ये झूठी मुस्कान लेकर कहां जाऊं।
खो गए सारे पहलू ज़िंदगी के,
ऐसी धुंधली पहचान लेकर कहां जाऊं।।
हम तो खुद को भूल चुके है अब
मुझमें ठहरे इस अनजान मेहमान को लेकर कहां जाऊं।।
वक्त अब शेष हो चला है,
अब अधूरा इमतिहान लेकर कहां जाऊं।। #विचार#deep_thought#Drown#Alok_P_Gaurav#Undefined_Rainbow#Untold_memories