Nojoto: Largest Storytelling Platform
srishtigupta4838
  • 28Stories
  • 7Followers
  • 219Love
    117Views

Srishti gupta

  • Popular
  • Latest
  • Video
c947f3597a720052bd6a7ac748008c61

Srishti gupta

White  बेफिक्र बैठना है अब मानव जाति के लिए शर्मसार
सोच में व्याप्त "कौन करेगा" के प्रदूषण का करे सब वहिस्कार
आओ मिलकर संकल्प ले सब आज
रखेंगे घर, गांव, शहर से लेकर 
देश का हर एक एक कोना साफ
गंदगी फैलाने वालों को ना करेगें माफ
तभी दिखेगा स्वच्छता अभियान का लाभ।

भारतीय जीवन-पद्धति ही हैं हमारी पतवार,
स्वच्छता को अपने जीवन में अपनाये बारंबार,
आओ मिलकर थामे सब रफ्तार
एक विश्व एक पृथ्वी के स्वच्छता की 
मिलकर सपथ ले सब आज।
भारत के जन-जन के हों ऐसे संस्कार,
कृपा करो हम सब पर ऐसी हे परवरदिगार।

आज हमें अपने अस्तित्व के लिए लड़ना हैं,
देश के "स्वच्छ भारत" अभियान को 
विश्व की प्रेरणा बनाकर,
नए युग का सृजन हमें करना है।
नए युग का सृजन हमें करना है।। swacchta

swacchta #Poetry

c947f3597a720052bd6a7ac748008c61

Srishti gupta

White स्वच्छता 

कौन सा आ गया है ये दौर
जहां कूड़े के ढेर व्याप्त है सब ओर 
मानव जाति में मची हैं आधुनिकता की होर 
फिर कौन संभालेगा स्वच्छता की बाग-डोर ।

भारतीय संस्कृति और जीवन-शैली को भूलते हुए 
दिनचर्या आधुनिकीकरण की ओर बढ़ती गयी
इसी बीच कुछ विदेशी कंपनियों ने
हमारी आधुनिक सोच का फायदा उठाते हुए
भारत के जन जन की दिनचर्या में 
अस्वस्थ पदार्थों की मिलावट की।

स्वच्छ जल , स्वच्छ वायु ,स्वच्छ भोजन
को पाने की अभिलाषा है सब ओर 
किन्तु जल ,वायु ,पृथ्वी तथा नभमंडल में ,
है व्याप्त प्रदूषण कुछ इस तौर 
 कि स्वच्छ पर्यावरण में जीवन यापन करना 
बन गया मानव जाति के लिए एक होर।

©Srishti gupta swacchta

swacchta #Poetry

c947f3597a720052bd6a7ac748008c61

Srishti gupta

White स्वच्छता 

कौन सा आ गया है ये दौर
जहां कूड़े के ढेर व्याप्त है सब ओर 
मानव जाति में मची हैं आधुनिकता की होर 
फिर कौन संभालेगा स्वच्छता की बाग-डोर ।

भारतीय संस्कृति और जीवन-शैली को भूलते हुए 
दिनचर्या आधुनिकीकरण की ओर बढ़ती गयी
इसी बीच कुछ विदेशी कंपनियों ने
हमारी आधुनिक सोच का फायदा उठाते हुए
भारत के जन जन की दिनचर्या में 
अस्वस्थ पदार्थों की मिलावट की।

स्वच्छ जल , स्वच्छ वायु ,स्वच्छ भोजन
को पाने की अभिलाषा है सब ओर 
किन्तु जल ,वायु ,पृथ्वी तथा नभमंडल में ,
है व्याप्त प्रदूषण कुछ इस तौर 
 कि स्वच्छ पर्यावरण में जीवन यापन करना 
बन गया मानव जाति के लिए एक होर।

©Srishti gupta
  swacchta

swacchta #Poetry

c947f3597a720052bd6a7ac748008c61

Srishti gupta

देवरुपा प्रकृति को बंजर होता हुआ देखते 
अभी भी नही चेतता
हें पापी मानव तूँ 
इतना बुजदिल कैसे हो गया है तूँ
कि अपने ही कुकर्मो से 
सब कुछ अर्पण करने वाली
भोली-भाली प्रकृति के 
विनाश का कारण बन रहा हैं।

बेफिक्र बैठना है अब मानव जाति के लिए शर्मसार
सोच में व्याप्त स्वार्थ के प्रदूषण का करे सब वहिस्कार
आओ मिलकर संकल्प ले सब आज
खुलकर और खिलकर, जिये अब प्रकृति के साथ।

अपनी देवरूपा प्रकृति  पर करें इतना परोपकार,
अन्यथा ऐसे जीवन पर है धिक्कार,
आश्रय में अपने रखा जिसने हमें बारम्बार
उस पृथ्वी के संरक्षण का करे हम विचार।

भारतीय जीवन-पद्धति ही हैं हमारी पतवार,
देवस्वरूपा प्रकृति को प्रणाम करें बारंबार,
आओ मिलकर थामे सब रफ्तार
एक विश्व एक पृथ्वी के संरक्षण की 
मिलकर सपथ ले सब आज।
भारत के जन-जन के हों ऐसे संस्कार,
कृपा करो हम सब पर ऐसी हे परवरदिगार।

आज हमें अपने अस्तित्व के लिए लड़ना हैं,
भारत के देवरूपा प्रकृति के गौरव को 
विश्व की प्रेरणा बनाकर,
नए युग का सृजन हमें करना है।
नए युग का सृजन हमें करना है।।

                                                           सृष्टि गुप्ता

©Srishti gupta nature

#NatureLove
c947f3597a720052bd6a7ac748008c61

Srishti gupta

कौन सा आ गया है ये दौर
चुनौतियो और समस्याओं से भरी
अब मानव जाति की ये दौड़
जहां व्याप्त हैं प्रदूषण ही सब ओर।

शुद्ध जल ,शुद्ध वायु ,शुद्ध भोजन
को पाने की मची है सब में होर
किन्तु जल ,वायु ,पृथ्वी तथा नभमंडल में ,
है व्याप्त प्रदूषण कुछ इस तौर 
 कि स्वच्छ पर्यावरण में जीवन यापन करना 
बन गया मानव जाति के लिए एक होर।

विज्ञानं और तकनिकी के क्षेत्र में
खोज और विकास करते हुए
अपनी भौतिकवादी स्वार्थपूर्ति के लिए
आरामदायक उपकरण बनाये ऐसे
घातक बन गये हैं जो आज
 हमारी स्वयं की देवरूपा प्रकृति के लिए।

भारतीय संस्कृति को भूलते हुए 
दिनचर्या आधुनिकीकरण की  ओर बढ़ती गयी
इसी बीच कुछ क्रूर मनुष्यों ने
अपने स्वार्थपुरित जीवन यापन के लिए
काट कर उन मासूम पेड़ो को 
अपने लिए भौतिकवादी सुविधाओं की खोज की।।

©Srishti gupta nature

#NatureLove
c947f3597a720052bd6a7ac748008c61

Srishti gupta

Delivery at your doorsteps🚚🚚 
At lowest delivery charges

c947f3597a720052bd6a7ac748008c61

Srishti gupta

Look pretty,feel pretty
Bcoz we know what you want.Trust us and you will not regret beauty

beauty

c947f3597a720052bd6a7ac748008c61

Srishti gupta

Let your beauty do the talking.Look adorable,feel adorable and mesmerize yourself in a better way nail paint

nail paint

c947f3597a720052bd6a7ac748008c61

Srishti gupta

Seeing the drizzling raindrops,
Embracing the blossoming flowers,
With tenderness and affection.
Instilling the life in,
Dry lakes and river beds.
Repleting the brash mankind,
With its warmth and presence.
I admonished myself,
How incongruous and flagrant,
We human beings are !!
Inspite of being repleted,
With all comforts and happiness,
How inane do we behave,
 Getting engrossed in feeting world,
With each passing day,
Being inadvertent to the whole,
And sole purpose of our lives.

c947f3597a720052bd6a7ac748008c61

Srishti gupta

An incipient rain-drop,
Making it's way through 
 The dark clouds and steering winds,
Commences and cessates ,
It's journey on it's own.
Being cognizant of it's destination 
Remains focused and time-driven,
Even in adverse conditions.
Conveying the furtive sermon,
Hidden in a reticent drop,
Enlightening the mind,
And soul of the chagrined.

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile