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amitvermaambar6594
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Amit Verma (Ambar)

study mjpru bareilly

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Amit Verma (Ambar)

जन्म से मृत्यु का एक अमर सार हैं,
सृष्टि में और नियति में भी साकार हैं,
वायु  के  वेग  का  सूर्य  के तेज का,
ज्योति  के  पर्व  का राम आधार हैं।।
अमित वर्मा अम्बर

©Amit Verma (Ambar) मुक्क्तक
#grey

मुक्क्तक #grey #कविता

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Amit Verma (Ambar)

चलो चलते हैं अपने आशियाने में,
इस शहर की आवो-हवा खराब है।।

अमित वर्मा अम्बर

©Amit Verma (Ambar) शेर

#Roses
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Amit Verma (Ambar)

हमने  जाना  कि  कितने  सरल  राम हैं,

सृष्टि  में  हैं  घुले  और  विरल राम हैं,

त्याग जीवन का जिसने है जल में किया,

हो  गया  सिद्ध  कितने  तरल  राम  हैं।।

©Amit Verma (Ambar) मुक्क्तक

मुक्क्तक #कविता

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Amit Verma (Ambar)

फूल खिले चहुँ ओर बसन्त को संग लगाय के आ गयी होली

फाग  के  राग  में रंग नए सबके मन को अति भा गयी होली

रंग  अमीर  गुलाल   उड़े  सबके   तन  रंग  चढ़ा  गयी  होली

बैर पुरानो  बिसार  सबै  मिल बाँह पसारि  मिला  गयी होली

©Amit Verma (Ambar) होली की शुभकामनाएं
#Holi

होली की शुभकामनाएं #Holi #कविता

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Amit Verma (Ambar)

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Amit Verma (Ambar)

ग्वालन के प्रिय सखा गोपिन के प्रिय मीत,

रास कौ रचाबै नित रास के रचईया


लूट लूट माखन कौ बाँटत सखन बीच,

ताहू पै न छकत हैं माखन खबईया।


हेरत फिरत हैं विपिन बीच धेनु सब,

ग्वालन के साथ सब धेनु के चरईया।


कारी अँधियारी रात लेके अवतार आए,

देवकी के प्राण प्यारे यशुदा के छईया।

©Amit Verma (Ambar) कविता

#DearKanha

कविता #DearKanha

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Amit Verma (Ambar)

नित्य  फेंके  गए  छुदिक  पांसे  रहे

रो  न  पाए  कभी  हम  रूवासे  रहे 

हाथ आयी न डाली  कभी फूल की

पास रहकर भी पनघट के प्यासे रहे

अमित वर्मा अम्बर

©Amit Verma (Ambar) मुक्क्तक


#Trees

मुक्क्तक #Trees #कविता

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Amit Verma (Ambar)

मलिक मुहम्मद की पद्मावत सा मनुहार तुम्हारा है

स्वर्णकार के स्वर्णिम गहनो सा आकार तुम्हारा है

आहट लगती  सागर तट पर प्रिये तुम्हारे आने की

जय शंकर  की  कामायनी  सा श्रृंगार  तुम्हारा  है

अमित वर्मा अम्बर

©Amit Verma (Ambar) मुक्क्तक

#touchthesky

मुक्क्तक #touchthesky

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Amit Verma (Ambar)

हाल-ए तरवियत पूंछते पूंछते
इक  'शेर'  मुकम्मल  हो  गया



अमित वर्मा अम्बर

©Amit Verma (Ambar) शेर

#Books

शेर #Books

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Amit Verma (Ambar)

रात में  चांदनी  ठिठकती  है

गीत में रागिनी सिसकती  है

जबसे तुम दूर गयी हो मुझसे

जिन्दगी  प्यार को तरसती है

©Amit Verma (Ambar) कविता

#OurRights

कविता #OurRights

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