इन आँखों ने
क्या क्या देखा। अश्क़ के सिवाय कुछ नहीं तुम देखो तुम्हें इश्क़ दिखता है?
सच पूछो तो इन आंखों में तुम्हारे अलावा कुछ नहीं तुम्हे कोई गैर दिखता है?
इन आंखों में दर्द के सिवाय कुछ नहीं देखो तुम्हें खुशी दिखती है?
मेरी आंखों में हिंदुस्तान के अलावा कुछ देखो तुम्हे मज़हब दिखता है?
मेरी आंखों में महफूज़ के अलावा कुछ नहीं देखो तुम्हे अभी भी दहशत दिखती है? #poem