मैं धूप में बैठता हूँ तो खिल उठता है मेरा रोम-रोम, बारिश होती है तो अपने अन्दर कुछ रिसता हुआ महसूस होता है। रोशनी में ढूँढता हूँ दाना-पानी और अंधेरा होने पर मुरझा जाता हूँ, बंद कर लेता हूँ अपने सारे खिड़की दरवाज़े किसी बाहरी खटके से बचने के लिए।
मुझे कई बार लगता है कि मेरे अंदर एक पेड़ है, जो इस जिस्म में क़ैद कर दिया गया है।
अपनी जड़ों की टोह पाने के लिए मैंने कई बार खरोंचा है अपनी रूह की दीवारों को। वहाँ बस एक ठण्डी सी चुप है।
जाने अजाने एक ख़्वाहिश गूँजा करती है, बस।
जब सारे सूरज, चाँद, तारे बुझ #thought#Hindi#विचार
अनजान पथिक
#सिगरेट#RDV19 Ashish Dwivedi
#Love#Life#poem#Hindi
"मैं सिगरेट पीना तो नहीं जानता,*
पर कश लेने का सुकून समझता हूँ|"
वो शाम याद है?
जब तुम्हारे होठों पर रखे ,
अनजान पथिक
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challenge accepted
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भीगी-भीगी जुल्फों वाली कोई ग़ज़ल जब मन छू जाए,
किसी पुराने ख़त में जब उसकी मेहँदी की खुशबू आये।
जब रात गुज़र जाये चंदा में उसे देखते खिड़की से,
आँखें पढ़कर जब माँ पूछे-"दिल आया है ,किसी लड़की पे? "
अनजान पथिक
सब वक़्त के पानी के संग चुपचाप बहने दीजिये।
कुछ ज़ख्म गहरे हैं अगर, गहरे ही रहने दीजिये।
बदलेंगे परदे आँखों के तो नज़र भी बदलेगी तब,
अभी खामोशियों का दौर है, खामोश रहने दीजिये।
है फ़ासलों को जिद अगर, तो खुद ही कम हो जायेंगे।
इन वक़्त की शाखों पे मीठे फल कभी तो आयेंगे।
जिसको है कहना जो, उसे चुपचाप कहने दीजिये। #nojotopoetry#nojotohindi#nojotowriting