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praveenakumari3200
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praveena kumari

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praveena kumari

माना होती हैं मयस्सर सारी अज़ाइशें फ़कत पैसों से ही
मगर मिलता है रूह को सुकून फिर भी मुहब्बत से ही।1

भाग ले हम बशर चाहे कितना भी क्यूँ ना पैसों के पीछे
मगर मिलती हैं खुशियां सच में अपनों के कुर्ब़त से ही।2

❤❤प्रवीणा

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praveena kumari

सपनों के गुलाबी शहर में अपना भी इक मकान होगा
जिगर में छिपा होंसला और मुट्ठी में सारा जहान होगा।1

आयेगीं यकीनन मुश्किलें हर चार क़दम पर हयात में 
मगर देकर मात उन्हें पूरा करना दिल का अरमान होगा।2 

❤❤❤प्रवीणा

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praveena kumari

कहाँ सजती है बज़्म-ए-रिन्दा अब मयखाने में
क्योंकि सबके सब बेसबब मख़मूर है ज़माने में।

होकर मगरूर इंतहाई इतराने लगे हैं अब लोग
हो गए मशरूफ फ़कत औरों को आज़माने में।


❤❤❤प्रवीणा
बज़्म-ए-रिन्दा=शराबी की महफ़िल
मयख़ाना-मदिरालय
मख़मूर-नशे में चूर

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praveena kumari

झुके रहते हैं जो अक्सर फलदार शजर के माफ़िक
होकर भी कुछ लोगों के दोहरे किरदार से वाकिफ़।1

कर ले चाहे कितना भी सितम क्यूँ ना लोग उस पर
मगर बंदा वो दिलवाला कभी होता नहीं मुनाफ़िक़।2

❤❤❤प्रवीणा
शजर-पेड़
मुनाफ़िक़-पाखंडी

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praveena kumari

गुस्त़ाखियों और गुनाहों को अंज़ाम देकर चीजों को मयस्सर करना जितना आसान होता है साहेब
उतना ही मुश़्किल उसके बाद अपने ज़मीर को मुतमईन करना होता है।

❤❤प्रवीणा
मयस्सर-हासिल, मुतमईन-शांत

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जेबें गर भरी हुई हों तो इंसान के लहज़े और रवैये में तब्दीलियां अपने आप आ जाती हैं साहेब।

❤❤❤प्रवीणा

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praveena kumari

अब तक जो भी दोस्त मिले
सिर्फ हाइ हैलो वाले ही मिले।

बयां करे जिससे हाल-ए-दिल 
ऐसे तो बिल्कुल भी ना मिले।

समझ सके जो जज़्ब़ात मेरे
ऐसे तो आज तलक ना मिले।

देख सके जो आँखों में दर्द मेरे
ऐसे तो कोई भी ना मिले।

समझ सके जो अनकही बातों को 
बदकिस्मती से एक भी ना मिले।

बड़ी शिद्दत से चाहा सबको मैंने
चाहने वाले मुझे कोई ना मिले।

अब तक जो भी दोस्त मिले
सिर्फ हाइ हैलो वाले ही मिले।

😊😊😊😊प्रवीणा

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praveena kumari

           ❤फासले❤

होके मशहूर वो इतने मगरूर हुए
कैसे करे  हम बयां कि कितने चूर हुए।

बदलते रवैये ने उसके तोड़ा इस क़दर
क्या कहें किस क़दर हम मजबूर हुए।

किया तगाफुल जो उसने वज़ूद को हमारे
दर्द से मानो अधमरे कसम से हम हूजूर हुए।

जश्न-ए-कामयाबी में बेशक शामिल ना हुए
उसकी कामयाबी से मगर खुश हम जरूर हुए।

बढ़ गए फासले इस क़दर दिलों के दरमियाँ हमारे
कि पास होते हुए भी उनसे हम बहुत दूर हुए।

❤❤❤❤प्रवीणा
तगाफुल-नजरअंदाज


 

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praveena kumari

रास्ते चाहे एतबार के हों या फ़रेब के साहेब
अंधों के माफ़िक चलने की गुस्त़ाखी किसी पे नहीं करनी चाहिए।

❤❤प्रवीणा

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praveena kumari

किसी की बेईमानी से नहीं बल्कि अब तो किसी की मेहरबानी से डर लगता है साहेब।

❤❤❤❤❤प्रवीणा

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