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jitenderkumar4407
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Jitender Kumar

बहुत सारी किताबें पढ़ना चाहता हूं।

sahityarang.com

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Jitender Kumar

#emotionalstory 

कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा

टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में
डूब जाता है कभी मुझ में समुंदर मेरा

#emotionalstory कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में डूब जाता है कभी मुझ में समुंदर मेरा #shayri #Lafz #shayrioftheday #urdupoetrylines #shayari_challenge #top_newser

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Jitender Kumar

#Sadmusic 

टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या
बजते रहें हवाओं से दर, तुमको इससे क्या

तुम मौज-मौज मिस्ल-ए-सबा घूमते फिरो
कट जाएँ मेरी सोच के पर, तुमको इससे क्या

#Sadmusic टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या बजते रहें हवाओं से दर, तुमको इससे क्या तुम मौज-मौज मिस्ल-ए-सबा घूमते फिरो कट जाएँ मेरी सोच के पर, तुमको इससे क्या #shayri #Lafz #shayrioftheday #urdupoetrylines #shayari_challenge #top_newser

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Jitender Kumar

#Hope 

तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जाएगा
दूर तक तन्हाइयों का सिलसिला रह जाएगा

कीजिए क्या गुफ़्तुगू क्या उन से मिल कर सोचिए
दिल-शिकस्ता ख़्वाहिशों का ज़ाइक़ा रह जाएगा

#Hope तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जाएगा दूर तक तन्हाइयों का सिलसिला रह जाएगा कीजिए क्या गुफ़्तुगू क्या उन से मिल कर सोचिए दिल-शिकस्ता ख़्वाहिशों का ज़ाइक़ा रह जाएगा #shayri #Lafz #shayrioftheday #urdupoetrylines #shayari_challenge #top_newser

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Jitender Kumar

#love_shayari 

वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है
ये वही ख़ुदा की ज़मीन है ये वही बुतों का निज़ाम है

बड़े शौक़ से मिरा घर जला कोई आँच तुझ पे न आएगी
ये ज़बाँ किसी ने ख़रीद ली ये क़लम किसी का ग़ुलाम है

#love_shayari वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है ये वही ख़ुदा की ज़मीन है ये वही बुतों का निज़ाम है बड़े शौक़ से मिरा घर जला कोई आँच तुझ पे न आएगी ये ज़बाँ किसी ने ख़रीद ली ये क़लम किसी का ग़ुलाम है

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Jitender Kumar

#ateet 

कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा

टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में
डूब जाता है कभी मुझ में समुंदर मेरा

#ateet कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में डूब जाता है कभी मुझ में समुंदर मेरा #shayri #Lafz #shayrioftheday #urdupoetrylines #shayari_challenge #top_newser

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Jitender Kumar

#Lafz 

कोई हमदर्द ज़माने में न पाया 'अख़्तर'
दिल को हसरत ही रही कोई हमारा होता

अख़्तर शीरानी

 #shayri #urdupoetrylines #shayrioftheday #shayari_challenge #top_newser #lafz

#Lafz कोई हमदर्द ज़माने में न पाया 'अख़्तर' दिल को हसरत ही रही कोई हमारा होता अख़्तर शीरानी #shayri #urdupoetrylines #shayrioftheday #shayari_challenge #top_newser #Lafz

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Jitender Kumar

White कोई हमदर्द ज़माने में न पाया 'अख़्तर'
दिल को हसरत ही रही कोई हमारा होता

अख़्तर शीरानी

©Jitender Kumar #Sad_Status 

कोई हमदर्द ज़माने में न पाया 'अख़्तर'
दिल को हसरत ही रही कोई हमारा होता

अख़्तर शीरानी

 #shayri #urdupoetrylines #shayrioftheday #shayari_challenge #top_newser #lafz

#Sad_Status कोई हमदर्द ज़माने में न पाया 'अख़्तर' दिल को हसरत ही रही कोई हमारा होता अख़्तर शीरानी #shayri #urdupoetrylines #shayrioftheday #shayari_challenge #top_newser #Lafz

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Jitender Kumar

White इतनी मुद्दत बा'द मिले हो
किन सोचों में गुम फिरते हो

इतने ख़ाइफ़ क्यूँ रहते हो
हर आहट से डर जाते हो

तेज़ हवा ने मुझ से पूछा
रेत पे क्या लिखते रहते हो

काश कोई हम से भी पूछे
रात गए तक क्यूँ जागे हो

में दरिया से भी डरता हूँ
तुम दरिया से भी गहरे हो

कौन सी बात है तुम में ऐसी
इतने अच्छे क्यूँ लगते हो

पीछे मुड़ कर क्यूँ देखा था
पत्थर बन कर क्या तकते हो

जाओ जीत का जश्न मनाओ
में झूटा हूँ तुम सच्चे हो

अपने शहर के सब लोगों से
मेरी ख़ातिर क्यूँ उलझे हो

कहने को रहते हो दिल में
फिर भी कितने दूर खड़े हो

रात हमें कुछ याद नहीं था
रात बहुत ही याद आए हो

हम से न पूछो हिज्र के क़िस्से
अपनी कहो अब तुम कैसे हो

'मोहसिन' तुम बदनाम बहुत हो
जैसे हो फिर भी अच्छे हो

मोहसिन

©Jitender Kumar #GoodMorning 

इतनी मुद्दत बा'द मिले हो
किन सोचों में गुम फिरते हो

इतने ख़ाइफ़ क्यूँ रहते हो
हर आहट से डर जाते हो

#GoodMorning इतनी मुद्दत बा'द मिले हो किन सोचों में गुम फिरते हो इतने ख़ाइफ़ क्यूँ रहते हो हर आहट से डर जाते हो #shayri #shayrioftheday #urdupoetrylines #lafzo_ki_goonj #shayari_challenge #top_newser

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Jitender Kumar

White किसी का इश्क़ किसी का ख़याल थे हम भी
गए दिनों में बहुत बाकमाल थे हम भी

हमारी खोज में रहती थीं तितलियां अक्सर
कि अपने शहर का हुस्नो जमाल थे हम भी

ज़मीं की गोद में सर रख के सो गए आख़िर
तुम्हारे इश्क़ में कितने निढाल थे हम भी

ज़रूरतों ने हमारा ज़मीर चाट लिया
वगरना क़ायल ए रिज़्क़ ए हलाल थे हम भी

हम अक्स अक्स बिखरते रहे इसी धुन में
कि ज़िंदगी में कभी लाजवाल थे हम भी

 ~ परवीन शाकिर

©Jitender Kumar #sad_shayari 

किसी का इश्क़ किसी का ख़याल थे हम भी
गए दिनों में बहुत बाकमाल थे हम भी

हमारी खोज में रहती थीं तितलियां अक्सर
कि अपने शहर का हुस्नो जमाल थे हम भी

#sad_shayari किसी का इश्क़ किसी का ख़याल थे हम भी गए दिनों में बहुत बाकमाल थे हम भी हमारी खोज में रहती थीं तितलियां अक्सर कि अपने शहर का हुस्नो जमाल थे हम भी #shayri #lafzon #shayrioftheday #urdupoetrylines #shayari_challenge #top_newser

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Jitender Kumar

White लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं

मय-कदा ज़र्फ़ के मेआ'र का पैमाना है
ख़ाली शीशों की तरह लोग उछलते क्यूँ हैं

मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूँ हैं

नींद से मेरा तअल्लुक़ ही नहीं बरसों से
ख़्वाब आ आ के मिरी छत पे टहलते क्यूँ हैं

मैं न जुगनू हूँ दिया हूँ न कोई तारा हूँ
रौशनी वाले मिरे नाम से जलते क्यूँ हैं

~ राहत इंदौरी

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