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मत उलझो हमसे , हम खुद नहीं समझ पाए अपने आप को, तुम क्या ख़ाक समझोगे हमें दलाली कौन करता है सियासत कौन करता है ह मे मालूम है हमारी रहनुमाई कौन करत है। हम ही ने लाज रखी है ईमान किया है वरना सभी टुकड़ों पे पलते है बग़ावत कौन करता है।
Shivam Kesarwani
Shivam Kesarwani
Shivam Kesarwani
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