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vaibhavrathore9518
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Vaibhav Rathore

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Vaibhav Rathore

कहा ये कदम आ गए है
किनारों को भी छोड़ आए,
नजर अब कहा जा रूकेगी
नजारों को भी छोड़ आए।
हो सके जो तुमसे ,मुझमें मुझे ढूंढ लेना
हम साथ जिसमें दिखे,ऐसा ख्वाब देख लेना
में एक रात कि बात कह दू
सितारों से हम लड़ गए थे,
ठुकरा दिया रोशनी को
नहीं जिसमें तुम दिख सके थे ।
हो सके तो मेरे लिए तुम रोशनी मांग लेना
हम साथ जिसमें दिखे,ऐसा ख्वाब देख लेना
है क्या ज़िन्दगी की कहानी
कब और कहा खत्म हो ये,
तुम्हे मांगने की रहेगी 
हमेशा ही एक आरज़ू ये।
तुम नयी जिंदगी में फिर मुझे मांग लेना 
हो सके जो तुमसे ,मुझमें मुझे ढूंढ लेना ।
                         - Vaibhav rathore ऐसा ख्वाब देख लेना....

ऐसा ख्वाब देख लेना.... #कविता

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Vaibhav Rathore

आओ जीवन के इस पल में,जो जाने कब अंतिम हो जाए
एक भूखे को रोटी देकर हम भी अपना फ़र्ज़ निभाए
उन दियो का मान रखे जो थे मिलकर संग जलाए
मानवता की इस पंक्ति में हम सबसे आगे हो जाए ।
                                       द्वारा :- वैभव राठौर अपना फ़र्ज़....

अपना फ़र्ज़.... #विचार

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Vaibhav Rathore

बाहर निकलू,जहर घुला है 
अंदर से मन जला - जला है
चारों ओर लाशों का मंजर
किन पापों का सिला मिला है ।
                    -   वैभव राठौर कोरोना जहर .....

कोरोना जहर ..... #शायरी

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Vaibhav Rathore

सिहर जाता हूं यह सोचकर वो तोता उम्र भर पिंजरे में जिंदा कैसे रहा होगा ?
                      -  वैभव राठौर

Lockdown 4th day पिंजरा....

पिंजरा.... #अनुभव

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Vaibhav Rathore

ये आंखों का पानी बहकर आ गया लहू में 
आंसूओं को जो बात कहनी थी,कैसे कहूं में ।                                                           -वैभव राठौर आंखो का पानी....

आंखो का पानी....

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Vaibhav Rathore

फैसले जिंदगी के आंधियां लिख रही है
हम कहा पर मुड़ेंगे है हवाओं के बस में,
तेरे मेरे चाहने से नहीं है कुछ होता 
कब तलक साथ होंगे है लकीरों के बस में ।
                                  - वैभव राठौर valentine's day special....

valentine's day special.... #शायरी

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Vaibhav Rathore

तन से में घायल मगर, मन से मरम्मत कर लिया है।
आग के ऊपर चलूं,फिर से यही अब प्रण लिया है।
रक्त के हर कण से वो जीत की गाथा लिखेगा ।
संघर्ष है, संघर्ष है,मरने तलक जारी रहेगा ।
                                     लेखक:- वैभव राठौर संघर्ष......

संघर्ष...... #कविता

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Vaibhav Rathore

कहां हो ये क्या ढूंढ रहे हो 
भटके हुए से पता पूछ रहे हो।
माना बहुत दूर है किनारा लेकिन
मांझी होके सहारा ढूंढ रहे हो।
तुम खुद भी डूबकर आए हो,उन आंखों में
क्यूं मुझसे गहराई पूछ रहे हो।
जो दर्द दफ्न हो गए ताबूत में कभी के,
क्यू याद करके उन्हें कुरेद रहे हो।
एक मोहब्बत ही थी,जो बन सकती थी इबादत
जाके दूर क्यूं ये क़यामत कर रहे हो।
अभी बातों तक ही अच्छी थी ये दोस्ती,
मिला के नज़रे क्यू ऐलान-ए-मोहब्बत कर रहे हो।
लिखकर नाम मिटा देना,फिर उसी हथेली को चूमना
क्या ये पागलों जैसी हरकतें कर रहे हो। क्या ढूंढ रहे हो ??

क्या ढूंढ रहे हो ?? #शायरी

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Vaibhav Rathore

सुनूंगा, सोचूंगा,कुछ ना कहूंगा में,
फैसला ये है कि चुप रहूंगा में ।
वो मालिक है उससे कोई जीत सकता है क्या,
वो दिन को रात कहेगा, कहूंगा में।
एक और कसम मेरी खा लेगा वो,
एक बार फिर और मरूंगा में।
मुझे भी मंजिलों की समझ है,नसीब
मोहब्बत सफर से है,सफर में रहूंगा में।
कोई गीत,ग़ज़ल,या दो शब्द,कुछ तो दे
इतना चुप भी,खामोश भी,कैसे रहूंगा में।
हवाओं ने अगर साथ दिया तो तय है,
दिया होकर भी तूफानों में जलता रहूंगा में।
मेरे अंदर एक समंदर यूं तो रोज रहता है,
उसमे तूफान आया किसी दिन तो बहुत बहूंगा में।
इश्क़ जब से कलम से,आशिक़ी शब्दों से हुई है
स्याही सांस बन गई,कागज के घर में रहूंगा में। फैसला ये है कि...

फैसला ये है कि... #कविता

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Vaibhav Rathore

तकलीफों का दायरा जब हद से बढ़ता है,
खुद की आलोचना को मन करता है।
हंस हंस के खुद को बांध लिया कितना,
तब रोकर बिखर जाने को जी करता है । तकलीफों की हद...

तकलीफों की हद...

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