जान की बात करते हो रुह भी निलाम कर देंगे,
गुरूर है अभिमान है ये हिंदुस्तान हमारा,
आंच आई ज़रा भी हमारे मुल्क़ पर,
सरेआम गद्दारों का कत्लेआम कर देंगे।।
माँ भारती की संतान हैं हम,
मौत को भी हम डरते नहीं,
जो दाग माँ पे लगाने की करोगे कोशिश,
हर कोशिश हम गद्दारों की नाकाम कर देंगे, #OpenPoetry
AlpDev
जान की बात करते हो रुह भी निलाम कर देंगे,
गुरूर है अभिमान है ये हिंदुस्तान हमारा,
आंच आई ज़रा भी हमारे मुल्क़ पर,
सरेआम गद्दारों का कत्लेआम कर देंगे।।
माँ भारती की संतान हैं हम,
मौत को भी हम डरते नहीं,
जो दाग माँ पे लगाने की करोगे कोशिश,
हर कोशिश हम गद्दारों की नाकाम कर देंगे, #OpenPoetry
AlpDev
ए मेरे वक्त बुरे,
तूझे भी मुबारक-ए-यारी हमारी,
तूझे भी मुबारक-ए-यारी हमारी।।
AlpDev
घमंड का बादल घंघोर छाया,
मेरे सारे अपनों में ऐसा,
कि वक्त के मार ने कर दी,
असलियत बयां सबकी,
कौन अपना कितना अपना सा,
कौन अपना कितना अपना सा।।
AlpDev
अफ़सोस-ए-आलम में टूटा हुआ,
ना जाने क्यों ही हमें तुमसे उम्मीदें थी।
अफ़सोस-ए-वफ़ा कुछ ऐसी हुई,
ना जाने क्यों ही हमने मुहब्बत की।।