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dctripthi8066
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dctripthi

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dctripthi

मुहब्बत में दिली जज्बात जियादा  रखो ,
हमेशा ही दोस्ती में भरोसे का वादा रखो ।। १
'''''''''''''''''
गुज़र ना जाए ए जीवन  कहीं तन्हाई  में ,
हक़ीक़त में साथ जीने  का  इरादा  रखो ।। २
       ''''''''''''''''
अपनी गलतियों से कुछ  सबक  सीखते ,
अब मुँह छुपाना है साथ में लिबादा रखो।। ३
              ,,,,,,,,,,,
लड़ाई झगड़े से हिस्से में दुश्मनी आती है ,
सुरक्षित रहना है तो हर समय प्यादा रखो ।।४
                   '''''''''''''''''''
ज़िन्दगी जियो ऐसे  कि दुनिया  याद  करे ,
सभी के साथ में नेक नियती ज्यादा रखो ।। ५
                        """""""""
कहाँ  जायज  है किसी का दिल  दुखाना , 
    दुःख  में भी ढाढ़स बधाने का माद्दा रखो ।। ६
                              """""""""
इश्क़ अंबुज करो यूँ तो इबादत  की  तरह ,
ख़ुदा के दर खड़े हो  फिरभी मर्यादा  रखो।। ७
                                 """""""'
डी सी त्रिपाठी ^अंबुज ^
रायपुर -छत्तीसगढ़

©dctripthi #IFPWriting
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dctripthi

ग़ज़ल सृजन
--------------
ज़िन्दगी में अगर प्यार की बरसात हो  जाये, 
ख़ुदा करे कि उनसे आज मुलाक़ात हो जाये।। 

मैं  हैरान  था  हमेशा  जिस  बात   को  लेकर ,
सोचता  हूँ  उनसे  आज  वही  बात  हो  जाये।।

वो चिलमन से मुश्कुराना नज़ाक़त भरी अदा ,
निगाहें करम हो मुझ पे  हँसी  रात  हो  जाये।।

न बोलने की मुझसे तुम कसमें निभा रही  हो ,
दोनों  के  बीच  बात  की शुरुआत  हो  जाये ।।

दोनों  की  धड़कनों  में  दरिया सी  रवानी  है ,
मचलते  हुए  अरमान  भी जज़्बात हो  जाये।।

आओ  लिखें इबारत ज़माने  में  मुहब्बत की ,
एक  दूसरे  की  आज   हम  हयात हो  जाये।।

ये  चाँदनी  रातें  मौसम  भी  सर्द  है  अम्बुज ,
शर्मो हया  के  बीच  कुछ  करामात हो  जाये।।

डी सी त्रिपाठी "अम्बुज "
रायपुर- छत्तीसगढ़ 
#साहित्य_सागर ।।

©dctripthi #Moon
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dctripthi

मस्त पवन के झोंको से लहराये तेरा  आँचल ।
बिखरे केश घटा मतवारी छाये नभ में बादल।।
~~~~~~~~
रिम झिम पड़े  फुहार भीगने को है आतुर मन , 
मन मयूर हो नाच रहा है दिल को भाये सावन।।
    ~~~~~~~~
खुशहाली चंहु ओर देख यूँ मन प्रसन्न हो जाए ,
कर सोलह श्रृंगार खड़ी है नैन लगाये  काजल।।
          ~~~~~~~~                                                                      रहकर प्रकृति की गोद में मुस्कुराओ ज़िन्दगी,
झरनों की सुंदरता का रोमांच बढ़ाये वर्षा जल ।।
              ~~~~~~~~
सकारात्मक सोच  लिये आगे ही बढ़ते जाना ,
कट जाएगा सारा संकट हाथ मिलाए साँवल ।।
                   ~~~~~~~~
देश रहे सम्पन्न सुदृढ मिलकर है  हमें बनाना ,
शौर्य पराक्रम के आगे दुश्मन हो जाये कायल।।
                        ~~~~~~~~                                                           इस महामारी में दिवाकर छोड़ना मत हौसला ,
नई-सुबह की खुशबू महकाये जीवन का पल।।

दिवाकर चंद्र त्रिपाठी 
रायपुर  -  छत्तीसगढ़

©dctripthi #BengalBurning
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dctripthi

#नारी ।
---------
   नारी तूम केवल नारी हो,
     निश्छल हो आज्ञाकारी हो ।
       कुछ भी प्रतिकार नहीं करती हो ,
         कुछ कहती कहाँ केवल सुनती हो ।
     
          सुबह से शाम तक जिम्मेदारियों के,
       बोझ तले  दबी रहती हो ।
    कितनी ही तकलीफ़ क्यों न हो,
स्वभावतः कहाँ किसी से कहती हो ।।
 
   कितना समर्पण है तुम्हारे विचारों में ,
     कितनी आस्था है ख़ुद के व्यवहारों में ।
       आदेश कैसा भी हो किसी का ,
        बड़ी ही सरलता से मान लेती हो  ।।

राजा ने विष दिया पीने को ,
  तुम #मीरा हो गयी ।
     आदेश दिया निकल जाओ ,
        तुम तो#सीता हो गयी  ।।

श्राप दिया गौतम ऋषि ने,
 तुम तो#पत्थर बन गयी ।
   पांडवों ने द्यूत क्रीड़ा में हारा तुमको ,
     उस अपराध की सजा तुम्हें मिल गयी।।

जीवन में इतनी सहजता,
  और धैर्य कहाँ से लाती हो ।
    थकान से चूर  उदासी में भी,
     अपनों को देख कैसे मुश्कराती हो ।।

#दिवाकर तुम भी तो कुछ करो,
   कि लोग अब नया विकल्प चुनें ।
     सारी जिंदगी जिसने सिर्फ़ सुना हो,
      अबसे #तुम_कहो, हम तुम्हें#सुनें ।।

#डीसी_त्रिपाठी

©dctripthi #womensday2021
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dctripthi

#कशमकश 
                     ~~~~~~                                                        बेतरतीब ज़िन्दगी साथ मिलकर सजाता कोई,
मेरी बिगड़ैल आदतों को  हक़ से बताता  कोई।।
~~~
क्रोधी,जिद्दी,दंभी कितनें नामों का पर्याय हूँ मैं,
पर मुझको मेरे ही वजूद से अग़र बुलाता कोई।।
~~~~~
यहाँ अस्तित्व की जंग में किसे अपना समझूँ ,
कृष्ण सा सारथी बन मुझे राह दिखाता कोई।।
~~~~~
किससे कहूँ दिल की बात "काश तुम मेरी होती,
बन जाता मीत अपनी चाहत से सताता  कोई।।
~~~~~
जहाँ तक नज़र जाये नहीं दिखता कोइ अपना,
तमन्ना थी थाम कर हाथ अपना बनाता कोई।।
~~~~~
मज़ा कुछ भी नहीं है इस  बेखुदी की दुनिया  में ,
याद-ए-माज़ी की गलियों में हमराह घुमाता कोई
~~~~~
कशमकश की जीस्त दिवाकर कब तक जिओगे,
काश इस अज़ाब से हमें  निज़ात दिलाता  कोई।।

दिवाकर चंद्र त्रिपाठी 
रायपुर - छत्तीसगढ़

©dctripthi #directions
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dctripthi

Read my thoughts on YourQuote app at https://www.yourquote.in/dc-tripathi-ensa/quotes/main-bevfaa-nhiin-zindgii-jiinaa-bhii-klaa-hai-flsfaa-nhiin-bx0fws

©dctripthi
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dctripthi

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dctripthi

#माँ_कहती_है ।
---------------------
सुंदर सुखद बना जीवन को माँ कहती है ।
छूलो बढ़कर नील गगन को माँ कहती है ।।

मुझसे तू है तुझमें मैं हूँ तू मेरी परछाई है ।
 बोल तोतली भाये मन को माँ कहती है ।।

उठना गिरना चलना ये भी सीख दिया हमने,
माँ का मान मिला इस तन को माँ कहती है।।

तेरी नटखट चाल आकर छुप जाना गोदी में,
सुरभित कर डाला तनमन को माँ कहती  है।।

तू मेरा प्रतिबिम्ब धरा पर चलती फिरती मूरत,
नयन निहारें रूप छोड़ दर्पन को माँ कहती है।।

मन उदास हो जाता जबआंखों से हो ओझल ,
इंद्रधनुष में रंग दिया है मेरे मन को माँ कहती है।

कल्पना दिवाकर रहा तुम्हारे अंतर्मन का बीज ,
कोटि नमन इस अद्भुत सृजन को माँ कहती है।

दिवाकर चंद्र त्रिपाठी । #sunlight
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dctripthi

#माँ_कहती_है ।
---------------------
सुंदर सुखद बना जीवन को माँ कहती है ।
छूलो बढ़कर नील गगन को माँ कहती है ।।

मुझसे तू है तुझमें मैं हूँ तू मेरी परछाई है ।
 बोल तोतली भाये मन को माँ कहती है ।।

उठना गिरना चलना ये भी सीख दिया हमने,
माँ का मान मिला इस तन को माँ कहती है।।

तेरी नटखट चाल आकर छुप जाना गोदी सुरभित कर डाला तनमन को माँ कहती  है।।

तू मेरा प्रतिबिम्ब धरा पर चलती फिरती मूरत,
नयन निहारें रूप छोड़ दर्पन को माँ कहती है।।

मन उदास हो जाता जबआंखों से हो ओझल ,
इंद्रधनुष में रंग दिया है मेरे मन को माँ कहती है।

कल्पना दिवाकर रहा तुम्हारे अंतर्मन का बीज ,
कोटि नमन इस अद्भुत सृजन को माँ कहती है।

दिवाकर चंद्र त्रिपाठी । #MothersDay
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