दिल में अगर तेरे, देव नहीं बसे हों तो,
तो मुख से भी मंत्रों का, जाप नहीं करते।
कुर्सी की खातिर तुम, देश तक बेच डालो,
इतने भी बड़े-बड़े, पाप नहीं करते।
वोट हैं तुमको मिले, मिली जीत भी तुमको,
तो काम एक ही काहे, आप नहीं करते।
सचमुच किसानों के, गर तुम हितैषी हो,
पार्टी फंड से कर्ज क्यूँ, माफ नहीं करते।