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saurabhbadgainya2569
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shiv putra

https://youtu.be/2-7DQhttps://youtu.be/2-7DQ1pTeWU1pTeWU

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cec9a05ba7d111144f7f50b1dba2b135

shiv putra

White शब्द वाक् अलंकारिक  है केवल । 
अहम् भावों का होना चाहिए
यूँ कहीं भी न खोला करें मन की किताबे
कोरे कागज को पढ़ने का हुनर भी तो होना चाहिए ।। 

                  
       विचार पीयूष
                             achrya  Pt. saurabh  dhar

©shiv putra #kavita
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shiv putra

सभी बहनों से एक ही निवेदन है की इस बार की राखी हर बहनों के सम्मान के लिए हो  भाई से  गिफ्ट में एक ही  बचन लें  की जैसे आप अपनी बहन की  सम्मान के लिए शेर बन जाते हैं  तो दूसरे बहन बेटियों के लिए कुत्ते  न बनें  सवाशेर  बन जायँ ||



pt saurabh dhar.

©shiv putra 
  #rakshabandhan
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shiv putra

अद्वितीय अमूल्य  समय ,यूँ निकल गया इस जीवन का।
सपनों की मीठी यादों में ,प्रवाह रुका इस जीवन का।। 

देखा मगर मै अपना न सका पढ़ा मगर न समझ सका  । 
झूठे यादों से जुड़करके मोती खोया जीवन का।। 


               प्रबाह रुका...... 

कवि  सौरभ धर

©shiv putra
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shiv putra

मनुष्य विचारों से निर्मित प्राणी है 
वो जैसा सोचता है वैसा बन  जाता है।

©shiv putra
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shiv putra

 सृजन के बीज हैं हम यूँ, निर्बीज हो नहीं सकते। 
अखंडित अंश सरीखे हैं यूँ, खंडित हो नहीं सकते
समंदर हैं सम्भावनाओं का
यूँ दरिया हो नहीं सकते।।

                               सौरभ धर बड़गैंयां

©shiv putra
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shiv putra

जो राष्ट्र अपने सभ्यता और संस्कृतिकी रक्षा नहीं कर पाता। 
वह राष्ट्र अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाता।। 
इसलिए गर्व से कहो हम भारतीय हैं

©shiv putra 
  #vandematram
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shiv putra

भौतिकता की दोड़ में जीवन यूँ ही खोते गये |
हम स्वयं ही स्वयं से दूर  होते गये
अमूल्य जीवन के मूल्य यूँ ही लगाते गये
मानों कांचों को बटोरा और मणियां खोते गये ||

क्या थी मंजिल और कहाँ चल पड़े हैं
पता स्वयं को नहीं पतन  मुहाने में खड़े हैं


जीवन की यूँ अविरल धारा सतत बहते जा रही है |
फिर भी क्यूं प्यासा  कंठ जलते जा रही है? ||

प्रलय और निर्माण तुम्ही हो |
निराकर साकार तुम्ही हो
चिन्मय सत्य आनंद अंश हो 
श्री राम प्रभु के अंश वंश हो ||

              कवि सौरभ धर

©shiv putra 
  #jeevandhara
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shiv putra

भौतिकता की दोड़ में जीवन यूँ ही खोते गये |
हम स्वयं ही स्वयं से दूर  होते गये
अमूल्य जीवन के मूल्य यूँ ही लगाते गये
मानों कांचों को बटोरा और मणियां खोते गये ||

क्या थी मंजिल और कहाँ चल पड़े हैं
पता स्वयं को नहीं पतन  मुहाने में खड़े हैं


जीवन की यूँ अविरल धारा सतत बहते जा रही है |
फिर भी क्यूं प्यासा  कंठ जलते जा रही है? ||

प्रलय और निर्माण तुम्ही हो |
निराकर साकार तुम्ही हो
चिन्मय सत्य आनंद अंश हो 
श्री राम प्रभु के अंश वंश हो ||

              कवि सौरभ धर

©shiv putra #jeevandhara
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shiv putra

कलम की नोक से यह पैगाम    लिखता  हूँ
यह केवल शब्द मात्र नहींअअंतस का अहसास लिखता हूं। 


प्रभु ने लिबाज  ही कुछ ऐसे दे रक्खे  हैं की दाग छिपते नहीं ।
फरेवो की नींव मेआशियाना   बना लो मगर वे सदा टिकते नही 
लिबाज को बेदाग रक्खु यह प्रयास करता हूं।। 
              यह केवल शब्द मात्र नहीं......।।१।।

कठिन है नहीं कुछ पाने में कठिनता है मगर कुछ खोने में
त्यागी ही इतिहास रचता   है  यह उदघोष लिखता हूं
              यह केवल .....।।२।।


कोई ना होगा हम सफर जिंदगी की सफर मेंअकेले ही आगे बढ़ना होगा
जीवन एक समर भूमि है यारोंयहां तो युद्ध खुद ही लड़ना होगा
जीवन के संघर्षों से लड़ता लड़ाता हूं।।
यह केवल शब्द मात्र नहीं अन्तश् का अहसास लिखता हूं।।३।।

हिसाब लगाना ये छोड़ दो कि क्या पाया और क्या, पा न सका ।
ठहरो और चंदपल सोचो जरा की जिंदगी के कुछ लम्हे क्या बेसहारों का काम आ सका।
सांसों की बैठ गाड़ी में  जीवन का सफर करता हूं।
यह केवल शब्द मात्र नहीं अंतस का अहसास लिखता हूं।।४।।


कलम की नोक से यह पैगाम लिखता हूँ।।
यह केवल शब्द मात्र नहीं अंतस का अहसास लिखता हूं।।


कवि सौरभ् धर्

©shiv putra

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shiv putra

पल-पल क्षण क्षण बीत रहा है
जीवन को यूं व्यर्थ न खोओ
कर्तव्य मार्ग के राही हो तुम
हो कर्तव्यविमूढ तुम मत सोओ,।।


जो संघर्षों से लड़ जाता है
वही प्रखर बन जाता है
कर्तव्य मार्ग में शिथिल न पड़
जो आगे बढ़ जाता है
वह कर्तव्य वीर छोड़ धरा को
निज इतिहास अमर कर जाता है।


राजगुरु सुखदेव भगत सिंह
  जाने कितने वीर हुए
स्वतंत्रता की यज्ञ वेदी में
जीवन को आहूत किए
वीर सपूतों के सपनों को
न धूल धूसरित होने दें
विश्व गुरु पद की गरिमा को
यूं न अब हम खोने  दें।।

वीर युवा अब जाग जाओ
मार्ग सनातन का अपनाओ
पाश्चात्य जगत व्यामोह को तोड़ो
भारत मां से नाता जोड़ो।।

©shiv putra

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