अब रातें वीरान लगती हैं!
जिंदगी में एक पड़ाव आता है जब हम दिन भर रात का इंतजार करते हैं कब रात आयेगी और कब हम चुपके चुपके अपनी मोहब्बत से ढ़ेर सारी बातें करेंगे! अब दिन कब गुजर जाता है पता ही नही चलता और कमबख्त रात भी बहुत जल्दी आ जाती है ! लेकिन एक खालीपन अपने साथ ले आती है ! अब उन रातों में मुझे तुम्हारी आवाज सुनाई नही देती ....सुनाई देता है केवल सन्नाटा जो हमें अलग कर के चिढ़ा रहा है ! #विचार
Ashutosh jain
हम आज क्या हैं और कल हो जायेंगे कुछ भरोसा नहीं ! अब तस्वीर में बैठे सज्जन की बात कर लेते है। एक समय पर महेश्वर के सेठ कहे जाने आज किस हाल में हैं यह हम तस्वीर से समझ सकते हैं! ना जाने कितने समय से इनका यह हाल है ! मुझे बहुत दुख होता है मनुष्य को जब ऐसी हालत में देखता हूं। हमारे आस पास ऐसे कई लोग मौजूद होते हैं जिनके ऊपर शायद हमारा ध्यान नहीं जाता ! लेकिन हमें यह समझना होगा की ऐसे व्यक्ति भी। हमारे समाज का हिस्सा हैं ! हमारी क्षमता अनुसार जो भी हमारे बस में हो हमें इनके लिए करना चाइए ! ज्यादा कुछ #विचार
Ashutosh jain
आज मेरी एक सितारे से मुलाकात हुई! उस सितारे के हाथों में किताबों की जगह पॉलिश की डब्बी थमा दी गई थी ताकि वह अपने नन्हें से हाथों से हमारी चमचमाती गाड़ियों पर पॉलिश कर सके ! जैसे ही कोई ग्राहक आता वो सबसे पहले वह लपक के उसके पास पहुंच जाता और अपनी निश्चल मुस्कुराहट के साथ आंखों में चमक लिए बेझिझक कह देता कि " भैया पॉलिश करवा लो गाड़ी पर एक दम चमक जाएगी बस 10rs लगेंगे " ! मुझे कहना था कि सितारे सुनो तुम्हारे हाथों में वो ताकत है कि तुम अपना एक खूबसूरत संसार रच सकते हो ! तुम्हारी आंखों में जो चम #विचार
Ashutosh jain
मुझे घरों में सबसे आकर्षित अगर कोई बात लगती है तो वो है दरवाजे और खिड़कियां ! अंजान घरों दरवाजों के पीछे रहने वाले कई किरदार अकसर हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा हो जाते हैं ! शायद हमें पता ही नही चलता ! कभी कभी एक छोटी सी मुलाकात भी जिंदगी भर के रिश्ते बना जाती है ! जरूरत होती इन रिश्तों को संभाल कर रखने की ! रिश्तों को संभालने के लिए हमें अपने मन की खिड़की को खोलने की। जरूरत है ...
मन की खिड़की से देखो आपके आस पास ऐसे कई लोग हैं जो आपको पसंद करते हैं आपसे प्यार करते हैं ! आपका दायित्व बनता है कि आप #विचार
Ashutosh jain
एक उम्मीद
जगी है
अंधेरी रात के बाद
मानों
मेरे हिस्से की धूप लेकर
रात किसी यात्रा पर निकल गई थी वी
अब वह वापस आई है
एक नई शुरुआत और #कविता
Ashutosh jain
अंत से सीख
अंत में क्या रह जाता है ?
शायद कुछ धुंधली यादें ,कुछ बातें जो हमने अपनों से की वी थीं , कुछ मुलाकातें , कुछ खत जो कभी पढ़े नहीं गए ,कुछ रिश्ते ,कुछ खुशी के तो कुछ ग़म के किस्से , कुछ चेहरे जो ताउम्र हमारे साथ रहे ,कुछ तस्वीरें कुछ रूमानी पल ,हाथों का स्पर्श या कुछ अधूरी कहानियां ..
मुझसे पूंछा जाए जाए तो अन्त में रह जाते हैं हम और हमारे अंतर्मन में समाये हुए कुछ किस्से जो कभी हमारी जिंदगी का हिस्सा थे ! शायद अंत तक पहुंचते पहुंचते हम अपने आप से प्रेम भी करने लगते हैं! लेकिन जब तक ह #विचार
Ashutosh jain
प्रकृति ही परमेश्वर है,ईश्वर है ,अल्लाह है या फिर आप जो भी नाम देना चाहो अपनी अपनी पसंद के रंग अनुसार दे सकते हो !
मेरा मानना है कि प्रकृति में सभी रंग समाए हुए हैं ! यह तो इंसान हैं जिन्होंने अपने आप को रंगों में बांट लिया है ! किसी को भगवा पसंद आया तो किसी को हरा लेकिन कोई यह समझने को तैयार नहीं हम प्रकृति के आगे बहुत बोने हैं ! प्रकृति ने हमें जो कुछ भी दिया है उसे सहेज का रखना हमारा कार्य हैं! लेकिन हम उस कार्य को ठीक से नहीं निभा रहे ! अगर यही हाल रहा तो कुछ समय बाद जो विनाश होगा जिन्हे #विचार
Ashutosh jain
आओ हम मिलते हैं
कुछ बात करते हैं
जो गिले शिकवे हैं
उन्हें दूर करते हैं
याद है तुम्हें पहली
बार जब हम मिले थे
कुछ ऐसी ही जगह थी
बिलकुल इस तस्वीर जैसी #कविता
Ashutosh jain
संवाद जरूरी है
मुझे इस बात को स्वीकार करने में बिलकुल भी शर्म नही है कि मैं बहुत जल्द ही लोगों पर विश्वास कर लेता हूं! मुझसे कोई व्यक्ति अगर प्रेम से बात कर ले तो मुझे उस व्यक्ति से लगाव हो जाता है ! अब इंसान हूं तो स्वाभिक है कि यह अपेक्षा भी रहती है सामने वाला व्यक्ति भी मुझसे लगाव रखे जैसे मैंने उस पर विश्वास कर रहा हूं वैसे वो मुझ पर भी करे ! जब तक दिल से एक दूसरे के प्रति आदर सम्मान की भावना रहती है तब तक तक हम उस व्यक्ति से बात करते रहते हैं, उसका हाल पूछते रहते हैं!
लेकिन जब संबंध भावना #विचार
Ashutosh jain
एक समय था जब गांव के बच्चे हो जवान हों बूढ़े हों या महिलाएं हो नदी किनारे बतियाते हुए मिल ही जाया करते थे तब शायद उन्हें इन दृश्यों को तस्वीर में कैद करने की सोचा भी ना होगा क्यों कि ऐसा जीवन उनके लिए बहुत ही आम हुआ करता था ! ताजी हवा के साथ साथ जान पहचान वालों से मिलकर एक दूसरे का हाल भी जान लिया करते थे और सुख दुख भी बांट लिया करते थे !
शायद उन्होंने ऐसे समय कि कल्पना भी नहीं की होगी एक समय ऐसा आएगा कि इंसान 5.5 की स्क्रीन में इतना दाखिल हो जायेगा की उसे अपने आस पास क्या घट रहा है उसकी सुध ही