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sapnachauhan9423
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Rudrakshi bharadwaj vats

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Rudrakshi bharadwaj vats

नहीं जानती मैं अपने अल्फाजों को कहां से शुरू करूं लेकिन चलो करते हैं ये जो घर की तस्वीर आप देख रहे हैं ये मेरे नाना नानी का घर है जिसकी एक एक ईंट मेरे नाना ने अपने हाथों से लगाई और इस घर को हम सब के लिए तैयार किया नानी ने इस घर को संवारा इस ईंट पत्थर के मकान को घर बनाया मेरे बचपन का हर यादगार लम्हा इस घर से जुड़ा हुआ है मेरी हर अच्छी और बुरी याद इस घर से है मैं मेरे नाना नानी दोनों से बहुत प्यार करती थी लेकिन अपनी नानी के ज्यादा करीब थी मेरा उनके प्रति लगाव बहुत ज्यादा था और वो भी मुझे बहुत प्यार करती थी हम भाई बहन इस घर की सबसे छोटी बेटी के बच्चे थे और मामा मौसी के बच्चों से उम्र में अंतर भी ज्यादा था इसलिए इस घर में सब बहुत प्यार करते थे गर्मियों की छुट्टियां होते ही सबको इन्तजार होता था हम सबके आने का क्यों कि एक साल बाद मिल रहे थे और हमारी नानी तो उस जमाने की गणितज्ञ थी पढ़ी लिखी नही थी फिर भी हमारे आने का एक दम सटीक अंदाजा लगा देती थी आखिर इंतजार उन्हें भी रहता था हम सब से मिलने का अपनी बेटी से मिलने मां और बेटी का रिश्ता तो आप समझते हैं न इस घर की रौनक हम सब लोग थे दिन रात कुछ भी पता नहीं चलता था क्यों कि सब लोगों का एक साथ होने का मतलब ४० से ५० लोगों की बारात सुबह मेरी आंख सबसे आखिर में खुलती वो भी जब मेरी मामा की बेटी दीदी मुझे छत से लेकर आती बड़े याद आते है वो दिन इस घर की छत पर एक कमरा जिसमें हम सारे बच्चे खेला करते कभी गुड़ियों की शादी तो कभी घर घर आज इस घर को यूं सुना देख कर आंखों में आसूं आ जाते हैं जिसकी दीवार की एक एक ईंट हम सब की हसीं ठिठोलियों का सबूत थी इस घर के आंगन की रौनक थे हम सब लोग इस घर का आंगन गवाह है बेटियों की विदाई का बहुओं की अगुआई का नाना के जाने के बाद सब कुछ इस घर से रूठ सा गया घर के आंगन से लेकर द्वार तक की रौनक खत्म सी हो गई लोगों का आना जाना भी उतना नहीं हम बच्चे भी बड़े हो गए शादियां हो गई अपने घर के हो गए लेकिन फिर भी मेरा लगाव इस घर के प्रति कभी कम नहीं रहा जब भी याद आता आंखों को नम कर जाता अब कोई नही आता इस घर की दीवारों का हाल पूछने दरवाजे भी ना जाने किसकी राह तकते हैं घर के बाहर का तो हाल आप देख ही रहे हैं जिस दरवाजे पे हमेशा लोगों की भीड़ हो हर जगह लोगों से भरी हो तो आज का नज़ारा देख कर बुरा लगता है ये घर निशानी है किसी के मां बाप की तो किसी के अम्मा बब्बा की नाना नानी की इनका हाल पूछने ही चले आया करो ये सूने घर राह देखते है अपनों की उनकी हसीं की।

©Sapna Chauhan # मेरी नानी का घर जहां लोग मुझे मेरी मां के नाम से जानते हैं

# मेरी नानी का घर जहां लोग मुझे मेरी मां के नाम से जानते हैं #Life

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Rudrakshi bharadwaj vats

#राम 
#Geetkaar
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Rudrakshi bharadwaj vats

#happy birthday sista

#Happy birthday sista #Poetry

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Rudrakshi bharadwaj vats

#Flute
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Rudrakshi bharadwaj vats

बेटियां नहीं चाहती बिक जाए पीहर 
उनके बचपन का वो नीड़ उनका घर
नहीं मानती उसे संपत्ति और व्यापार
आ सकें बस हम पाने-बांटने को प्यार 

कब चाहती हैँ हिस्सा घर के बंटवारे हों
चाहतीहैँ सलामत माँ बाबा हमारे हों
जब आतीहैँ पल्लू में परवाह लातीहै
सदक़े कितने मन ही मन उतारे हों

जब देखती हैँ आँखों से टूटता घर 
कोई नहीं सम्हालने वाला इधर
बूढ़े हो चलेहैँ इस बाग़ के माली भी
कोई नहीं करेगा यादों की रखवाली भी

तब रख कर पत्थर दिल पर रोती हैँ बेटियां
बेचने की मौन स्वीकृति दे देती हैँ बेटियां
मग़र सर की छत न देना किसी को बाबा
कोई नहीं पूछता गया घर कभी जो बाबा

दुनियाँ है, कहाँ ख़त्म होती हैँ लिपसाएं
लोगों को जितना मिले नहीं भरती इच्छाएं
घर को केवल मकान समझने वाले
कहाँ समझेंगे रिश्तों को दुकान समझने वाले

क्या रखेंगे ख़्याल मेरे जनक जननी का?
जिनका अधिकार ही नहीं एक चवन्नी का
दे सकेंगे सम्मान के साथ दो जून की रोटियां
डरती हैँ छिन न जाय उनकी सुकून की रोटियां

कर्तव्य पूरा न करके अधिकार मांगते हैँ
ये आज के कपूत पूरा संसार मांगते हैँ
दाने भी ड़ालते हैँ चंद रूपये भेजकर
मिल जाय वो भी रखा है जो माँ ने सहेजकर

क्या करोगे इतने धन दौलत लूट कर
कहाँ ले जाओगे,रह जाओगे छूट कर
बस यही मांगती हैँ मन्नत हम बेटियां
रह न जाए बूढ़े माँ-बाप कहीं टूटकर 

हर सुबह पीहर की दुआयें मांगती हैँ
घरवालों के हिस्से की बलाएं मांगती है
रख लो ये ईंट पत्थर के कमरे तुम भाई
हम,माँ-बाप का साया रह जाए मांगती हैं

©Sapna Chauhan
  #बेटियां नही चाहती की बिक जाए पीहर

#बेटियां नही चाहती की बिक जाए पीहर #Poetry

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Rudrakshi bharadwaj vats

# लक्ष्मी है हमारे घर की तू मां

# लक्ष्मी है हमारे घर की तू मां #Poetry

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Rudrakshi bharadwaj vats

ये समाज जीने नहीं देता 
घूंघट में रहो तो अनपढ़ गवार
बिन घूंघट के कोई लाज शर्म नहीं है
मां  बाप ने कुछ सिखाया ही नहीं
क्या शादी के बाद औरतों का कोई
अस्तित्व नहीं है।

©Sapna Chauhan #ये समाज जीने नहीं देता
#adishakti

#ये समाज जीने नहीं देता #adishakti #Poetry

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Rudrakshi bharadwaj vats

अंदर बहुत कुछ है कहने के लिए लेकिन
जुबां को अब सिर्फ़ ख़ामोशी पसंद है।

©Sapna Chauhan जज़्बात दिल के
#Mic

जज़्बात दिल के #Mic #Poetry

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Rudrakshi bharadwaj vats

काश ये सब झूठ होता,  तुम्हारा यूं अचानक चले जाना
लौट कर कभी वापस न आना
ये सब बस एक ख्वाब होता 
काश ये सब झूठ होता
बचपन से जिन सख्शियत को सामने पाते थे
जिन के लिए हम दुनिया से लड़ जाते थे
साल भर की दूरी के बाद वो मुलाकात का वक्त आता था
अब वो मुलाकात वो दूरी सब एक ख्वाब होता है
काश ये सब झूठ होता
मेरे जिंदगी का वो अहम हिस्सा मुझसे छूट चुका है
न जाने कितनी ही दफा मेरा दिल उनसे मिलने के लिए टूट चुका है
हर पल हर लम्हा उनके साथ बिताया हुआ अब भी याद आता है
जानती हूं की वो लौट कर नहीं आयेंगे
उन दोनों का इस दुनिया से जाना बस एक ख्वाब होता
काश ये सब झूठ होता

©Sapna Chauhan #Alas काश ये सब झूठ होता 
Miss you nana nani can't forget you

#Alas काश ये सब झूठ होता Miss you nana nani can't forget you #Poetry

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Rudrakshi bharadwaj vats

मां तु धड़कन है तु जान है
मेरी हर ख्वाहिश का आखिरी अरमान है
तु ही मेरी दुनिया तु ही मेरा भगवान है
आयी जब मैं इस दुनिया में तुने मुझे हर नजर हर बला से बचाया है
अक्सर मेरे पीछे चलने वाला तु ही वो साया है 
लड़खड़ाई जब भी मैं हाथ तुने अपना बढ़ाया है
मेरे दर्द पर अक्सर मरहम तुने ही तो लगाया है
कभी-कभी गुस्से में न जाने तुझे कितना कुछ कह जाती हूं
औरों की तरह शाय़द मैं भी तुझे दर्द दे जाती हूं
सुन कर मेरी बातों को वो फिर भी मुस्काती है
एक मां ही मेरी ऐसी है जो मेरी बातों को दिल से नहीं लगाती मिलने मैं जब भी उससे जाती हूं 
सारी चीज़ें मेरी पसंद की ही बनाती है
कहां पहुंचें कितनी देर लगेगी 
बार-बार यही सवाल पूछ कर  
न जाने कितने फोन लगाती है
आहट कोई भी हो भाग कर आती है
देखकर ये नज़ारा अक्सर कहते है लोग आज बेटी आने वाली है, तुम्हारी आंखों की ये झलक बताती है
पहुंचते ही मेरे लेके थाल नज़र अब भी मेरी उतारती है
लगाकर गले मुझे हाल वो मेरे दिल का जान लेती है
एक मां ही मेरी ऐसी है जो मुझे समझ पाती है।

©Sapna Chauhan # मां वो एहसास जिसको शब्दों में बयां करना मुश्किल है#

#MothersDay

# मां वो एहसास जिसको शब्दों में बयां करना मुश्किल है# #MothersDay #poem

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