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ramshloksharmaas6574
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Ramshlok Sharma Ashant

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Ramshlok Sharma Ashant

भले कितनी  मुसीवत हो
मगर  धीरज  नहीं खोना ,
किसी  की  राह में साथी
कभी   काँटे  नहीं  बोना ,
कभी कुछ अटपटा बोलूँ 
मुझे  दो  बात  कह  देना ,
यही    है    आरजू   मेरी 
कभी  नाराज  मत होना !

अशान्त (पटना)

©Ramshlok Sharma Ashant कविता

#Darknight

कविता #Darknight

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Ramshlok Sharma Ashant

सौ मन घृत तुम भले लगा दो
टेढ़े  हो  जाते   हैं ,
सड़ी लाश को  कंधे  पर रख
बदबू   फैलाते   हैं ,
कुछ   पप्पु , टीपू   सा  होते
हैं मतिमंद भिखारी ,
कितने   जूते   मारो  लेकिन 
नहीं सुधर  पाते हैं !

अशान्त (पटना)

©Ramshlok Sharma Ashant कविता

#zindagikerang

कविता #zindagikerang

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Ramshlok Sharma Ashant

विज्ञ   है    इंसान   वह
तोता  नहीं है ,
जो  सजग  है  धैर्य  वो 
खोता नहीं है ,
बेवफ़ाई    तो     सहन
करते  रहा  हूँ ,
प्यार अब मुझसे सहन 
होता  नहीं  है !

अशान्त (पटना)

©Ramshlok Sharma Ashant कविता

#alone

कविता #alone

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Ramshlok Sharma Ashant

पुष्प - माल से  जो मिलता
सच्चा सम्मान नहीं है ,
अगर भरोसा है खुद पर तो
यह अभिमान नहीं है ,
हर  अंतर  में  महाज्ञान का
निर्झर  श्रोत मचलता ,
जो  ग्रन्थों  में  लिखा  हुआ
वह सच्चा ज्ञान नहीं है !

अशान्त (पटना)

©Ramshlok Sharma Ashant कविता

#alone

कविता #alone

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Ramshlok Sharma Ashant

कभी   बंजर   धरा  पर  भी
कुसुम कुछ मुस्कुराते हैं ,
किए उपकार को कुछ लोग
अक्सर  भूल   जाते  हैं ,
कहीं   जीवन - कहानी   में
अनेकों  मोड़  मिलते हैं ,
कभी   मन   के   समंदर  में 
सितारे   डूब  जाते   हैं !

अशान्त (पटना)

©Ramshlok Sharma Ashant कविता

#WinterFog

कविता #WinterFog

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Ramshlok Sharma Ashant

गुलशन  में  हैं  फूल  खिले
भँवरे करते  मनमानी ,
और बगल में बहती नदिया
कल-कल बहता पानी ,
आज  बाग  में  लगता कोई
नई   कली    मुस्काई ,
हवा   बसंती    की   खुशबू
तन पर है चूनर धानी !

अशान्त (पटना)

©Ramshlok Sharma Ashant कविता

#Wish

कविता Wish #Wish

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Ramshlok Sharma Ashant

रोता है श्रृंगाल ,कहीं पर
बोल  रहा  है काग ,
वंशवाद    के    चट्टे - बट्टे 
पुनः  गये  हैं  जाग ,
देख वतन में कुटिल चाल ,
गद्दारों की मनमानी ,
अंतर की भट्ठी में फिर से
धधक उठी है आग !

अशान्त (पटना)

©Ramshlok Sharma Ashant कविता

#LostInCrowd

कविता #LostInCrowd

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Ramshlok Sharma Ashant

बात मेरी किसी को सुहाती नहीं ,
अब इशारों से कोई बुलाती नहीं ,
आज किस्से  पुराने हुए प्यार के ,
तंग गलियाँ मुझे रास आती नहीं !

अशान्त (पटना)

©Ramshlok Sharma Ashant कविता

#Nature

कविता #Nature

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Ramshlok Sharma Ashant

राजनीति का यह भंडवापन
जाकर कहाँ रुकेगा ?
राष्ट्रद्रोहियों  सुन  लो  भारत
आगे   सदा  बढ़ेगा ,
गद्दारों    के     साथ    आज
नेताओं के रिस्ते हैं ,
अंतिम जोर लगा लो अपना
झंडा  नहीं  झुकेगा !

अशान्त (पटना)

©Ramshlok Sharma Ashant कविता

#LostInCrowd

कविता #LostInCrowd

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Ramshlok Sharma Ashant

अंधकार  है  आज  न कोई
ज्योति कहीं जलती है ,
स्वार्थ प्रबल ,दानवता नित
मानवता को छलती है ,
कैसा    है    यह   लोकतंत्र
यह देश कहाँ जायेगा ?
राष्ट्रभक्त  से  अधिक  जहाँ
गद्दारों की  चलती है !

अशान्त (पटना)

©Ramshlok Sharma Ashant कविता

#LostInCrowd

कविता #LostInCrowd

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