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adityakarn4884
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Aditya Karn

पंचतत्वों से बना ये तन, बड़ा चंचल है ये मन, मेरा परिचय, आदित्य कर्ण

aditya.the.great.ADI/official.in

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Aditya Karn

होली!
जिसमें "ह" और "ल" का
ऐसा संयोग होता है।
हल जिसका सुंदर सा योग है।

हल!
जो किसानों का शस्त्र है।
रंग ही जीवन का वस्त्र है।

किसान!
न तो हिन्दू, न मुसलमान है
दोनों है तो ये हिंदुस्तान है।
दोनों है तो ये हिंदुस्तान है।

©Aditya Karn #Aditya_the_great_ADI

#Happy_holi
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Aditya Karn

सुनो!
इश्क़ करना है तुमसे
वो इश्क़ जो
बस इश्क़ होगा,
अकेला, अविचल,
निश्छल, निराधार
जिसमें ज़िद न होगी पाने की
डर न होगी खो जाने की
न पास रहने की वज़ह होगी
न जरूरत पड़ेगी दूर जाने की
अग़र कुछ होगा तो
बस इश्क़ होगा,
न समय का पहरा होगा।
चर्चा न होगी खुलेआम
नहीं कोई किसी से
कुछ कह रहा होगा।

कहो!
कर सकोगे, ऐसा इश्क़
जो बस इश्क़ होगा।

©Aditya Karn #एक_इश्क़_ऐसा_भी

#hangout
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Aditya Karn

सुबह का ये मौसम
आँखों में नींद
जल्दी उठने की ज़िद्द
ठंडी ठंडी हवाएं
उसमें तुम्हारी महक संग
तुम्हारी की यादें।
इस सब से बेहतर तो
सिर्फ़ तुम हो सकती थी न
लेक़िन, नहीं
ये जो मेरा मन है न
बस तुम्हें याद किया
तो कर लिया।

©Aditya Karn #सुबह_वाली_यादें
#sunrays
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Aditya Karn

सुनो!
ठुकरा देना मुझे
जैसे मारती है ठोकर
वो रास्ते का पत्थर,

अग़र, अपनाना मुझे तो
जैसे राधा ने अपनाया था
कृष्ण को
बस प्रेम, विश्वास, धैर्य के साथ
जैसे उर्मिला ने अपनाया था
लक्ष्मण को
बस त्याग और इंतज़ार के साथ।

जब चाहना तो चाहते रहना
केवल हम होंगे हमारे भीतर
बाँकी सब शून्य होगा।
पाने की ज़िद्द मर करना
तो नहीं होगा डर,
खोने का
न इधर, न उधर।

©Aditya Karn #प्रेम 

#WForWriters
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Aditya Karn

तेरे इस शहर की सहर में,
कुछ तो बात है।
वरना, धूप में चांद का
यूं दीदार नहीं होता।
दिख जाए भी,
अगर छुपते छिपाते
लेक़िन इतना भी
चमकदार नहीं होता। #शहर_की_सहर
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Aditya Karn

#friendshipday
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Aditya Karn

#ख़यालात_ए_बारिश
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Aditya Karn

बारिस की बूंदों जैसी,
मस्ती की हल्की-फ़ुल्की फ़ुहार हो तुम।
इस काली घटा और
मौसम की शीतलता संग,
चाय की चुस्की या फ़िर ख़ुमार हो तुम।
मुशालाधर बारिस में फंसे
किसी के दरवाज़े पर हम, और
अंदर से बुलाने वालों की पुकार हो तुम।
जब ऐसे मौसम में भी साथ नहीं,
बस यादें ही हैं पास मेरे,
फ़िर तो बेकार हो तुम। #ख़यालात_ए_बारिश
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Aditya Karn

तुझे चाहता हूँ,
तुझे छोड़ सब को पता है।
तू समझ न सकी,
मेरी बातों को।
या मैं समझा न सका,
अपनी जज्बातों को।
पता नहीं ये तेरी या मेरी ख़ता है।

                                         हाँ! अगर सच में मुहोब्बत है हमारे बीच,
                                       फ़िर तो कॉन्फॉर्मली ये मेरी ही ख़ता है।
                                 क्योंकि, ग़लती कभी भी नहीं होती
                               लड़कियों की इस प्यार, मुहोब्बत
                       और वफाओं की गलियों में
                      इतना तो मुझे भी पता है। #पता_है_कि_क्या_मेरी_ख़ता_है
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Aditya Karn

ठंडी हवा का झोंका,
मूसलाधार बारिश,
उसमें फँसे हम, और
मिट्टी की भीनी भीनी खुशबू
संग तुम्हारी यादें...
इस सब से बेहतर तो
सिर्फ़ तुम हो सकती थी न
लेक़िन नहीं, 
ये जो मेरा मन है न
बस तुम्हें याद किया तो कर लिया। #बारिस_में_यादें
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