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rajneeshkumar8844
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Rajneesh Kumar

लफ्ज़ दर लफ्ज़ || सफ़ा दर सफ़ा

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Rajneesh Kumar

मैकशी  सोलह  बरस  की  हो गई है
ज़िंदगी यूँ ही  गुज़ारी  आ भी जाओ

जिस  हवेली  पर  बहारें  मेहरबाँ थीं
ढह गई सारी की सारी आ भी जाओ








धुन  सुनाओ  बांसुरी  की  ए  मुरारी
चार सू है  मारा मारी  आ भी जाओ

©Rajneesh Kumar #ghazal se
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Rajneesh Kumar

White कभी  कभी   जो   तिरे   क़ुर्ब  में   गुज़ारे  थे
अब  उन दिनों का तसव्वुर भी मेरे पास नहीं

गुज़र रहे हैं अजब मरहलों से दीदा-ओ-दिल
सहर की आस  तो है  ज़िंदगी की आस नहीं

मुझे  ये  डर  है  तिरी  आरज़ू  न  मिट  जाए
बहुत  दिनों से  तबीअ'त  मिरी  उदास  नहीं

नासिर काज़मी

©Rajneesh Kumar
  #love_shayari
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Rajneesh Kumar

न जाने क्या तुम्हें बतला रही होगी ये दुनिया
मेरी सब ख़ामियां गिनवा रही होगी ये दुनिया

©Rajneesh Kumar #ghazal se
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Rajneesh Kumar

अव्वल  तू ये मान के हैं
ये  मसले  ज़ुबान के हैं

©Rajneesh Kumar
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Rajneesh Kumar

हमारे शहर की गलियां बहुत ही तंग हैं लेकिन
हमारे  शहर  ने  सातों   समंदर  आज़माए  हैं

©Rajneesh Kumar #ghazal se
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Rajneesh Kumar

पत्थरों से रहम की  दरकार  मुझको खा गई
और ये दरिया-दिली भी यार मुझको खा गई

©Rajneesh Kumar #ghazal
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Rajneesh Kumar

ये  कहीं  नासूर  हो जाएं  न सब
ज़ख़्म ख़ूँ से धो रहे हैं आख़िरिश

©Rajneesh Kumar #ghazal se
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Rajneesh Kumar

खु़द-शनासा  हो रहे हैं आख़िरिश 
हम ख़ला में खो रहे हैं आख़िरिश

khud-shanasa ho rahe hain aakhirish 
hum khala me kho rahe hain aakhirish

©Rajneesh Kumar #ghazal se
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Rajneesh Kumar

रात  आई  मगर  गुज़र  न हुई
यार  के  शह्र  भी  सहर न हुई

कू-ए-जाँ लोग सब मिले तो हैं
पर सितम ये उसे ख़बर न हुई

©Rajneesh Kumar #ghazal se
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Rajneesh Kumar

रोज़-ओ-शब ही खा गई हैं याद और मैकशी 
बद-हवास   लोग  हैं   उदास   रहने  दीजिए

roz-o-shab hi kha gayi hain yaad aur maykashi
bad-hawaas log hain udaas rehne dijiye

©Rajneesh Kumar #ghazal se
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