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shraddhashrivast1360
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Shraddha Shrivastava

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Shraddha Shrivastava

एक दीया था माटी का रोशन पूरा घर कर जाता
कुछ माटी अपना फर्ज़ निभातीं, तो कुछ तेल बाति मैं डूब कर निखर जाता,वो माचिस भी कम ना थीं
आग लगाई, मग़र रोशन पूरा घर कर डाला
सबने अपने फर्ज़ निभाये ,कोई अकेला कुछ ना कर पाया,मग़र जब सब साथ आये, तो रोशनी फैलाये बिना ना रहा पाये
एक होकर अनेक घर रोशन किये जहाँ, वहीं अनेक होकर एक घर भी रोशन कर डाला
एक दीया था माटी का.......

©Shraddha Shrivastava एक दीया था माटी का

#meltingdown

एक दीया था माटी का #meltingdown

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Shraddha Shrivastava

खमोश सी हैं किताबें बिचारी, फड़फड़ाना ही भूल गईं ,नया ज़माना हैं लोग इसे हाथ मैं उठना ही भूल गये,शब्द तड़फ रहें कि किसी की ज़ुबान पे तो चढ़ जाऊँ मैं,ज़िद्द पकड़ रहें कि किसी की रूह मैं तो बस जाऊँ मैं, आओ मिला के फ़िर से ज़माना वो ले आते हैं, कुछ ऐसा लिखतें हैं ,कुछ पुराना फ़िर ले आते हैं, खो जाये हर कोई पढ़ते पढ़ते शब्दों की धरणा को ऐसे संजो के लिखतें हैं
ज़िन्दगी के दर्द क़भी ,तो क़भी खुशियाँ सुहानी लिखतें हैं
खमोश सी हैं किताबें ........

©Shraddha Shrivastava #HeartBook
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Shraddha Shrivastava

Happy Rath Yatra  मूरत हैं वो पत्थर की मग़र, उससे हैं दुनियाँ सारी
उसके दम से सृष्टि चलती वो सब पे हैं भारी
ख़ुश हो जाये ग़र मानव उससे,चढ़ा दें उसपे दूध
गंगाजल मिष्ठान आदि
रूठ जाये तो फ़िर ऐसे रूठें, ना दीया जलाए ना ही बाती,ग़रीब क्या अमीर क्या वो ना करें कोई भेदभाव
संकट मैं सबकों समेट ले वो अपनी शरण मैं, जब कोई साथ ना दें तुम्हारा तब सब से अच्छा साथी वो
मूरत हैं वो पत्थर की मग़र.....

©Shraddha Shrivastava #RathYatra2021
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Shraddha Shrivastava

दिल का हाल हैं लोग पढ़ेंगे औऱ वाह वाही भी करेंगे इस सदी मैं ये ऐसा सपना हैं जो मुश्किल हैं मग़र नामुकिन नहीं

©Shraddha Shrivastava #rain
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Shraddha Shrivastava

अखबार मैं छपवा दूँ ,या मोहल्ले मैं शोर मचा दूँ
तुम खुशियों की तारीक कोई पक्की करो ,तो मैं सारी दुनियाँ को बतला दूँ
अदालतें कुछ ठीक नहीं लगती ,मुझें तुम्हारी
तुम कहो तो मैं जज ही बदलवा दूँ
नाराज़ होतीं जब भी मैं ज़िन्दगी से ,यहीं बात करती हूँ अक्सर की
अखबार मैं छपवा दूँ ,या मोहल्ले मैं शोर मचा दूँ

©Shraddha Shrivastava #OneSeason
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Shraddha Shrivastava

फक्र नहीं पड़ता अगर, फ़र्क नहीं पड़ता अग़र, पूरी दुनियां क्यो ना ख़िलाफ़ हो जाये, हाथ हैं उसका सर पे तेरे तो चाहें बागवत क्यों ना आज हो जाये

©Shraddha Shrivastava #doesnotmatter
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Shraddha Shrivastava

समर्पित कर दूँ ख़ुद को, औऱ बस लिखतीं जाऊँ
दाम क्या मिलेंगे सिर्फ़ ये सोच कर ,अग़र शब्द लिखें
तो सब के सब बेमाने होंगे
पहचान बननी हैं नाम बनाना है ,सिर्फ़ दौलत का सोच के लिखूँ तो एक  रुपए की भी क़ीमत नहीं होगी
शब्द के बोल ऐसे लिखूँ की बिक जाये वो तो बेकार हैं, शब्द ऐसे होने चाहिए की क़ीमत उसकी आपने आप हो
पढ़ कर जिसे लोगों को लगें, ये सिर्फ़ तुम्हारी नहीं हमारी ज़िन्दगी भी हैं
समर्पित कर दूँ ख़ुद को...

©Shraddha Shrivastava #Morning
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Shraddha Shrivastava

कोई रंजिशें निकालो आओ बैठते हैं
कोई तो बात चुभी होंगी कभी ,उसी पे लड़ने ही सही मग़र आओ बैठते है
ज़िन्दगी की तमाम थकना मिट सकती
एक गुफ़्तगू से बहुत कुछ लाज़मी हैं
वक़्त बात दो आने का बस
मैं चाय चढ़ा दूँगी,तुम वक़्त ले आना बस
और कुछ नहीं चाहिए ,तुम सुकून के कुछ पल दे जाना बस
एक यार के लिये लिखा है बस
उसे समझ आ जायें इसलिए बिना किसी उम्मीद के लिखा है
कोई रंजिशें निकालो.....

©Shraddha Shrivastava कोई रंजिशें निकालो

#brothersday

कोई रंजिशें निकालो #brothersday #कविता

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Shraddha Shrivastava

परिवर्तन तो ज़रूरी था,आख़िर कब तक चुप रहतीं
नारी भी
डरी सहमी सी एक कोने मैं दुबकी बेचारी सी
अल्फ़ाज़ निकलतें तो वो भी काँपते हुए
स्वर भी अक़्सर धीमा सा होता उसका
बात बात पे ताने मिलते, की माँ बाप ने कुछ सिखया नहीं क्या
आवाज़ अपनी बुलंद ना करती वो, तो क्या करती
आपने आप को ख़ुद से ना मिलवाती ,तो क्या करती
कब तक बैठी रहतीं एक कौना पकड़ें
हर कोने से बाहर ना निकलतीं तो क्या करती
परिवर्तन तो ज़रूरी था.....

©Shraddha Shrivastava परिवर्तन तो ज़रूरी था

#Smile

परिवर्तन तो ज़रूरी था #Smile #कविता

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Shraddha Shrivastava

किताबें भी नाचा रही  हैं ,तुम देखों तो ध्यान से
हर एक लब्ज़ तुम्हारे साथ बाँट रही हैं, तुम सुन लो बस इसे प्यार से
कुछ अनकहा सा किस्सा लेके आयीं हैं
बड़ी देर से ख़ामोश सी थी, मग़र अब बोलने पे आयीं हैं
कुछ शब्द चुभें हो सकता तुमकों,कोई बात तुम्हारे ख़िलाफ़ हों, हर लब्ज़ ना मन का मिलें ,ऐसी भी हो सकता शुरुवात हों
पढ़ना तुम लेक़िन अंत तक,जो चाहिए तुमकों हो सकता अंत मैं ही वो बात हों
किताबें भी नाचा रही  हैं .....

©Shraddha Shrivastava #Books
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