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pawankumarpandey7583
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अनकहे लफ्ज़

instagram - pa.wan2427

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अनकहे लफ्ज़

जब वास्तविकता की हद हो जाती है
और अपनी ख्वाइश ही सरहद हो जाती है
ऐसे में जो प्रेम प्रकट होता है
मानो वही सबसे विकट होता है
प्रभाव उसका ता उम्र होता है
रूप उसका अदृश्य गुम होता है
व्याख्या इसकी उलझी होती है
अपितु भावना बड़ी सुलझी होती है
हर द्वेष , अंधकार से परे होता है
विशेष दर्पणों से भरे होता है
ऐसे में जो हृदय के निकट होता है
वही प्रेम सबसे विकट होता है

©अनकहे लफ्ज़ 
  #retro 
एक लंबे अरसे बाद .....कुछ शब्द कुछ जज़्बात

#retro एक लंबे अरसे बाद .....कुछ शब्द कुछ जज़्बात

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अनकहे लफ्ज़

प्रश्न - जीवन क्या है?

किसी ने कहा - जीवन वो है जो दूसरों के लिए जीया जाए।

श्रीमद्भागवतगीता ने सुधार किया और कहा - जीवन वो है जो दूसरों की खुशियों के लिए समर्पित हो।

©अनकहे लफ्ज़ #Nature
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अनकहे लफ्ज़

तू मेरी ज़िन्दगी है !

कभी धूप सी कभी छाओ सी
कभी प्यारी तुम घटाओं सी
कभी अज़ा तो कभी फिज़ाओ सी
कभी मुझ नदी पर चलती नाओ सी

क्या पेश करु तुमको ,
क्या चीज़ हमारी है
ये दिल भी तुम्हारा था 
ये जान भी तुम्हारी है

तुझे क्या कह के भूला दु मैं
आखिर तू ही मेरी बंदगी है
तू साथ खड़ी नही है मेरे 
फिर भी तू मेरी ज़िन्दगी है

©अनकहे लफ्ज़ #morningcoffee
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अनकहे लफ्ज़

बचपन 


कौन कहता मैं बड़ा हुआ हूं 
मैं अभी भी बचपन मे हु

माँ मेरी आज भी मुझे पुचकारती है
पापा मेरे आज भी मुझे फटकारते है
मैं आज भी छोटी छोटी चीज़ों पर ज़िद करता हु 
मैं आज भी बचपन मे जीता हु 

नाना आज भी मुझे छुट्टी में अपने साथ ले जाते है
उदास होने पर मामा मुझे आज भी मनाते है
मैं आज भी माँ के हाथ का हल्दी वाला दूध पीता हु 
मैं आज भी बचपन मे जीता हु 

आज भी दीदी मेरी, मेरे सर को सहलाती है
आज भी नाराज़ होने पर वो मुझे मनाती है
मैं आज भी अपने फटे मोजे सीता हु 
मैं आज भी बचपन मे जीता हु

©अनकहे लफ्ज़

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अनकहे लफ्ज़

आखिरी सफर।                   


ये ज़िन्दगी हुई नाराज़ कभी 
 तुम मुझको जलता देखने मत आना
कोई बनाना बहाना, डरना मत
तुम जहाँ हो वही रुक जाना 
आखिरी लम्हो में जब मुझको देखोगी तुम
तुम्हारी आँखों से कुछ अश्क निकल जाएंगे 
वो आंखें तुम्हारी होंगी , मगर उनमे पिघल हम जाएंगे 
तुम्हे हँसाने लौट न पाऊंगा मैं
और तुम्हे रोता देख भी पाऊंगा न मैं
गर मुस्कुराहट होगी तुम्हारे चेहरे पर
आखिरी सफर हँस कर पूरा कर जाऊंगा मैं

©अनकहे लफ्ज़

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अनकहे लफ्ज़

आखिर तुम्हे आना है


कहता है दिल मुझसे की तू यही कहि है
तू गर यही कही है तो मुझे दिखती क्यू नही है
खुद को बहकाता हु कह कर के तू धड़कन में है
ये बहकाने की बात नही,ये दलील बिल्कुल सही है

रुसवा हो हमसे , अब शायद तुम्हे मनाना है
दिल को बोला है ये , मगर ये बस एक बहाना है
आंखें तरस गयी तुम्हे देखे,आवाज़ सुने बीत गया अरसा
ज़रा देर लगेगी , लेकिन तुम्हे आना है

©अनकहे लफ्ज़

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अनकहे लफ्ज़

हम सफर या हमसफर




कुछ दुर हुए तुमसे हम , तुम भी अब पास नही 
तुम चले गए यू छोड़ मुझे , क्या मुझपे अब विश्वास नही
बहलाया है दिल को मैंने , कह कर के तुम आओगे
अब सोचता हूं इसे सच बता दु , की लौटने की कोई आस नही

इस बेरंग सी ज़िन्दगी में मैं रंग नए ढूंढता हु 
इस जीवन को जीने के मैं ढंग नए ढूंढता हु
इस बातो को मन मे रख कर हम कबसे झूंझ रहे है
हम सफर में चलते हुए हमसफर ढूंढ रहे है

©अनकहे लफ्ज़

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अनकहे लफ्ज़

मुझको शायरी आ गयी।                  




      अब्र सी छाई हो तुम मेरी ज़िंदगी मे
मैं बा-अदब इस बात को मानता हूं
तू है एक दिलकश सुबह की धूप सी 
मैं भी हसीन शाम की घाम सा हु

हँसी वादियों के नजारे की तरह तू मुझ पर छा गयी 
आसमान की कोख़ में टूटे तारे सी, तू मुझको भा गयी 
जब से देखा मैने तुझको मुझको शायरी आ गयी 
जब से देखा मैने तुझको मुझको आशिकी आ गयी।

©अनकहे लफ्ज़

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अनकहे लफ्ज़

कुछ कहु तुमसे                           



कुछ कहु तुमसे , यू क्यू बदल गए
हमने तो तुझको अपना सब कुछ माना था 
कुछ कहु तुमसे , यू क्यू चले गए
केवल तू ही था मेरा मैंने ये जाना था 
तू अम्ल थी जिंदगी का , तुझे नूर माना था 
तुझे कमी न होने दूंगा, कुछ ऐसा मैने ठाना था 
चलो जो हुआ भूल जाओ , मेरी इस कलम पर मत जाओ
मगर एक मौका तो देते , मुझे तुमको मनाना था
कुछ कहु तुमसे , कुछ कहु तुमसे

©अनकहे लफ्ज़

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अनकहे लफ्ज़

जो पत्थरो में ज़ुबा ढूंढे हम वो चीज़ है दोस्त
है मर्ज गर ख्वाब सजना तो हम मरीज़ है दोस्त
हमे कहानिया लिखने तो बहते पानी पे, ये बेवकूफियां हमे बहुत अज़िज़ है दोस्त
नसीहतें नही सुनते ना सबक लेते है,मेरे ख्वाब ज़रा बत्तमीज़ है दोस्त

©अनकहे लफ्ज़ #PoetInYou
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