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amansachdeva7333
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Aman Sachdeva

Kuchh kahta hu, kuchh sunta hu, Sneh se jeevan bunta hu.., Jag me prem kosh lutane ko.., Akshar preet ke chunta hu.. Kuchh kahta hu, kuchh sunta hu. Follow me on Instagram by ID aman_anya

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Aman Sachdeva

एकाकी

मेरे तम में तुम भी छाओ,
तिमिरा! मीठा गायन गाओ;
ज्योति जल-जल कर हँस लेगी,
मेरे मन में निशे! मुस्काओ।

हो एकाकी तुम भी मुझ-सी,
झूठे टिम-टिम तारों के बीच,
कोई चंदा तेरा है ही नहीं,
जिसकी रश्मि उर को दे सींच।

पूरा अनुशीर्षक में पढ़ें।। मेरे तम में तुम भी छाओ,
तिमिरा! मीठा गायन गाओ;
ज्योति जल-जल कर हँस लेगी,
मेरे मन में निशे! मुस्काओ।

हो एकाकी तुम भी मुझ-सी,
झूठे टिम-टिम तारों के बीच,
कोई चंदा तेरा है ही नहीं,

मेरे तम में तुम भी छाओ, तिमिरा! मीठा गायन गाओ; ज्योति जल-जल कर हँस लेगी, मेरे मन में निशे! मुस्काओ। हो एकाकी तुम भी मुझ-सी, झूठे टिम-टिम तारों के बीच, कोई चंदा तेरा है ही नहीं, #Love #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqhindi #yqquotes #yqlove #bestyqhindiquotes

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Aman Sachdeva

विवशता

एक मैं भी विवश, एक तुम भी विवश,
विवशता है जन्मी नभ-धरा काल से...

हिम की विवशता जल बनकर बहे,
अश्रुएँ बाध्य होकर सबकुछ सहे,
नयनों की नियति प्रेम भरती रही,
विवश बहना हुआ पर कुछ ना कहे।

उस तरफ भी विवश, इस तरफ भी विवश,
प्रेम के युद्ध में मैं, सिर्फ़ लड़ूँ ढाल से..
एक मैं भी विवश, एक तुम भी विवश,
विवशता है जन्मी नभ-धरा काल से।। #nojoto #love #vivashata #poetry #hindipoetry #poet #kavita
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Aman Sachdeva

हमें बार-बार लिखना होगा

नित सूरज-सा दिखना होगा,
हमें बार-बार लिखना होगा।

भूखी मँहगाई का रोना,
भारत माँ का भूखा सोना,
खेतों को सूना छोड़ गए
उनके घर का रोना-धोना;

दुख का सार-सार लिखना होगा,
हमें बार-बार लिखना होगा।

पूरा अनुशीर्षक में पढें। नित सूरज-सा दिखना होगा,
हमें बार-बार लिखना होगा।

इतिहासों की भूल-चूक,
वर्तमान के मौन-मूक,
चुप से खण्डित होनेवाले
जो भावी सपने टूक-टक;

नित सूरज-सा दिखना होगा, हमें बार-बार लिखना होगा। इतिहासों की भूल-चूक, वर्तमान के मौन-मूक, चुप से खण्डित होनेवाले जो भावी सपने टूक-टक; #Poetry #Politics #words #poetrylovers #political

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Aman Sachdeva

अश्रु कवि के नेह की वाणी बना,
एक माँ की हँसती कहानी बना,
व्यर्थ मदिरा नहीं शोक में सूखता,
किसी सूखी नदी का पानी बना।। #nojoto #poetry #nojotopatna2 #poet Ankit Kumar (Star Singh) Poonam Aditi Joshi Sangeeta Rohtash

nojoto #Poetry #nojotopatna2 #Poet Ankit Kumar (Star Singh) Poonam Aditi Joshi Sangeeta Rohtash

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Aman Sachdeva

 #nojoto #hindiwrites #love #poet
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Aman Sachdeva

शिव प्रेम
राग बैराग का है मधुर और कठिन,
प्रेम की परिभाषा को शंकर कहो।
एक प्रेमी शिवा, उर में सारा जगत,
प्रेम के इस समर को भयंकर कहो।

जब सती प्रेम में जल अमर हो गईं,
प्रेम की वेदना में शिव खो गए,
कँगने तोड़कर धरा मुर्छित हुई,
देख सुख को दुखी अश्रुएँ रो गए।

पूरा अनुशीर्षक में पढें। राग बैराग का है मधुर और कठिन,
प्रेम की परिभाषा को शंकर कहो।
एक प्रेमी शिवा, उर में सारा जगत,
प्रेम के इस समर को भयंकर कहो।

वे अधर तानकर मुस्कराएँ अगर,
मधु गंगा की लहरों में बहने लगे;
प्रीत के गीत वे स्वर से गाएँ अगर,

राग बैराग का है मधुर और कठिन, प्रेम की परिभाषा को शंकर कहो। एक प्रेमी शिवा, उर में सारा जगत, प्रेम के इस समर को भयंकर कहो। वे अधर तानकर मुस्कराएँ अगर, मधु गंगा की लहरों में बहने लगे; प्रीत के गीत वे स्वर से गाएँ अगर, #Love #Shivasati

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Aman Sachdeva

दीवार में दरार है

हर्ष-भेद, दुख-व्यथा,
तीज-पर्व की पुकार है,
मन के भाव बँट गए तो
'विशाल मन' की हार है।

हमें तम में  बाँटकर
वहाँ प्रकाश का त्योहार है!
दीवार में दरार है,
षड्यंत्र है, व्यापार है।

पूरा अनुशीर्षक में पढें। एक चाँद उस तरफ,
एक चंद्रमा इस पार है;
'दीवार' में 'दरार' है,
षड्यंत्र है, व्यापार है।

सींच-सींच रक्त से,
किया सशक्त आधार है,
ईंट-ईंट जोड़कर

एक चाँद उस तरफ, एक चंद्रमा इस पार है; 'दीवार' में 'दरार' है, षड्यंत्र है, व्यापार है। सींच-सींच रक्त से, किया सशक्त आधार है, ईंट-ईंट जोड़कर #Politics #hindipoetry #nojotopatna

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Aman Sachdeva

धन मूल नहीं है, पहचानें।

साधन ने मति को मार दिया,
सेजों पर निद्रा वार दिया,
उपकरण अब भेद बताता है,
अब घड़ी रईसी दिखाता है,
सुख का पर्याय भोग हुआ,
सुख का साधन भी रोग हुआ!

पूरा अनुशीर्षक में पढें। सुखवट के फूल नहीं है, पहचानें,
धन मूल नहीं है, पहचानें।

लेकर माया का अँधियारा,
लोचन ने लोभ को ललकारा,
वैभव ही 'धन' है मान लिया!
संचय जीवन है मान लिया!
कैसी विचित्र-सी युक्ति है?

सुखवट के फूल नहीं है, पहचानें, धन मूल नहीं है, पहचानें। लेकर माया का अँधियारा, लोचन ने लोभ को ललकारा, वैभव ही 'धन' है मान लिया! संचय जीवन है मान लिया! कैसी विचित्र-सी युक्ति है? #hindipoetry #secondquote #nojotopatna

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Aman Sachdeva

प्रेमधर्म


मैंने प्रेम किया, किया धर्म प्रिया,
जो सकल विश्व का मर्म प्रिया।

पूरा अनुशीर्षक में पढें। मैंने प्रेम किया, किया धर्म प्रिया,
जो सकल विश्व का मर्म प्रिया।

रंग-रूप, भेद, जाति-धरम,
अर्थ, ऊँच-नीच, मन का भरम,
 घृणा का शाप कैसे सहता?
प्यार को पाप कैसे कहता?

मैंने प्रेम किया, किया धर्म प्रिया, जो सकल विश्व का मर्म प्रिया। रंग-रूप, भेद, जाति-धरम, अर्थ, ऊँच-नीच, मन का भरम, घृणा का शाप कैसे सहता? प्यार को पाप कैसे कहता? #Love #firstquote #nojotopatna #premdharm


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