Nojoto: Largest Storytelling Platform
ashutoshmishra6723
  • 46Stories
  • 147Followers
  • 409Love
    0Views

Ashutosh Mishra

ऐसी ख़ास हस्ती भी नहीं हूं, जो बारे में अपने बतलाऊ। अभिलाषा है लेखनी से, जीवन का सार मै दिखलाऊं। कवि नहीं हूं ना ही शायर, जो मै खुद पर इठलाऊं। मक़सद है कि क़लम के ज़रिए, किसी के काम मैं आ पाऊं। follow my page on Instagram--- Kavya_sarjak_210

  • Popular
  • Latest
  • Video
cdb7f97da02c57cfb2193339860d769a

Ashutosh Mishra

ये काल चाल चल रहा।
धारा को है कुचल रहा।
करें अब कैसे सामना ।
नहीं बाजुओं में बल रहा।
समय जैसे अटल हुआ।
संताप भी अचल हुआ।
है सूर्य अब छिपा हुआ।
आज से ना कल हुआ।
विचित्र ये काल खंड है।
ये उग्र है, प्रचंड है।
भूल जाने क्या हुआ।
जो मिल रहा ये दंड है।
इस काल के आवेग का
ये छोटा सा प्रसंग है।
करो सामना डट के सब
सरल नहीं ये जंग है।

#आशुतोष_मिश्रा #Door
cdb7f97da02c57cfb2193339860d769a

Ashutosh Mishra

दो वक़्त की रोटी के लिए
पूरी शक्ति निचोड़ देता है कोई।
पैसों के आभाव के कारण 
दामन इज्जत का छोड़ देता है कोई।

शाम ढले फुटपाथ पर सो कर
कुछ सपने संजोता है कोई।
और दिन निकलते ही शायद
अपनी किस्मत पर रोता है कोई।

ये सब कुछ देखो देख रही हैं
इमारतें ये बड़ी–बड़ी।
हालत देख भगवान की अपने
रोती होंगी खड़ी–खड़ी।

हताश है वो, परेशान भी है 
और शायद काफी मजबूर है वो।
जेब है खाली, खुशियों का बोझा
दिखता कोई मजदूर है वो।

#आशुतोष_मिश्रा #Labourday
cdb7f97da02c57cfb2193339860d769a

Ashutosh Mishra

सबको छोड़ जा रहे।
कुछ मुंह को मोड़ जा रहे।
कैसा ये काल चक्र है।
वो हाथ छोड़ जा रहे।
खुदा को प्यारे हो रहे।
हम साथ उनका खो रहे।
वो शून्य में विलीन हैं ।
अब ईश्वर के अधीन है।
बस याद मात्र छोड़ कर। 
पर्दों पर पात्र छोड़ कर।
थे जो सीखते इन्हें देख कर।
वो सारे छात्र छोड़ कर।
समय बड़ा बलवान है ये।
बचा है कौन प्रकोप से।
 करो विदा अब प्यार से।
ना आंसू से ना शोक से।

                   #आशुतोष_मिश्रा #irrfankhan
cdb7f97da02c57cfb2193339860d769a

Ashutosh Mishra

एक खालिश सी है उन यादों में।
तेरी कही उन बातों में।
इस उम्र से लंबी रातों में।
सच लगते उन झूठे वादों में।

काटे नहीं कटती रात मेरी।
ये गमों की है सौगात तेरी।
अब वैसी ना कोई बात रही।
सूखी मेरी बरसात रही।

अब लबों पर वो मुस्कान कहां।
अपनी वैसी पहचान कहां।
अब हम दोनों कहां साथ रहे।
मरते अपने जज़्बात रहे।

                     #आशुतोष_मिश्रा #emptiness
cdb7f97da02c57cfb2193339860d769a

Ashutosh Mishra

ये देख सभी हैरान हुए।
कैसा अदृश्य हैवान है ये।
लाखों को इसने खाया है।
जो भी चपेट में आया है।
शिकार है इसके लाखों में।
अब डर है सबकी आंखों में।
काल विध्वंशक लाया ये।
हरता है सबकी काया ये।
कितनों ने अपने खोए हैं।
वो फूट–फूट कर रोए हैं।
वीक्राल रूप धर के आया।
कैसा ये प्रण कर के आया।
कब दुख ये सबका जानेगा।
जाने क्या कर के मानेगा।
आशा है जल्द ये टल जाए।
काले बादल ये ढल जाएं।
आए खुशियां फिर जन–जन में।
फिर बच्चे खेलें प्रांगण में।
बस खुशियों का संचार रहे।
आपस में केवल प्यार रहे।

          #आशुतोष_मिश्रा #horror
cdb7f97da02c57cfb2193339860d769a

Ashutosh Mishra

कहा किसी ने "आजकल तो जैसे 
जिंदगी की कीमत दो कौड़ी है"।

शायद बहुतों ने ऐसे ही अपनी 
आखिरी आस भी छोड़ी है।

हां माना कि स्तिथि खराब है  
सबकी हिम्मत भी इसने तोड़ी है। 

भय के माहौल की घड़ी भी जैसे 
मानो लंबी चौड़ी है।

पर रखना होगा विश्वास हमें 
यूं विचलित होना थोड़ी है।

और विश्वास रखो पूरा इसपर 
जो ये खाकी–सफेद की जोड़ी है।

                                #आशुतोष मिश्रा #walkingalone
cdb7f97da02c57cfb2193339860d769a

Ashutosh Mishra

कोई राष्ट्र सेवा के लिए 
अपना सफेद कोट पहन कर
चल दिया है।
दहलीज पर खड़े अपने रूहासे 
बच्चे को मुड के ना देखने पर 
ज़रा बल दिया है।

कंधे पर स्‍टेथस्‍कोप के साथ–साथ 
जन सेवा का भी उसने
ज़िम्मा उठाया है।
किसी ने राष्ट्र सेवा के आगे 
अपनी खुशियों को भी 
लुटाया है।

इस अंधेरे के बीच जो 
आशा की एक किरण बनके
आए हैं।
कुछ ज़ाहिलों ने तो उन्ही 
के उपर पत्थर कई
बरसाए हैं।

कुछ फरिश्ते आसमान में 
नहीं हमारे बीच ज़मीन पर ही
रहते हैं।
शायद इसी लिए हम 
उन्हें भगवान का रूप भी
कहते हैं।

                    #आशुतोष_मिश्रा #Heartbeat
cdb7f97da02c57cfb2193339860d769a

Ashutosh Mishra

#OpenPoetry अधर – होठ (lips)

अनायास – आसानी से (simply)

मूक – चुप (बिना कहे) (mute)

कदमताल – साथ चलना (walk together)

मूल्याकंन – मूल्य आंकना (evaluation)

परिवेश – वातावरण (ambience)

भावों की अभिव्यक्ति – (expression of feelings) #OpenPoetry
cdb7f97da02c57cfb2193339860d769a

Ashutosh Mishra

#OpenPoetry  कुछ बातें बस हृदय में रहकर 
अधरों को सिल देती हैं।
तब ये कलम अनायास उन्हें 
एक पृष्ठ पर अंकित करती है।

बिना कहे बस मूक ही रहकर 
सब कुछ स्पष्ट कर देती है।
भावों की अभिव्यक्ति का भी 
सरल सा वर्णन करती है।

मन में भय बसता हो भले पर 
कलम नहीं कभी डरती है।
लेखक के मन के भावों से मिलकर 
कदमताल सी करती है।

है जो कलम अगर न्यायधीश की 
जीवन मूल्यांकन करती है।
और यही कलम है कितनों की जो 
हक़ की लड़ाई लड़ती है।

परिवेश हो जो लेखक के भाव का 
उसी में तो ये ढलती है।
चलती नहीं फिर किसी की आगे 
जब कलम सही मार्ग पर चलती है।
                                      #आशुतोष_मिश्रा #OpenPoetry
cdb7f97da02c57cfb2193339860d769a

Ashutosh Mishra

जननी  जाने क्यूं अपने भावों को मैं तुझसे इतना छिपाता हूं।
चाहता हूं पर तेरे सम्मुख कुछ भी ना कह पाता हूं।

मां मैं तेरे वात्सल्य पर उतना ही प्रेम लुटाता हूं।
फिर जानें व्यक्त करने में खुद को असमर्थ क्यूं पाता हूं।

हां शायद मैं गुस्से में थोड़ा ज्यादा बोल जाता हूं।
पर है प्रेम बहुत मां, माना मैं इतना नहीं जताता हूं।

डरता हूं ,सहेम जाता हूं ,खोने नाम मात्र से घबराता हूं।
तेरे आंचल तले मैं अपने असीम दुखों को भूल जाता हूं।

जाने क्यूं अपने भावों को मैं तुझसे इतना छिपाता हूं।
चाहता हूं पर तेरे सम्मुख कुछ भी ना कह पाता हूं।
                                  
                                     #आशुतोष_मिश्रा #ममता
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile