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ashutoshjain3467
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Ashutosh jain

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Ashutosh jain

अब रातें वीरान लगती हैं! 

जिंदगी में एक पड़ाव आता है जब हम दिन भर रात का इंतजार करते हैं कब रात आयेगी और कब हम चुपके चुपके अपनी मोहब्बत से ढ़ेर सारी बातें करेंगे! अब दिन कब गुजर जाता है पता ही नही चलता  और कमबख्त रात भी बहुत जल्दी आ जाती है ! लेकिन एक खालीपन अपने साथ ले आती है ! अब उन रातों में मुझे तुम्हारी आवाज सुनाई नही देती ....सुनाई देता है केवल सन्नाटा जो हमें अलग कर के चिढ़ा रहा है !

©Ashutosh jain अब रातें वीरान लगती हैं! 

जिंदगी में एक पड़ाव आता है जब हम दिन भर रात का इंतजार करते हैं कब रात आयेगी और कब हम चुपके चुपके अपनी मोहब्बत से ढ़ेर सारी बातें करेंगे! अब दिन कब गुजर जाता है पता ही नही चलता  और कमबख्त रात भी बहुत जल्दी आ जाती है ! लेकिन एक खालीपन अपने साथ ले आती है ! अब उन रातों में मुझे तुम्हारी आवाज सुनाई नही देती ....सुनाई देता है केवल सन्नाटा जो हमें अलग कर के चिढ़ा रहा है ! 

अब रातें वीरान लगती हैं!  जिंदगी में एक पड़ाव आता है जब हम दिन भर रात का इंतजार करते हैं कब रात आयेगी और कब हम चुपके चुपके अपनी मोहब्बत से ढ़ेर सारी बातें करेंगे! अब दिन कब गुजर जाता है पता ही नही चलता  और कमबख्त रात भी बहुत जल्दी आ जाती है ! लेकिन एक खालीपन अपने साथ ले आती है ! अब उन रातों में मुझे तुम्हारी आवाज सुनाई नही देती ....सुनाई देता है केवल सन्नाटा जो हमें अलग कर के चिढ़ा रहा है !  #विचार

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Ashutosh jain

हम आज क्या हैं और कल हो जायेंगे कुछ भरोसा नहीं ! अब तस्वीर में बैठे सज्जन की बात कर लेते है। एक समय पर महेश्वर के सेठ कहे जाने आज किस हाल में हैं यह हम तस्वीर से समझ सकते हैं! ना जाने कितने समय से इनका यह हाल है ! मुझे बहुत दुख होता है मनुष्य को जब ऐसी हालत में देखता हूं। हमारे आस पास ऐसे कई लोग मौजूद होते हैं जिनके ऊपर शायद हमारा ध्यान नहीं जाता ! लेकिन हमें यह समझना होगा की ऐसे व्यक्ति भी। हमारे समाज का हिस्सा हैं ! हमारी क्षमता अनुसार जो भी हमारे बस में हो हमें इनके लिए करना चाइए ! ज्यादा कुछ नही तो कुछ समय के अंतराल में इनके घर की साफ सफाई करवा दी जाए ! क्रम से कम साफ सुथरी जगह में तो रह सकेंगे !

©Ashutosh jain हम आज क्या हैं और कल हो जायेंगे कुछ भरोसा नहीं ! अब तस्वीर में बैठे सज्जन की बात कर लेते है। एक समय पर महेश्वर के सेठ कहे जाने आज किस हाल में हैं यह हम तस्वीर से समझ सकते हैं! ना जाने कितने समय से इनका यह हाल है ! मुझे बहुत दुख होता है मनुष्य को जब ऐसी हालत में देखता हूं। हमारे आस पास ऐसे कई लोग मौजूद होते हैं जिनके ऊपर शायद हमारा ध्यान नहीं जाता ! लेकिन हमें यह समझना होगा की ऐसे व्यक्ति भी। हमारे समाज का हिस्सा हैं ! हमारी क्षमता अनुसार जो भी हमारे बस में हो हमें इनके लिए करना चाइए ! ज्यादा कुछ

हम आज क्या हैं और कल हो जायेंगे कुछ भरोसा नहीं ! अब तस्वीर में बैठे सज्जन की बात कर लेते है। एक समय पर महेश्वर के सेठ कहे जाने आज किस हाल में हैं यह हम तस्वीर से समझ सकते हैं! ना जाने कितने समय से इनका यह हाल है ! मुझे बहुत दुख होता है मनुष्य को जब ऐसी हालत में देखता हूं। हमारे आस पास ऐसे कई लोग मौजूद होते हैं जिनके ऊपर शायद हमारा ध्यान नहीं जाता ! लेकिन हमें यह समझना होगा की ऐसे व्यक्ति भी। हमारे समाज का हिस्सा हैं ! हमारी क्षमता अनुसार जो भी हमारे बस में हो हमें इनके लिए करना चाइए ! ज्यादा कुछ #विचार

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Ashutosh jain

सितारा दस रुपए वाला

©Ashutosh jain आज मेरी एक सितारे से मुलाकात हुई! उस सितारे के हाथों में किताबों की जगह पॉलिश की डब्बी थमा दी गई थी ताकि वह अपने नन्हें से हाथों से हमारी चमचमाती गाड़ियों पर पॉलिश कर सके  ! जैसे ही कोई ग्राहक आता वो सबसे पहले वह  लपक के उसके पास पहुंच जाता और अपनी निश्चल मुस्कुराहट के साथ आंखों में चमक लिए बेझिझक कह देता कि " भैया पॉलिश करवा लो गाड़ी पर एक दम चमक जाएगी बस 10rs  लगेंगे " ! मुझे कहना था कि सितारे सुनो तुम्हारे हाथों में वो ताकत है कि तुम अपना एक खूबसूरत संसार रच सकते हो ! तुम्हारी आंखों में जो चम

आज मेरी एक सितारे से मुलाकात हुई! उस सितारे के हाथों में किताबों की जगह पॉलिश की डब्बी थमा दी गई थी ताकि वह अपने नन्हें से हाथों से हमारी चमचमाती गाड़ियों पर पॉलिश कर सके ! जैसे ही कोई ग्राहक आता वो सबसे पहले वह लपक के उसके पास पहुंच जाता और अपनी निश्चल मुस्कुराहट के साथ आंखों में चमक लिए बेझिझक कह देता कि " भैया पॉलिश करवा लो गाड़ी पर एक दम चमक जाएगी बस 10rs लगेंगे " ! मुझे कहना था कि सितारे सुनो तुम्हारे हाथों में वो ताकत है कि तुम अपना एक खूबसूरत संसार रच सकते हो ! तुम्हारी आंखों में जो चम #विचार

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Ashutosh jain

मुझे घरों में सबसे आकर्षित अगर कोई बात लगती है तो वो है दरवाजे और खिड़कियां ! अंजान घरों दरवाजों के पीछे रहने वाले कई किरदार अकसर हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा हो जाते हैं ! शायद हमें पता ही नही चलता ! कभी कभी एक छोटी सी मुलाकात भी जिंदगी भर के रिश्ते बना जाती है ! जरूरत होती इन रिश्तों को संभाल कर रखने की ! रिश्तों को संभालने के लिए हमें अपने मन की खिड़की को खोलने की। जरूरत है ...
मन की खिड़की से देखो आपके आस पास ऐसे कई लोग हैं जो आपको पसंद करते हैं आपसे प्यार करते हैं ! आपका दायित्व बनता है कि आप उनका ख्याल रखें !

©Ashutosh jain मुझे घरों में सबसे आकर्षित अगर कोई बात लगती है तो वो है दरवाजे और खिड़कियां ! अंजान घरों दरवाजों के पीछे रहने वाले कई किरदार अकसर हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा हो जाते हैं ! शायद हमें पता ही नही चलता ! कभी कभी एक छोटी सी मुलाकात भी जिंदगी भर के रिश्ते बना जाती है ! जरूरत होती इन रिश्तों को संभाल कर रखने की ! रिश्तों को संभालने के लिए हमें अपने मन की खिड़की को खोलने की। जरूरत है ...
मन की खिड़की से देखो आपके आस पास ऐसे कई लोग हैं जो आपको पसंद करते हैं आपसे प्यार करते हैं ! आपका दायित्व बनता है कि आप

मुझे घरों में सबसे आकर्षित अगर कोई बात लगती है तो वो है दरवाजे और खिड़कियां ! अंजान घरों दरवाजों के पीछे रहने वाले कई किरदार अकसर हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा हो जाते हैं ! शायद हमें पता ही नही चलता ! कभी कभी एक छोटी सी मुलाकात भी जिंदगी भर के रिश्ते बना जाती है ! जरूरत होती इन रिश्तों को संभाल कर रखने की ! रिश्तों को संभालने के लिए हमें अपने मन की खिड़की को खोलने की। जरूरत है ... मन की खिड़की से देखो आपके आस पास ऐसे कई लोग हैं जो आपको पसंद करते हैं आपसे प्यार करते हैं ! आपका दायित्व बनता है कि आप #विचार

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Ashutosh jain

एक उम्मीद 
जगी है 
अंधेरी रात के बाद 
मानों
 मेरे हिस्से की धूप लेकर 
रात किसी यात्रा पर निकल गई थी वी
  अब वह  वापस आई है 
एक नई शुरुआत  और

एक उम्मीद जगी है अंधेरी रात के बाद मानों मेरे हिस्से की धूप लेकर रात किसी यात्रा पर निकल गई थी वी अब वह वापस आई है एक नई शुरुआत और #कविता

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Ashutosh jain

अंत से सीख 

अंत में क्या रह जाता है ?
शायद कुछ धुंधली यादें ,कुछ बातें जो हमने अपनों से की वी थीं , कुछ मुलाकातें , कुछ खत जो कभी पढ़े नहीं गए ,कुछ रिश्ते ,कुछ खुशी के तो कुछ ग़म के किस्से , कुछ चेहरे जो ताउम्र हमारे साथ रहे ,कुछ तस्वीरें  कुछ रूमानी पल ,हाथों का स्पर्श या कुछ अधूरी कहानियां ..
मुझसे पूंछा जाए जाए तो अन्त में रह जाते हैं हम और हमारे अंतर्मन में समाये हुए कुछ किस्से जो कभी हमारी जिंदगी का हिस्सा थे ! शायद अंत तक पहुंचते पहुंचते हम अपने आप से प्रेम भी करने लगते हैं! लेकिन जब तक हमें मालूम पड़ता है कि खुद से भी प्रेम किया जा सकता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती हैं!
 मेरे ख़्याल से हमें जीवन में जो कुछ भी पाना है उसकी पहली सीढ़ी यही है की हम स्वयं से प्रेम करना सीख लें! क्यूं कि जब हम स्वयं से प्रेम करना सीख लेंगे तो हम दूसरों से प्रेम कर सकेंगे !

©Ashutosh jain अंत से सीख 

अंत में क्या रह जाता है ?
शायद कुछ धुंधली यादें ,कुछ बातें जो हमने अपनों से की वी थीं , कुछ मुलाकातें , कुछ खत जो कभी पढ़े नहीं गए ,कुछ रिश्ते ,कुछ खुशी के तो कुछ ग़म के किस्से , कुछ चेहरे जो ताउम्र हमारे साथ रहे ,कुछ तस्वीरें  कुछ रूमानी पल ,हाथों का स्पर्श या कुछ अधूरी कहानियां ..
मुझसे पूंछा जाए जाए तो अन्त में रह जाते हैं हम और हमारे अंतर्मन में समाये हुए कुछ किस्से जो कभी हमारी जिंदगी का हिस्सा थे ! शायद अंत तक पहुंचते पहुंचते हम अपने आप से प्रेम भी करने लगते हैं! लेकिन जब तक ह

अंत से सीख अंत में क्या रह जाता है ? शायद कुछ धुंधली यादें ,कुछ बातें जो हमने अपनों से की वी थीं , कुछ मुलाकातें , कुछ खत जो कभी पढ़े नहीं गए ,कुछ रिश्ते ,कुछ खुशी के तो कुछ ग़म के किस्से , कुछ चेहरे जो ताउम्र हमारे साथ रहे ,कुछ तस्वीरें कुछ रूमानी पल ,हाथों का स्पर्श या कुछ अधूरी कहानियां .. मुझसे पूंछा जाए जाए तो अन्त में रह जाते हैं हम और हमारे अंतर्मन में समाये हुए कुछ किस्से जो कभी हमारी जिंदगी का हिस्सा थे ! शायद अंत तक पहुंचते पहुंचते हम अपने आप से प्रेम भी करने लगते हैं! लेकिन जब तक ह #विचार

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Ashutosh jain

प्रकृति ही परमेश्वर है,ईश्वर है ,अल्लाह है या फिर आप जो भी नाम देना चाहो अपनी अपनी पसंद के रंग अनुसार दे सकते हो ! 
मेरा मानना है कि प्रकृति में सभी रंग समाए हुए हैं ! यह तो इंसान हैं जिन्होंने अपने आप को  रंगों में बांट लिया है ! किसी को भगवा पसंद आया तो किसी को हरा लेकिन कोई यह समझने को तैयार नहीं हम प्रकृति के आगे बहुत बोने  हैं ! प्रकृति ने हमें जो कुछ भी दिया है उसे सहेज का रखना हमारा कार्य हैं! लेकिन हम उस कार्य को ठीक से नहीं निभा रहे ! अगर यही हाल रहा तो कुछ  समय बाद जो विनाश होगा जिन्हें सत्ताधारी विकास कहते हैं वह सब कुछ बर्बाद कर देगा! जिसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण हम कोरोना के रूप में देख चुके हैं ! 
हमें जीवन प्रकृति की देखभाल करने के लिए मिला है ना कि उसे नष्ट करने के लिए !
इंसान इस बात को जितना जल्दी समझ जाए उतना बेहतर होगा !
आप लोगों का क्या सोचना है इस बारे में आप अपने विचार रख सकते हैं !

©Ashutosh jain प्रकृति ही परमेश्वर है,ईश्वर है ,अल्लाह है या फिर आप जो भी नाम देना चाहो अपनी अपनी पसंद के रंग अनुसार दे सकते हो ! 
मेरा मानना है कि प्रकृति में सभी रंग समाए हुए हैं ! यह तो इंसान हैं जिन्होंने अपने आप को  रंगों में बांट लिया है ! किसी को भगवा पसंद आया तो किसी को हरा लेकिन कोई यह समझने को तैयार नहीं हम प्रकृति के आगे बहुत बोने  हैं ! प्रकृति ने हमें जो कुछ भी दिया है उसे सहेज का रखना हमारा कार्य हैं! लेकिन हम उस कार्य को ठीक से नहीं निभा रहे ! अगर यही हाल रहा तो कुछ  समय बाद जो विनाश होगा जिन्हे

प्रकृति ही परमेश्वर है,ईश्वर है ,अल्लाह है या फिर आप जो भी नाम देना चाहो अपनी अपनी पसंद के रंग अनुसार दे सकते हो ! मेरा मानना है कि प्रकृति में सभी रंग समाए हुए हैं ! यह तो इंसान हैं जिन्होंने अपने आप को रंगों में बांट लिया है ! किसी को भगवा पसंद आया तो किसी को हरा लेकिन कोई यह समझने को तैयार नहीं हम प्रकृति के आगे बहुत बोने हैं ! प्रकृति ने हमें जो कुछ भी दिया है उसे सहेज का रखना हमारा कार्य हैं! लेकिन हम उस कार्य को ठीक से नहीं निभा रहे ! अगर यही हाल रहा तो कुछ समय बाद जो विनाश होगा जिन्हे #विचार

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Ashutosh jain

आओ हम मिलते हैं 
कुछ बात करते हैं 
 जो गिले शिकवे हैं
 उन्हें दूर करते हैं 
याद है तुम्हें पहली 
बार जब हम मिले थे 
कुछ ऐसी ही जगह थी 
बिलकुल इस तस्वीर जैसी
अकसर मुझे जब भी 
 ऐसी जगह दिखती है
 मैं उसे 
अपने कैमरे में 
कैद कर लेता हूं 
इस तस्वीर में प्रकृति ने जो रंग  भरे हैं 
ऐसे ही रंग मेरे जीवन में 
तुम्हारे आने से आए थे 
मैं इन्हीं तस्वीरों में 
तुम्हे ढूंढा करता हूं 
जब तुम नही मिलती तो 
तुम्हारे दिए हुए रंगों 
को सहेज कर रख लेता हूं 
सच कहूं तो  
मुझे इस बात का डर है की
 कही मेरा जीवन तुम्हारे बिना 
फीका ना पड़ जाए 
इसीलिए इन रंगों को में 
अपने कमरे में
 कैद कर लिया करता हूं
एक बार हम मिलते हैं 
जो भी गिले शिकवे हैं उन्हें दूर करते हैं !

©Ashutosh jain आओ हम मिलते हैं 
कुछ बात करते हैं 
 जो गिले शिकवे हैं
 उन्हें दूर करते हैं 
याद है तुम्हें पहली 
बार जब हम मिले थे 
कुछ ऐसी ही जगह थी 
बिलकुल इस तस्वीर जैसी

आओ हम मिलते हैं कुछ बात करते हैं जो गिले शिकवे हैं उन्हें दूर करते हैं याद है तुम्हें पहली बार जब हम मिले थे कुछ ऐसी ही जगह थी बिलकुल इस तस्वीर जैसी #कविता

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Ashutosh jain

संवाद जरूरी है
मुझे इस बात को स्वीकार करने में बिलकुल भी शर्म नही है कि मैं बहुत जल्द ही लोगों पर विश्वास कर लेता हूं! मुझसे कोई व्यक्ति अगर प्रेम से बात कर ले तो मुझे उस व्यक्ति से लगाव हो जाता है ! अब इंसान हूं तो स्वाभिक है कि यह अपेक्षा भी रहती है सामने वाला व्यक्ति भी मुझसे लगाव रखे जैसे मैंने उस पर विश्वास कर रहा हूं वैसे वो मुझ पर भी करे ! जब तक दिल से एक दूसरे के प्रति आदर सम्मान की भावना रहती है तब तक तक हम उस व्यक्ति से बात  करते रहते हैं, उसका हाल पूछते रहते हैं! 
लेकिन जब संबंध भावनात्मक ना होकर केवल मस्तिष्क से चलने लगे तो वहां संबंध बिगड़ने लगते हैं उनमें कड़वाहट आने लगती है! ऐसे समय पर हम दूसरे व्यक्ति के लिए मन में ना जाने कितनी कड़वाहट भरने लगते हैं! 
क्या हम बता सकते हैं दोष किसका है ?
 क्या एक दूसरे से प्रेम करना या प्रेम की अपेक्षा करना ग़लत है ?
क्या भावनात्मक संबंध बनाए रखना ग़लत है ?
मुझे ऐसा लगता है जहां भावनात्मक संबंध है वहीं तो संबंध है वरना तो वह समझोता है या फिर नफा नुकसान से ज्यादा कुछ नहीं !
अगर संबंधों को संभाल कर रखना है तो उसके लिए आवश्यक है संवाद का बने रहना और अगर ठीक से कहे तो सार्थक संवाद का बने रहना !
लेकिन मुझे सबसे ज्यादा दुख तब होता है जब कोई बिना बताए आपसे अचानक बिना किसी कारण के संवाद करना बंद कर दे ! और ऐसा उस व्यक्ति के साथ हो जो आपका बहुत प्रिय हो तब तो दुख और असहनीय हो जाता है !
आज शायद ऐसा ही कुछ मेरे साथ हो रहा है ..मुझे बस इतना कहना है तुम्हे मुझसे संवाद करना चाहिए था,अगर मुझसे अंजाने में कोई भूल हुई तो मुझे बताना चाहिए था मुझसे झगड़ना चाहिए था ..लेकिन अचानक से तुम्हारी ये चुप्पी मुझे भीतर ही भीतर खाए जा रही है !
तुम्हे मुझसे एक बार बात तो करनी चाहिए थी शायद दूरियां मिट जाती ! तुम्हारा मुझसे यूं रूठ जाना कुछ रास नहीं आया !

©Ashutosh jain संवाद जरूरी है
मुझे इस बात को स्वीकार करने में बिलकुल भी शर्म नही है कि मैं बहुत जल्द ही लोगों पर विश्वास कर लेता हूं! मुझसे कोई व्यक्ति अगर प्रेम से बात कर ले तो मुझे उस व्यक्ति से लगाव हो जाता है ! अब इंसान हूं तो स्वाभिक है कि यह अपेक्षा भी रहती है सामने वाला व्यक्ति भी मुझसे लगाव रखे जैसे मैंने उस पर विश्वास कर रहा हूं वैसे वो मुझ पर भी करे ! जब तक दिल से एक दूसरे के प्रति आदर सम्मान की भावना रहती है तब तक तक हम उस व्यक्ति से बात  करते रहते हैं, उसका हाल पूछते रहते हैं! 
लेकिन जब संबंध भावना

संवाद जरूरी है मुझे इस बात को स्वीकार करने में बिलकुल भी शर्म नही है कि मैं बहुत जल्द ही लोगों पर विश्वास कर लेता हूं! मुझसे कोई व्यक्ति अगर प्रेम से बात कर ले तो मुझे उस व्यक्ति से लगाव हो जाता है ! अब इंसान हूं तो स्वाभिक है कि यह अपेक्षा भी रहती है सामने वाला व्यक्ति भी मुझसे लगाव रखे जैसे मैंने उस पर विश्वास कर रहा हूं वैसे वो मुझ पर भी करे ! जब तक दिल से एक दूसरे के प्रति आदर सम्मान की भावना रहती है तब तक तक हम उस व्यक्ति से बात करते रहते हैं, उसका हाल पूछते रहते हैं! लेकिन जब संबंध भावना #विचार

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Ashutosh jain

एक समय था जब गांव के बच्चे हो जवान हों बूढ़े हों या महिलाएं हो नदी किनारे बतियाते हुए मिल ही जाया करते थे तब शायद उन्हें इन दृश्यों को तस्वीर में कैद करने की सोचा भी ना होगा क्यों कि ऐसा जीवन उनके लिए बहुत ही आम हुआ करता था ! ताजी हवा के साथ साथ जान पहचान वालों से मिलकर एक दूसरे का हाल भी जान लिया करते थे और सुख दुख भी बांट लिया करते थे ! 
शायद उन्होंने ऐसे समय कि कल्पना भी नहीं की होगी एक समय ऐसा आएगा कि इंसान 5.5 की स्क्रीन में इतना दाखिल हो जायेगा की उसे अपने आस पास क्या घट रहा है उसकी सुध ही ना होगी..यह 5.5 की स्क्रीन आपके भीतर घटित होने वाली तमाम भावनाओं को ध्वस्त कर देगी ! और इतना अकेला पड़ जायेगा कि बात चीत करने के लिए भी किसी एप का सहारा लेना पड़ेगा !
शहर की हवा में तो विष घुल चुका है नदी नाले बन चुके हैं इंसान बीमारियों का घर बन चुका है और फिलहाल हम एक महामारी से पीड़ित हैं ही .!
मुझे लगता है हमने तो जीने का ढंग बनाया है उसे ठीक करने की जरूरत है जीने के लिए हमने जो इस मोबाइल फ़ोन से दोस्ती कर ली है इससे थोड़ा बचने की जरूरत है ! अपनों के साथ उनके सुख दुख बांटने की जरूरत है ! शायद तब हम एक संवेदनशील समाज में रह सकेंगे !
ऐसा समाज जो पूंजीवाद पर नहीं आपसी सहयोग एक दूसरे से प्रेम पर आधारित हो .!
वैसे दुर्भागय है की में ये सब बातें भी 5.5 की स्क्रीन से कर रहा हूं..लेकिन मेरी कोशिश है कि मैं भी ऐसा समय का हिस्सा बनूं जहां एक दूसरे का सहयोग जो बातें हों कुछ मुलाकातें हों!

©Ashutosh jain एक समय था जब गांव के बच्चे हो जवान हों बूढ़े हों या महिलाएं हो नदी किनारे बतियाते हुए मिल ही जाया करते थे तब शायद उन्हें इन दृश्यों को तस्वीर में कैद करने की सोचा भी ना होगा क्यों कि ऐसा जीवन उनके लिए बहुत ही आम हुआ करता था ! ताजी हवा के साथ साथ जान पहचान वालों से मिलकर एक दूसरे का हाल भी जान लिया करते थे और सुख दुख भी बांट लिया करते थे ! 
शायद उन्होंने ऐसे समय कि कल्पना भी नहीं की होगी एक समय ऐसा आएगा कि इंसान 5.5 की स्क्रीन में इतना दाखिल हो जायेगा की उसे अपने आस पास क्या घट रहा है उसकी सुध ही

एक समय था जब गांव के बच्चे हो जवान हों बूढ़े हों या महिलाएं हो नदी किनारे बतियाते हुए मिल ही जाया करते थे तब शायद उन्हें इन दृश्यों को तस्वीर में कैद करने की सोचा भी ना होगा क्यों कि ऐसा जीवन उनके लिए बहुत ही आम हुआ करता था ! ताजी हवा के साथ साथ जान पहचान वालों से मिलकर एक दूसरे का हाल भी जान लिया करते थे और सुख दुख भी बांट लिया करते थे ! शायद उन्होंने ऐसे समय कि कल्पना भी नहीं की होगी एक समय ऐसा आएगा कि इंसान 5.5 की स्क्रीन में इतना दाखिल हो जायेगा की उसे अपने आस पास क्या घट रहा है उसकी सुध ही

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