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theshadowdancer7586
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विनय कुमार

पेशेवर लेखक तो नहीं, लेकिन अपने जज़्बात और विचारों को उम्मीद की सिहाई से लिखना बख़ूबी आता है।

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विनय कुमार

हर वार किया करता हूँ मैं
रुक रुक कर चलने की कोशिश 
हर वार किया करता हूँ मै
घूँट-घूँट सब तानों को 
हर शाम पिया करता हूँ मैं
दिन भर घुट-घुट कर मर-मर कर 
रात ख्वाबों में जीया करता हूँ मैं।

©विनय कुमार
  #nojotashayari
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विनय कुमार

संघर्ष एक-एक रोटी का
संघर्ष है एड़ी चोटी का
कहीं कील और कंकड़ का
तो कहीं ये हीरे-मोती का..

©विनय कुमार #sangharsh#nojoto_poetry#nojoto
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विनय कुमार

कभी-कभी युहीं
ठहर जाने का मन करता है
इन हसीं वादियों में 
रह जाने का मन करता है
खामोश रहकर 
गुनगुनाने का मन करता है
सब दर्द छुपाकर
मुस्कराने का मन करता है
सब कुछ भुलाकर
बस युहीं खो जाने का मन करता है
कभी-कभी न जाने क्यों
 बस युहीं
ठहर जाने का मन करता है......

©विनय कुमार #kabhikabhi#shortpoem#nozoto
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विनय कुमार

भर दिए पन्ने कई,
कि लिख दिए नग़्मे कई
फिर भी..
खल रही कमीं कहीं,
सुकूँ मुझे मिला नहीं
अब....
लिखते-लिखते इन रैनों को,
सिहाई मेरी सूख गई
कि...
क्या दोष दूँ में पन्नों को,
जो कलम ही मेरी रुक गई।।।

©विनय कुमार #kalam#poem#nojoto
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विनय कुमार

शोला है दिल मे जलता जैसे आग सा
भुजा दूँ इसे तो रह जाता जैसे ख़ाक सा
टूटे दिल मे भी रह जाता एक एहसास सा
कि करता था कोई राज इस दिल पर खास सा....

©विनय कुमार #nightshayari #nojoto
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विनय कुमार

पौष-माघ के मासों में एक ऐसा दिन भी आता है
जब मिलके पूरा भारतवर्ष विजयी पर्व मानता है
अनेक रंगों वाला भारत तीन रंगों में रम जाता है
जात-पात का भेद भुलाकर हर कोई मुबारक पाता है
आँखों में चमक दिल जुनून से भर जाता है
तानकर सीना हर कोई राष्ट्रीय गान जब जाता है
गर्व से हर कोई यहाँ वीरों का सर सहलाता है
फिर शान से हर कोई यहाँ झंडा ऊँचा लहराता है
राष्ट्रीय दिवस ये राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस कहलाता है
राष्ट्रीय दिवस ये राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस कहलाता है।।

©विनय कुमार #गणतंत्रदिवस
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विनय कुमार

पौष-माघ के मासों में एक ऐसा दिन भी आता है
जब मिलके पूरा भारतवर्ष विजयी पर्व मानता है
अनेक रंगों वाला भारत तीन रंगों में रम जाता है
जात-पात का भेद भुलाकर हर कोई मुबारक पाता है
आँखों में चमक दिल जुनून से भर जाता है
तानकर सीना हर कोई राष्ट्रीय गान जब जाता है
गर्व से हर कोई यहाँ वीरों का सर सहलाता है
फिर शान से हर कोई यहाँ झंडा ऊँचा लहराता है
राष्ट्रीय दिवस ये राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस कहलाता है
राष्ट्रीय दिवस ये राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस कहलाता है।

©विनय कुमार
  #happy_Republic_Day#vande_mataram#nojoto#kavita
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विनय कुमार

लकीर से फ़क़ीर था
कहानियों का वज़ीर था
खुद के किये गुनाहों का
वो खुद में ही वकील था 

था वो दुनियां के जंजालों से अछूत-सा
बेफिक्र बेढंग मिज़ाज़-ए-महफूज़ सा
आँखों में लिए चमक कीमती शकल से वेरंग था वो
ग़रीबी में रहकर भी अमीरों सा मलंग था वो

लकीर से फ़क़ीर था
कहानियों का वज़ीर था
खुद के किये गुनाहों का
वो खुद में ही वकील था

जेब से गरीब लेकिन दिल से अमीर था 
लकीर का फ़कीर ना वो लकीर से फ़कीर था
लकीर का फ़कीर ना वो लकीर से फ़कीर था ।।।

©विनय कुमार #lakeer_se_fakeer#nojoto
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विनय कुमार

कल फिर वो शाम आएगी
शमा रंगहीन जब हो जाएगी
रोशनी जब धुंधला जाएगी
फिर वेचेनियाँ सी मुझको खाएगीं
पहर ये फिर अफ़सोस मनाएगी
नग्मे वेदनीय कई गाएगी
गहरी सोच में खो जाएंगे हम फिर एक वार 
आँख बंदकर सपनों में खो जाएगें हम फिर एक वार
ये नींद फिर सुबह को ही खुल पाएगी
कल फिर वो शाम आएगी
कि कल फिर वो शाम आएगी.....

©विनय कुमार
  #kal_fir_wo_shaam_ayegi#nojoto
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विनय कुमार

शोला है दिल मे जलता जैसे आग सा












भुजा दूँ इसको (इश्क़ को) तो रह जाता जैसे ख़ाक सा....

©विनय कुमार
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