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shivambatham8644
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shiv kashyap

just a simple writer

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shiv kashyap

इक सुखनवर सा पहलू है मेरा, 
इक मुत्कल्लिम सी राहें हैं मेरी
हर बाशिंदे की ज़िन्दगि है उसकी 
हर घडी पर नाम है सिर्फ उसका

दर्द-ऐ-रंजिश की शायरी है गज़ब
पाओं में पड़े घावों को परे रख 
पाँच रोज़ की नवाज़ है उसकी 
अपने ज़ख्मो को तू परे रख

उरूज में इक दरमियाँ पर 
फिर मिलें कही वो और मैं 
अपने सपनों को  उसका रख 
इक रोज़ साथ होंगे तू और में
~शिवांश

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shiv kashyap

इस बारिश ऐ मौसम का शोर ही कुछ और है,
तुम्हारी निगाहों की बात ही कुछ और है

हर एक बूँद बन कर एक शबनम लिपट जाती है मुझसे,
इसकी मुझसे और मेरी इस से मोहब्बत ही कुछ और है।

मेरे शहर में बारिश थम नही रही है आज
तुम्हे कुछ कहना है मुझसे कि बात कुछ और है 

मेरे दर्द भरे झखमों को तेरे मरहम लगाने की चाहत है
इन्हें मरहम से मतलब नहीं तुम्हारे हाँथों की बात कुछ और है...

~शिवांश

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shiv kashyap

मैं इक ऐसा शुखन-वर हूँ 
जो खुद से डरता हूँ 
हर पंक्षी परों से उड़ता है
मैं बिन परों के उड़ता हूँ

मिट रहे है इस तीरगी में मेरे निशाँ
मैं उस चाँद पर दाग और नए लगाता हूँ 
मत फेंको ये पत्थर पायाब में
इक रोज़ इसको इक नया सैलाब बनाता हूँ 

~शिवांश

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shiv kashyap

तुम्हारी बात बात पर शर्माना पसन्द नहीं है मुझको
तुम्हारी हर बात पर लड़ाई पसन्द आई 

ये तुम्हारी बात बात पर  सच बोलना पसन्द नही है मुझको 
मुझे तोह तुम्हारी वफ़ा पसन्द आई 

अरे मुझसे अब झूट नही बोलते हो तुम 
तुम्हारी आँखों में मुझको सच्चाई नज़र आई 

बड़ी दुनिया निकली है फरेबी, हर बात पर नाराज़ होती है 
तुमने दुनिया छोड़ देना सही समझा मुझे बस यही बात पसन्द आई 

लगे है यहाँ सब,,मतलबी ज़माने में पत्थर पर नाम लिखने में
मगर इस साहिल को कहाँ हथोड़े की चोट रास आई 

देखो अजीब बातों का मंज़र लगा है, सब की ज़ुबान पर तेरा नाम रटा पड़ा है 
क्या करे वो भी तू तोह शिर्फ़ मेरे नसीब आई..
~शिवांश 

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shiv kashyap

कशिश-ए-मोहब्बत इकरार आया है 
आज फिर इस बारिश पर प्यार आया है
इन बादलों ने बाँध रखा है शम्स को 
तेरे नज़र से इस मौसम में निखार आया है 
~शिवम्

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shiv kashyap

लम्हों में इक राज़ छुपा है 
शायद पत्तों ने हवाओँ से कुछ कहा है 
है म्हकशी इन दिन के उजालों में 
रात को भी कहाँ सुकून आया है
तड़पता रहा है एक शख्श सिर्फ प्यार पाने को
उसे अपनों ने हर बार ठुकराया है 
वो तोह साहिलों से प्यार पाता है अब
पता नहीं इस दरिये को किसने सुखाया है
हर बार जब उसने आगे बढ़कर अपनों का हाँथ पकड़ा
उसे धक्का देकर उसी आग में जलाया है
जब वो किसी का हाँथ पकड़ आगे बढ़ चला
तोह उसे सबने गलत बताया है
काफी दर्द भरा है उसका मुस्कुराना 
फिर भी उसने सब छुपा कर हर वक़्त मुस्कुराया है...
_शिवम्

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shiv kashyap

kabhi tum  kabhi hum 
agr yun hi pyar krte 
ek dusre se milkr yun hi sawarte 
bekhayali bhari is raah se gujarte 
ek dusre se yun hi darte 
bas bewajah tumse pyar karte 
akhir toh tum bhi  mere ho sanam 
har waqt in raaho ka intzaar karte 
tumhari jhulfon m khoye hai firte 
kaafiron se hai punchte ki
ki tumse yun hi kyu pyar krte 
~shivam

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shiv kashyap

ख्यालरतों का शहर बड़ा झूँठा है 
लगता है शायद हुमसे कोई रूठा है

सोचा था कुछ लोग झूँठ बोलते है 
मगर यहाँ तो सारा शहर झूँठा है 

बड़ी इमारतों पर घर बनाया है लोगों ने 
मगर उनका कद उतना ही छोटा है 

अब तुम हर सख़्श से दूर क्यूँ भागते हो
शायद तुमसे भी आजकल कोई रूठा है
~shivam
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shiv kashyap

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shiv kashyap

अजीब शक़्स से मोहब्बत की है हमने 
बड़े प्यार से आकर लगाती है 
चाहें गुस्सा मैं हूँ या वो हो 
हर बार थप्पड़ मुझे लगाती है 

बड़ी मासूमियत भरी है निगाह उसकी 
उसकी आँखों में एक आँशु भी आए वो मुझे रुलाती है 
हर रोज सुबह मिलकर मुझे प्यार से देखती है 
कभी सपने में देखता हूँ की रोज वो शुबह मुझे उठाती है

बड़ी परवाह है उसे खुद की 
क्यूँकि वो खुदको मेरा बताती है
कोई पूँछ ले उस से की नाम लिखा है मेरा क्या उसपर
बड़े प्यार से हाँ में अपना शिर हिलाती है..
~शिवम्

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