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smitajain6592
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Smita Jain

❤️❤️Life is to Live❤️❤️

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Smita Jain

भला छोड़ दूं कैसे
(कवियत्री :- स्मिता जैन" रेवा ")
पृथ्वी हूं सूर्य की परिक्रमा को फिर भला छोड़ दूं कैसे?
पाती हूं जीवन तुमसे जीवन को फिर भला छोड़ दूं कैसे ?
  ❤🌹❤
तेज से तुम्हारे बुनती हूं ख्वाबों को 
पाती हूं एहसासों की फसल को
मेरी उर्वरा भूमि को फिर भला छोड़ दूं कैसे ?
❤🌹❤
चलती हूं संग तुम्हारे हरकदम 
कदमों को कदमों से मिलाकर
बीच सफ़र में  तन्हा फिर भला छोड़ दूं कैसे ?
❤🌹❤
पल-पल की सांसों को जीती हूं संग तुम्हारे 
उठाती ह़ूं लुत्फ ऋतुओं की विविधता का
पतझड़ में तन्हा फिर भला तुम्हें छोड़ दूं कैसे ?
❤🌹❤
पाती हूं होली की हुड़दंगी तुमसे
लेती हूं आशीर्वाद करवा चौथ पर तुमसे 
जीवन की खुबसूरत विविधता को भला छोड़ दूं कैसे ?
❤🌹❤
सजती हैं सुर-ताल संगीत के महफिलें तुमसे
बहती है सुरों की धारा स्पर्श से तुम्हारे 
बीणा के झंकृत तारों को फिर तन्हा भला छोड़ दूं कैसे ?
❤🌹❤
चलते हैं काफिले संग संग तुम्हारे 
बजती है शहनाई आगमन पर तुम्हारे 
अभिव्यक्ति को तन्हा फिर भला छोड़ दूं कैसे ?
❤🌹❤
खुशबू से तुम्हारी महकता है मन
खिलती है कई कलियां वन उपवन में 
मीठी सी मदहोशी को फिर भला छोड़ दूं कैसे ?
❤🌹❤
कटती है तनहाइयां तुम्हारे संग
वाद प्रतिवाद पर रुठने मनाने में 
लरजते अधरों के संवादों को फिर भला छोड़ दूं कैसे? 
❤🌹❤
खनकती है चूड़ियां,चमकता है सिंदूर 
महकती है मेहंदी की खुशबू हाथों में 
माथे की बिंदिया को फिर भला छोड़ दूं कैसे? 
❤🌹❤
जब थिरकते हैं अरमान दिल में तुम्हारे 
छाती है मदहोशी मन मस्तिष्क में हमारे 
तुम ही बताओ छुअन को तुम्हारी फिर भला छोड़ दूं कैसे?
❤🙏❤

©Smita Jain
  #2023Recap
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Smita Jain

कलम ही

कलम ही #कविता

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Smita Jain

ग़ज़ल

#Memories

ग़ज़ल #Memories #शायरी

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Smita Jain

कहना चाहते हो तुम कई सारे भेद
अपने मन के लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में।
सुनाना चाहते हो अपने दिल की हर धड़कन में
मेरे नाम का जिक्र निशब्द होकरआलिंगन कर बांहों में।
बीते हुए पल की सुखद अनुभूतियों के सुखद स्पंदन को
महसूस करना चाहते हो संग मेरे हमराज बनकर।
जीना चाहते हो लम्हा- लम्हा स्वप्निल से संसार में
संग मेरे ,मेरे हमसफ़र बनकर।
पल-पल टकटकी सी लगाकर मेरे इंतजार में
आबाज देते हैं मुझे मेरे हमजुबा़ होकर कहीं से।
सुनते रहते हो मेरे मन का अंर्तद्वंद
मेरे मौन से संवादों का मेरे हमबदन होकर।
लेकिन जीवन की कशमकश में भूल जाते हो
कुछ कहना है मुझसे और जुदा कर लेते हो
कुछ पल यादों के साए से हमसाया बनाकर।
अब तुम ही बताओ साथी कैसे कह दूं की
मन के अंतर्द्वंद से अंतर्मन में उपजी हुई
 हर हिलोर का तुम मेरा मौंन हो 
जबकि मैं तो तुम्हारे
 मौंन में हूं ।

स्मिता जैन

©Smita Jain तुम मेरा मौन हो

#diary

तुम मेरा मौन हो #diary #कविता

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Smita Jain

मै 
रहूं
या 
ना रहूं
💝
तुम
मुझमें
समायें 
रहना

©Smita Jain तुम

#KarwachauthFast
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Smita Jain

मेरी धड़कन 

#HeartfeltMessage

मेरी धड़कन #HeartfeltMessage #कविता

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Smita Jain

खामोशी कुछ कहती हैं

#GoodMorning

खामोशी कुछ कहती हैं #GoodMorning #कविता

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Smita Jain

🙏🙏गुरु पूर्णिमा पर विशेष🙏🙏
एक आस..... युगदृष्टा गुरु की
(स्वरचित रचना :- स्मिता जैन)

पग पग बंधे हैं हम
 रस्मों-रिवाजों के बंधनों से 
जन्म से अंतिम सांस तक 
अनंत ,अंतहीन, क्रियाकलापों से 
🙏🙏🙏🙏🙏
जिए जा रहे हैं 
यूं ही अपनी सांसों के संग 
अर्थ हीन से जीवन यापन में
 सजाने अपनी माया -काया को 
🙏🙏🙏🙏🙏
चलता जा रहा है कारवां
 इस मूक से संसार का
 देख कर अनदेखा,अनसुना,अनकहा
 भोगने भौतिक-सुखों की लालसा 
🙏🙏🙏🙏🙏
ढूंढ रहा है वक्त उस
मानवता के सच्चे साधक को
 हिंसात्मक, भयग्रस्त, संतापी जहान में 
पाने को शांति, अमन- चैन ,भाईचारा
🙏🙏🙏🙏🙏
 आडंबरों, कर्मकांडों से परे 
मानवता की श्रेष्ठता का स्वरूप
 चलता- फिरता, हमसे मिलता -जुलता सा
 सूर्य पुंज हो.. ज्ञान का 
 मर्मज्ञ हो.. संवेदना का 
एक आस......उस युगदृष्टा गुरु की।
🙏🙏🙏🙏🙏

©Smita Jain गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं #कविता

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Smita Jain

ख़ुद के लिए
                जीने वाले 
आजाद परीदों का
               कहां कोई पिंजरा
बना हैं जहान में 
?

©Smita Jain पिंजरा

#Walk

पिंजरा #Walk #शायरी

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Smita Jain

मेरी जिंदगी........
 एक ख्वाब
         एक अहसास
         एक स्पंदन
             एक जीवन
               एक जुनून
                  एक आस
                     एक विरह
                                  और सिर्फ एक ही
                                      इंतज़ार......
                             तेरा

©Smita Jain एक.....

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