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nojotouser2015719771
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शशांक तिवारी

indian ias aspirant sometimes poet - writer

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शशांक तिवारी

मुफ़लिसी की हर कहानी , याद रक्खो , अच्छा है ,
स्व-पीर खुद से ही जानी , याद रक्खो , अच्छा है !!

ज़िन्दगी के अँधियारों से , गर निकलना है तुम्हें ,
ठोकरों की हर निशानी , याद रक्खो , अच्छा है !!

धिक्कार ख़ाकर नाम रौशन , कर गए तुलसी सुनो ,
लोगों की तुम बदजुबानी , याद रक्खो , अच्छा है !!

प्रेम निःस्वार्थ निष्कपट में , माँ जैसा हिरदय बनो ,
इस सफर में होगी हानी , याद रक्खो , अच्छा है !!

रावण, कंस, शकुनी, दुर्योधन, मन्थरा, होलिका हैं फ़ैले ,
इनकी सत्ता मिलके हिलानी , याद रक्खो , अच्छा है !!

अस्त हो या व्यस्त हो , साथ रखना माँ-बाप को ,
खुशियों की वो राजधानी , याद रक्खो , अच्छा है !!

©शशांक तिवारी #PARENTS
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शशांक तिवारी

नज़र तिरछी , हल्की हँसी , और फिर लज़ा लेती है !
कुछ इस तरह राधा , कृष्ण की मूरत को भी , जगा देती है !!
-  शशांक

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शशांक तिवारी

मुश्किल में भी सत्य खड़ा हो , तब आते हैं राम !
तेरे मन में प्रेम भरा हो , तब आते हैं राम !!
लाख सभी ने किया अकेला , किस बात की चिंता फिर !
ख़ुद पर गर विश्वास खरा हो , तब आते हैं राम !!

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शशांक तिवारी

न मिलकर क्या खोया तुझको ? क्या मिलकर ही प्यार मिला ??
सबकुछ देकर इस धरती को , क्या नभ को अधिकार मिला ??
क्या पानी बिन फूल खिलेगा ? क्या जड़ बिन होगा पौधा ??
मेरा तो सर्वस्व तुम्हीं हो , क्यों तुमने ये ना सोचा ??

कसम तोड़ता हूँ तेरी मैं , फिर खुद को बीमार करूँगा !
जब आयेगा हाथ तुम्हारा , तब जाके आराम करूँगा !!

चेहरे पे मुस्कान लिए हो , अधरों की लाली चमकी !
सारी दुनिया ठहर गयी जब , कानों की बाली खनकी !!
एक तरफ तिरी सभी चूड़ियाँ , एक तरफ़ मेरा कंगन !
जो पहना था तूने उसको , सफल हुआ अपना बन्धन !!

क्या ख़ुशी है ना पाकर भी , मैं उसका संसार बना हूँ !
मत्थे पर के लाल रंग में , थोड़ा थोड़ा रोज सना हूँ !!

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शशांक तिवारी

कई सालों का साथ , सबके बीच में भी 
सिर्फ एक दूजे के हम , और अकेले में भी 

क्यों किया ऐसा जो इतनी बेफ्रिकी से ,
छोड़ दिया मेरी चूड़ियों से भरा हाथ ,
दुनिया तोड़ने को कह रही है ,
किसे पता कि तुम !! मेरी नसों में बह रहे हो !!

दुनिया को दिखाने को , मेरी माँग में , तुम्हारी जगह नही है 
क्या फर्क पड़ता है मुझे , तुमतो सदासे ही मेरे बालों में गुहे जाते हो
आज सिंदूर ना सही 

सब बात मानते थे आज एक बात मानोगे ना 
हाँ वही कि , हवा में आके थोड़ी सी धूल , मेरे सर पे डाल देना 
सज जाऊँगी फिर से तुम्हारी बनकर !!

आख़िरी बार जिस जगह से तुमने मुझे पुकारा था , वहीं खड़ी हूँ 
बेचैन है तुम्हारी लाडो और आज तुम , बेचैनी दूर करने नही आये !
आये तो हो !!
हाँ ! मेरी आँखों तक आँसू बनके !!

अम्मा ने फिर से मुझे चिढ़ाया , कह रही हैं तुम नही आओगे
लेकिन उन्होंने आज , मुझसे रोकर कहा है ये सब 
मुझे नही अम्मा को हँसाने आ जाओ
नही आओगे ना !! जानती हूँ मुझपे भरोसा करते हो
हँसा दूँगी अम्मा को मेरा वादा है
और हाँ मैं वादा नही तोड़ती
तुम्हारी तरह !!

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शशांक तिवारी

तुम्हें चाहिये , ले जाओ तुम ,
इस जग का सारा चंदन !
मुझे तो ठंडक तभी मिलेगी ,
जब प्रभु से होगा गठबंधन !!
- शशांक तिवारी

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शशांक तिवारी

इंद्रधनुष सा पल्लू रखकर , आज सजी है राजकुमारी !
बाहर बाहर हँसती जितना , मन अंदर से उतना भारी !!
पापा मम्मी के कन्धों में , रखकर सर ऊर्जा भर डाली !
नए घर जाकर दुनिया का , सारा सुख बरसाने वाली !!
सबकी खुशियों के ख़ातिर ही , खुद में इतना खोई नही है !
दीदी तुमसा कोई नही है !!

चेहरे पे मुस्काहत ताने , अपना दर्द छुपाना जाने !
जैसे अम्बर थामे तारा , वैसे हरदम दिया सहारा !!
लड़ती मुझसे मुझे चिढ़ाती , हार हार कर मुझे जिताती !
रोज गोद में मुझे लिटाती , अपने ख़्वाब भुलाती जाती !!
मेरी इच्छा-भूख के ख़ातिर , आटा रोटी लोई रही है !
दीदी तुमसा कोई नही है !!

आवाजों में मिश्री घोले , रिश्ते सभी सम्भाले वो !
सबके मन में बस जाने की , इच्छा हरदम पाले वो !!
तुझ 'द्रौपदी' से रिश्ते में , कृष्ण आज सब गौण पड़े हैं ?
क्योंकि सब लीला के पीछे , तेरे कारज मौन खड़े हैं !! 
इतना सब दे देने पर भी , तेरी आँखें रोई नही है !
दीदी तुमसा कोई नही है !!

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शशांक तिवारी

पत्र तुम्हारे , शब्द तुम्हारे , और हमारा छुप के रोना !
बोलो बोलो क्यों लिख डाला , तुमने दिल का कोना कोना !!

पलट के देखा फिर शरमाई , और हमारा पागल होना !
बोलो बोलो कैसे सीखा , तुमने ऐसा जादू टोना !!

मेरा चेहरा तकते रहना , जब तक मैं मुस्काऊ ना !
बोलो बोलो कैसे हो गया , तुमको पाना खुद को खोना !!

पिछले पल ही रूठ गयी थी , अगले पल पट जाती हो !
बोलो बोलो कैसे सीखा , झट मिर्ची से लड्डू होना !!

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शशांक तिवारी

सारी मर्यादायें तोड़ी , मन को थोड़ा किया सबल !
ज्यों ही पलटी मिरी ओर तो , आँखें भूल गयी हलचल !!
फिर कन्धे पे सर को रखकर , बही प्रेम की धारा !
पल भर में मीठा हो बैठा , आँख का पानी खारा !!
ऐसा ही है प्यार हमारा  !!

कुछ शिकायत वो करती थी , कुछ हमनें कर डाली !
पूर्ण समर्पित करके खुद को , प्रीत की लाज बचा ली !!
निष्छल मन से एक एक , बातों का खुला पिटारा !
सब अधिकार स्वतः जागे अरु , झुलसा दुःख-अंगारा !!
ऐसा ही है प्यार हमारा !!

ख़्वाबों के सच हो जाने का , समय आ गया आज !
हे कान्हा ! मुझे आज हो रहा , तेरे काज पे नाज !!
जिसकी तस्वीरों के बल पे , जीत गया जग सारा !
उनके सम्मुख आने से मैं , जीत जीत के हारा !!
ऐसा ही है प्यार हमारा !!

शरमा शरमा करके उसने , छल्ला कर दिया कपड़ा !
जिसमें उसने मिरे मन को , कस करके है जकड़ा !!
उसका हाथ बने अम्बर अरु , मैं हो जाऊं तारा !
उसमें सिमटूँ उसमें निखरुं , उसका होऊँ यारा !!
सदा रहे यूँ प्यार हमारा !!

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शशांक तिवारी

जो तुम्हारी पायलों में , शोर अब बढ़ने लगा है !
जो तुम्हारी आँखों में , इक रंग अब चढ़ने लगा है !
बेफिकर आवाज तेरी , कह रही है पास आओ !
पर सजी माथे पे बिन्दिया , कह रही है लाज खाओ !
एक होकर भी गुजारा , हो नही सकता !
तुम कहो तब भी तुम्हारा , हो नही सकता !!

वो जो गलियाँ पाठशाला , याद है मुझको !
वो जो मन्दिर ग्वाल बाला , याद है मुझको !
आँख में आँसू लिए जो , लौट आया दिल !
उस घड़ी को भूल पाना , है बहुत मुश्किल !
उस समय मुझसा बेचारा , हो नही सकता !
तुम कहो तब भी तुम्हारा , हो नही सकता !!

रोज लिखकर चिट्ठियों से , बात करता था सुनो !
तस्वीरें सीने लगाकर , रात करता था सुनो !
जब तेरा सारा उजाला , हो गया है शाम का !
तब भला अदना मैं तारा , रह गया किस काम का !
मैं तुम्हारा चाँद प्यारा , हो नही सकता !
तुम कहो तब भी तुम्हारा , हो नही सकता !!

मैं परिंदे सा उडुंगा , मुस्कराउंगा !
अब तुम्हारे रास्ते में , मैं ना आऊँगा !
न कोई बदला रहेगा , न कोई एहसान !
न कोई अपना रहेगा , न कोई अब जान !
सच कहूँ अब कोई हारा , रो नही सकता !
तुम कहो तब भी तुम्हारा , हो नही सकता !!
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