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hardikshakyawar2695
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Hardik Shakyawar

Hardik Shakyawar, hardikshakyawar444@gmail.com, 8349703497

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Hardik Shakyawar

Nazm "

# सुना है वो लोगो के नज़रों में भर के रहते है, 
गर ये सच है  तो यूं करो घर बेचो कुछ दिन
 उनके शहर में किराए का मकां लेकर रहते हैं ,
अगर वो बोलते है तो लफ्ज़ उनके लबों से झड़ते है, 
चलो फिर उनके लफ्जो को नज्मों में पिरो कर रहते हैं,
की दिन में उन्हें भबरे सताते है,
 और रात को उनके अाघोष में जुगनू ठहर के रहते हैं, 
की उनके जुल्फों से सवरती है सुबह की पहली किरण,
गर ये सच है तो एक रात उनकी 
जुल्फों के साए में गुजार के रहते हैं ! #arzkiyahai
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Hardik Shakyawar

बारिश की बूंदों की तरह बिखर जाना चाहता हूं,
नींदों में ख़्वाबों की तरह टूट जाना चाहता हूं,
वफा में मिली ऐसी तन्हाई की मर जाना चाहता हूं,
घर के दीवारों से लड़ता हूं फिर रात होती है
 तो उसकी आघोष में सिमट जाना चाहता हूं,
बारिश की बूंदों की तरह बिखर जाना चाहता हूं,
खुद से दूर जाना चाहता हूं,
 फिर जाने क्यों शाम ढलते ही घर जाना चाहता हू,
डूब जाऊं मैं तो कोई निशां तक ना छूटे,
 ऐसे समुंदर की गहराई में उतर जाना चाहता हूं,
कभी मिले वो राहें तो उम्मीद जाग पड़े, 
ऐसी मंज़िल से होकर गुजर जाना चाहता हूं,
ये वही ज़िन्दगी है जिसे जी कर खुश हुआ था एक रोज़, 
और आज उसी ज़िन्दगी से मुकर जाना चाहता हूं 
बारिश की बूंदों की तरह बिखर जाना चाहता हूं ! #arzkiyahai
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Hardik Shakyawar

मैं अपने अधूरे ख़्वाब पन्नो पर लिखता हूं,
ज़िन्दगी यूंही सितम हो गई खुशियां सारी दफन हो गई,
ख्वाहिशों को ज़िंदा रख कर लकीरों पर मौत लिखता हूं,
मैं अपने अधूरे ख़्वाब पन्नो पर लिखता हूं,
मैं जागता हूं ऑर दुनिया सोती है , 
आंखो से आंसू टपके है ऑर में बूंदों पर गम लिखता हूं, 
मैं अपने अधूरे ख़्वाब पन्नो पर लिखता हूं,
इश्क़ ए बेवफ़ा ने डाल दी आदत बुरी,
अब मै ज़माने में ढलती शाम को पन्नो पर लिखता हूं,
इंसान के कंधे पर इंसान जा रहा है,
मैं उस कफ़न पर उसके अरमानों को लिखता हूं, 
मैं उसका नाम अपनी सांसों पर लिखता हूं, 
मैं अपने अधूरे ख़्वाब पन्नो पर लिखता हूं,
मेरे लबों पे नाम जिनका उनको तो पता नहीं,
ग़ज़ल में दर्द लिखा जिनका उनको ख़बर तक नहीं,
क्या पता उनको की उनको ही लिखता हूं,
मैं अपने अधूरे ख़्वाब पन्नो पर लिखता हूं ! #arzkiyahai
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Hardik Shakyawar

क्या पता था तुम हमसे दोस्ती ही तोड़ जाओगी ,
हमे तो बस तेरी बाहों में लिपटना अच्छा लगता था ।
क्या पता था तुम मेरी धड़कन ही लेकर चली जाओगी,
हमे तो बस तुझे सांसो में बसना अच्छा लगता था ।
क्या पता था तुम हमसे दोस्ती ही तोड़ जाओगी ,
हमे तो तेरे करीब आकर तुम्हें गले लगाना अच्छा लगता था ।
कि जब भी तेरी आंख से आंसू गिरे तो सिर्फ मेरे कांधे पर,
हमे तो तेरी वांहों में वांहें डालकर चलना अच्छा लगता था ।
क्या पता था तुम हमसे दोस्ती ही तोड़ जाओगी ,
हमे तो तुझसे मिलने के लिए ख़ुदा से झूठ बोलना अच्छा लगता था ।
क्या पता था तुम हमे आवारा कह कर चले जाओगे,
हमे तो बस तुझ पगली कहना अच्छा लगता था ।
क्या पता था तुम हमसे रूठ ही हो जाओगी, 
हमे तो बस तुमसे मोहब्ब्त करना अच्छा लगता था ।
क्या पता था तुम हमसे दोस्ती ही तोड़ जाओगी ,
हमे तो बस तेरी बाहों में लिपटना अच्छा लगता था । #arzkiyahai
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Hardik Shakyawar

" Poetry "

आओ मेरे पास की अब ये दूरियां सही नहीं जाती,
अब ये निगाहें तेरी तस्वीरों से कहीं नहीं जाती,
तड़प रहा है दिल मेरा तेरी यादों में हर शाम,
अब ये तन्हाइयों की मार मुझसे सही नहीं जाती,
बेकरार हूं कब से एक मुलाकात के इंतज़ार में,
ढलती है शाम तो ये सांसे भी ली नहीं जाती,
आओ मेरे पास की अब ये दूरियां सही नहीं जाती,
अब ये निगाहें तेरी तस्वीरों से कहीं नहीं जाती,
की इंतज़ार में तेरे कई राते है गुजर जाती,
याद न सताए तेरी ऐसी कोई घड़ी नहीं जाती,
आओ मेरे पास की अब ये दूरियां सही नहीं जाती,
अब ये निगाहें तेरी तस्वीरओं से कहीं नहीं जाती ! #arzkiyahai
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Hardik Shakyawar

घबराहट सी होती है मुझे ,तेरे ख्यालों के छुअन से । #अर्ज़कियाहै
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Hardik Shakyawar

अर्ज़किया है

अर्ज़किया है

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Hardik Shakyawar

मैं वो शख्स नही जो सूरतें निहार कर मोहब्बत की राहें दू,
मै तो इश्क सांसो से करता हु जब तक चलेंगी दिलों जान से चाहूंगा । #अर्ज़कियाहै
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Hardik Shakyawar

khol tere ghr ki khidkiyon ko hata najuk pardo ko, aaj fir tera diwana shahar me bhatkta dikhega #arjkiyahai

khol tere ghr ki khidkiyon ko hata najuk pardo ko, aaj fir tera diwana shahar me bhatkta dikhega #arjkiyahai

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Hardik Shakyawar

जो हर रोज़ तुझे छूकर गुज़र रही है, एक शख़्स खो गया उस
   बहती सी हवा में। #NojotoQuote एक शख़्स
#Story #poetry #dard

एक शख़्स #story #Poetry #Dard

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