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narendrakumar3882
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Narendra kumar

teacher poet

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Narendra kumar

माँ  मुझे  वरदान  दो  की  मां शारदे भवानी सुन, 
मां जग कल्याणी सुन।
मां जगदंबे जग तारिणी सुन।
मां ताराचंडी सुन, 
मां असुर निकंदनी सुन।
मां कालिका भवानी सुन। 
मां जग कल्याणी सुन।
मां शिव अर्धांगिनी सुन 
मां दयानिधि दानी सुन।
मां सुनकर, न सुना कर,
कर कृपा मां कृपा भवानी सुन।

©Narendra kumar
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Narendra kumar

मम प्रिय सदगुरु काटहूं  मम कर्म बंधन।
करहूं कृपा, कृपा करहूं रघुनंदन।
देहूं चरण रज देहूं नयन अंजन।
मिलहूं निज घट अंजनी नंदन।

©Narendra kumar
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Narendra kumar

Unsplash साधु स्वभाव सज्जन का,
रहे सुख-दुख में समान।
समय के आगे सब हारे,
चाहे कोई कितनो रहे महान।

©Narendra kumar #Book
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Narendra kumar

Unsplash बीज से जड,बीज से फुल।
बीज से फल ,बीज से मूल।
बीज के बीचोंबीच कौन खिंचे जल।
कौन सिंचे जड़ ,तना फूल और फल।

©Narendra kumar #leafbook
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Narendra kumar

Unsplash नर से नर जले, 
नारी से नारी।
नर, नारी के मध्य, 
नारायण पले पा ले तो,
लगे जीवन बड़ी प्यारी।

©Narendra kumar #Book
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Narendra kumar

Unsplash विश्वास तो विष पर भी किया जाता है इसका मतलब क्या? 
वो विश्वास लायक है।

©Narendra kumar #leafbook
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Narendra kumar

दूख सुख में हमें सम रखना प्रभु।
अहम भाव से हमें दूर रखना प्रभु।

©Narendra kumar #Sun
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Narendra kumar

निज चरण गति मति मोहे देहूं रामा।
रमा रहे निज मन प्रेम तोहे चरण में रामा।

©Narendra kumar
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Narendra kumar

नारी नारायण स्वरूपनी।
शिव शक्ति स्वरूप।
अर्धनारीश्वर शिव एक।
आदिशक्ति एक रूप।

©Narendra kumar #navratri
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Narendra kumar

Unsplash सबल निर्बल दोनों का बल,
है अविनाशी शिव भगवान।
कण-कण का करें वो नव निर्माण।
वो ही प्रदान करें नव निर्वाण।

वो ही एकांत में वो ही भिड़ में।
वो ही समाधि के अंतिम क्षीर में।
वो ही अंबर में वो ही पाताल में।
वो संगीत के सुर-ताल में।
वो ही सुर में वो ही असुर में।
वो आदि अंतिम के नूर में।

वो ही सृष्टि वो ही प्रलय।
वो ही सुंदर वो ही प्रेम मय।

©Narendra kumar #leafbook
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