांगती है।

इसे रस्म ओ रवायत से ग़रज़ क्या,
मुहब्बत तो मुहब्बत मांगती है।

रवायत तोड़ना मुश्किल बहुत है,
हर इक जिद्दत  बग़ावत मांगती है।

ज़मी और आसमां कम पड़ रहे हैं,
तमन्ना और वुसअत मांगती है।

मुहब्बत ज़िंदगी देती है लेकिन,
मुहब्बत ही कयामत मांगती है।

सिंह साहिबा

©Rinki Singh Rs
  #fourlinepoetry
b1064b095418c7680885590d33b04ede

Rinki Singh Sahiba

#FourLinePoetry सुकूँ मांगे न राहत मांगती है,
ये चाहत तो इबादत मांगती है।

इसे रस्म ओ रवायत से ग़रज़ क्या,
मुहब्बत तो मुहब्बत मांगती है।

रवायत तोड़ना मुश्किल बहुत है,
हर इक जिद्दत  बग़ावत मांगती है।

ज़मी और आसमां कम पड़ रहे हैं,
तमन्ना और वुसअत मांगती है।

मुहब्बत ज़िंदगी देती है लेकिन,
मुहब्बत ही कयामत मांगती है।

सिंह साहिबा

©Rinki Singh Rs #fourlinepoetry
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile