Nojoto: Largest Storytelling Platform
akshatparasjain9106
  • 2Stories
  • 7Followers
  • 8Love
    0Views

Akshat paras jain

  • Popular
  • Latest
  • Video
e8bf5fd126ab2477ca517439e99173fe

Akshat paras jain

आज भी वही मेरा पहला प्यार है 
       
           यह बात जरूर है छोटी क्लास की
                     मगर बात नहीं है छोटे ख्वाब की
बात है यह पहले दिन की 
               जब टेबल से में टकराया था 
              लेकिन उसकी आंखो के नूर को देख,
                में चिल्ला भी ना पाया था ।
हां छोटी सी क्लास में ही 
               वह बहुत नखरे करती थी,
लेकिन यही बात तो मुझे 
                      उसकी सबसे अच्छी लगती थी।
      और अब तो मेरे दोस्तों को भी
               वही उनकी भाभी लगती थी
तभी तो लंच टाइम में 
                       मेरे लिए पूरी क्लास खाली रहती थी।
    हां वैसे तो कई बार आंखों से 
               अपने दिल की बात कर देता था,
 मगर पता नहीं क्यों उन्हें 
                        लफ्जों में बयां क्यों नहीं कर देता था।
   जी हां आज भी मैं उसे ही 
             याद करता रहता हूं,
      तभी तो अरिजीत के गाने 
              सुनता रहता हूं।
      मंजिल तो नहीं मगर 
            सफर की यादें जरूर साथ है,
                         तभी तो 
      'आज भी वही मेरा पहला प्यार है'

                 #अक्षत पारस जैन# school love
e8bf5fd126ab2477ca517439e99173fe

Akshat paras jain

जी हां रोया उस रात बहुत था मैं

जी हां रोया उस रात बहुत था मैं,
 जब घर छोड़कर हॉस्टल में आया था मैं ।

जो सपन देखे थे मेने 
              एक झटके मे  शीण हो गए,
माँ की आंखों में आँसू देख
             दिल के हर कोने नम हो गया ।
पापा की आवाज में पहली बार 
              मेने वह नमी पाई थी, 
जब मुड़ कर देखा मैंने तो
            'शायद' उनकी आंख भी भर आई थी ।1।
    
जी हां रोया उस रात बहुत था मैं,
जब घर छोड़कर ,हॉस्टल में आया था मैं ।

जब कदम रखा कमरे में मैंने 
              तो एक अजीब सी घबराहट आई थी ,
शायद मम्मी पापा के जाने की 
             मुझे ये आहट आई थी ।
जब मुड़कर देखा मैंने 
             तो ना कोई आगे पीछे था,
बस एक मायूस चेहरा और 
            सामने 'दीवारों' का पहरा था।2।

जी हां रोया उस रात बहुत था मैं,
जब घर छोड़कर ,हॉस्टल में आया था मैं।

भरे गले से मैंने अपने आप को 
            ठीक बताया था,
उस शाम पहली बार 
           जब फोन मां का आया था।
फोन के कटते  ही में
           जोर-जोर से मैं रोने लगा ,
और कुछ समय बाद गर्मी में 
          'कंबल' ओढ़ के फिर रोने लगा ।3।

जी हां रोया उस रात बहुत था मैं,
जब घर छोड़कर ,हॉस्टल में आया था मैं ।।
             
            ##अक्षत 'पारस' जैन## hostel life

hostel life #अक्षत


About Nojoto   |   Team Nojoto   |   Contact Us
Creator Monetization   |   Creator Academy   |  Get Famous & Awards   |   Leaderboard
Terms & Conditions  |  Privacy Policy   |  Purchase & Payment Policy   |  Guidelines   |  DMCA Policy   |  Directory   |  Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile