महफिल लगी है दर्द के मारों की आज शब
यानी के जो भी शख़्स है शामिल उदास है
محفل لگی ہے درد کے ماروں کی آج شب
یعنی کہ جو بھی شخص ہے شامل اُداس ہے
रिज़वान हैदर #Poetry
Tammar Naqvi Rizwan
मत पूछ दोस्त आज बहुत दिल उदास है
ख़ामोश हुस्न ए यार है महफिल उदास है
مت پوچھ دوست آج بہت دل اُداس ہے
خاموش حسنِ یار ہے محفل اُداس ہے
मक़तूल ने मदद की किसी को सदा न दी
ये बात सोच सोच के क़ातिल उदास है #Poetry
इक तो मैं ,मैं न रहा वो भी गया हाथों से,
इश्क़ ने यार लिए मुझ से भी हरजाने दो !!
اِک تو میں ،میں نہ رہا وہ بھی گیا ہاتھوں سے،
عشق نے یار لیے مُجھ سے بھی ہرجانے دو !!
बाद में लूँगा मैं हर ज़ुल्म का बदला तुम से,
पहले अफ़लाक से ईसा को उतर आने दो !!
بعد میں لونگا میں ہر ظلم کا بدلا تم سے،
پہلے افلاک سےعیسیٰ کو اُتر آنے دو !! #Poetry
Tammar Naqvi Rizwan
मैं हूँ मजनूँ मुझे सहरा की तरफ़ जाना है
वो ये कहता है कि दुनिया की तरफ़ जाना है
.
तश्ना-लब भी हूँ परेशान भी ये सोच के हूँ
डूबने भी मुझे दरिया की तरफ़ जाना है
میں ہوں مجنُوں مُجھے صحراء کی طرف جانا ہے
وہ یہ کہتا ہے کہ دونیا کی طرف جانا ہے
#Poetry#alone
Tammar Naqvi Rizwan
नज़र-ए-करम हो मुझ प भी एै दो जहाँ के रब
मर जाऊँ इस से पेहले कहीं तिश्नगी से मैं
Rizwan Haider #Poetry