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tammarnaqvirizwa4777
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Tammar Naqvi Rizwan

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Tammar Naqvi Rizwan

ہماری ذات کا یہ المیہ ہے
کہ ہم روز ازل سے عاجزی ہیں




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©Tammar Naqvi Rizwan
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Tammar Naqvi Rizwan

महफिल लगी है दर्द के मारों की आज शब 
यानी के जो भी शख़्स है शामिल उदास है









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©Tammar Naqvi Rizwan महफिल लगी है दर्द के मारों की आज शब 
यानी के जो भी शख़्स है शामिल उदास है 

محفل لگی ہے درد کے ماروں کی آج شب 
یعنی کہ جو بھی شخص ہے شامل اُداس ہے 
रिज़वान हैदर

महफिल लगी है दर्द के मारों की आज शब यानी के जो भी शख़्स है शामिल उदास है محفل لگی ہے درد کے ماروں کی آج شب یعنی کہ جو بھی شخص ہے شامل اُداس ہے रिज़वान हैदर #Poetry

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Tammar Naqvi Rizwan

مقتول نے مدد کی کسی کو صدا نہ دی 
یہ بات سوچ سوچ کے قاتل اُداس ہے
رضوان حیدر

©Tammar Naqvi Rizwan मत पूछ दोस्त आज बहुत दिल उदास है 
ख़ामोश हुस्न ए यार है महफिल उदास है 

مت پوچھ دوست آج بہت دل اُداس ہے 
خاموش حسنِ یار ہے محفل اُداس ہے 

मक़तूल ने मदद की किसी को सदा न दी 
ये बात सोच सोच के क़ातिल उदास है

मत पूछ दोस्त आज बहुत दिल उदास है ख़ामोश हुस्न ए यार है महफिल उदास है مت پوچھ دوست آج بہت دل اُداس ہے خاموش حسنِ یار ہے محفل اُداس ہے मक़तूल ने मदद की किसी को सदा न दी ये बात सोच सोच के क़ातिल उदास है #Poetry

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Tammar Naqvi Rizwan

तुम्हारे दर प दस्तक दे रहा हूँ 
मैं अपने दिल को ठंडक दे रहा हूँ 

मुझे जो दर्द अपनों ने दिया है 
मैं उससे भी भयानक दे रहा हूँ 

जमा करना मिरी यादों को अक्सर 
मैं तुमको एक गुल्लक दे रहा हूँ 

तुम्हें भी देखना है साफ दुनिया 
तुम्हें मैं अपनी एैनक दे रहा हूँ 

उसे बिछड़े ज़माना हो गया है 
सदाएँ लेकिन अब तक दे रहा हूँ



                           


                                                                 रिज़वान हैदर











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©Tammar Naqvi Rizwan #humantouch
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Tammar Naqvi Rizwan

اِک تو میں ،میں نہ رہا وہ بھی گیا ہاتھوں سے،
عشق نے یار لیے مُجھ سے بھی ہرجانے دو !!

بعد میں لونگا میں ہر ظلم کا بدلا تم سے،
پہلے افلاک سےعیسیٰ کو اُتر آنے دو !!
 ۔     رضوان حیدر      ۔

©Tammar Naqvi Rizwan इक तो मैं ,मैं न रहा वो भी गया हाथों से,
इश्क़ ने यार लिए मुझ से भी हरजाने दो !!
اِک تو میں ،میں نہ رہا وہ بھی گیا ہاتھوں سے،
عشق نے یار لیے مُجھ سے بھی ہرجانے دو !!
बाद में लूँगा मैं हर ज़ुल्म का बदला तुम से,
पहले अफ़लाक से ईसा को उतर आने दो !!
بعد میں لونگا میں ہر ظلم کا بدلا تم سے،
پہلے افلاک سےعیسیٰ کو اُتر آنے دو !!

इक तो मैं ,मैं न रहा वो भी गया हाथों से, इश्क़ ने यार लिए मुझ से भी हरजाने दो !! اِک تو میں ،میں نہ رہا وہ بھی گیا ہاتھوں سے، عشق نے یار لیے مُجھ سے بھی ہرجانے دو !! बाद में लूँगा मैं हर ज़ुल्म का बदला तुम से, पहले अफ़लाक से ईसा को उतर आने दो !! بعد میں لونگا میں ہر ظلم کا بدلا تم سے، پہلے افلاک سےعیسیٰ کو اُتر آنے دو !! #Poetry

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Tammar Naqvi Rizwan

मैं हूँ मजनूँ मुझे सहरा की तरफ़ जाना है
वो ये कहता है कि दुनिया की तरफ़ जाना है 
तश्ना-लब भी हूँ परेशान भी ये सोच के हूँ 
डूबने भी मुझे दरिया की तरफ़ जाना है 

میں ہوں مجنُوں مُجھے صحراء کی طرف جانا ہے 
وہ یہ کہتا ہے کہ دونیا کی طرف جانا ہے 
تشنہ لب بھی ہوں پریشان بھی یہ سوچ کہ ہوں 
ڈوبنے بھی مجھے دریا کی طرف جانا ہے 
~ रिज़वान हैदर.                                                                                                   



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©Tammar Naqvi Rizwan मैं हूँ मजनूँ मुझे सहरा की तरफ़ जाना है
वो ये कहता है कि दुनिया की तरफ़ जाना है 
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तश्ना-लब भी हूँ परेशान भी ये सोच के हूँ 
डूबने भी मुझे दरिया की तरफ़ जाना है 
میں ہوں مجنُوں مُجھے صحراء کی طرف جانا ہے 
وہ یہ کہتا ہے کہ دونیا کی طرف جانا ہے

मैं हूँ मजनूँ मुझे सहरा की तरफ़ जाना है वो ये कहता है कि दुनिया की तरफ़ जाना है . तश्ना-लब भी हूँ परेशान भी ये सोच के हूँ डूबने भी मुझे दरिया की तरफ़ जाना है میں ہوں مجنُوں مُجھے صحراء کی طرف جانا ہے وہ یہ کہتا ہے کہ دونیا کی طرف جانا ہے #Poetry #alone

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Tammar Naqvi Rizwan

نظر کرم ہو مجھ پہ بھی اۓ دو جہاں کے رب 
مر جاؤں اس سے پہلے کہیں تشنگی سے میں
رضوان حیدر

©Tammar Naqvi Rizwan नज़र-ए-करम हो मुझ प भी एै दो जहाँ के रब 
मर जाऊँ इस से पेहले कहीं तिश्नगी से मैं 
Rizwan Haider

नज़र-ए-करम हो मुझ प भी एै दो जहाँ के रब मर जाऊँ इस से पेहले कहीं तिश्नगी से मैं Rizwan Haider #Poetry

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Tammar Naqvi Rizwan

रिश्ते में दूरियां कब आती है  इंसान जब फरेब के महकूम हो गए 
रिश्ते जो थे तमाम वो मज़लूम हो गए 
انسان جب فریب کے محکوم ہو گئے 
رشتے جو تھے تمام وہ مظلوم ہو گئے 
रिज़वान हैदर


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©Tammar Naqvi Rizwan #HumTum
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Tammar Naqvi Rizwan

इंसान जब फरेब के महकूम हो गए 
रिश्ते जो थे तमाम वो मज़लूम हो गए 
انسان جب فریب کے محکوم ہو گئے 
رشتے جو تھے تمام وہ مظلوم ہو گئے 
रिज़वान हैदर



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©Tammar Naqvi Rizwan #apart
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Tammar Naqvi Rizwan

अश्क को इश्क़ लिखा दर्द को राहत मैं ने 
देख अपना ली मिरी जाँ तेरी  आदत मैं ने 
اشک کو عشق لکھا درد کو راحت میں نے 
دیکھ اپنا لی مری جان تیری عادت میں نے

©Tammar Naqvi Rizwan
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