सैर कर दुनियाँ की ग़ाफ़िल ज़िन्दगानी फिर कहाँ
इत्तेफ़ाक़ से जो बन पड़े, वैसी कहानी फिर कहाँ
आई एक झोंके सी, कुछ पन्ने पलट कर चली गई
खिड़कियाँ खुली हैं पर वो हवा दीवानी फिर कहाँ
वही खिड़कियाँ हैं वही रात है और वही घटायें भी
भीगे लटों में खोया वो बारिश का पानी फिर कहाँ #शायरी#कसक#शजर
तेजस
सुनसान गलियों से गुजरती ये सुनसान रातें
सिसक पड़ती हैं याद कर अपनी मरहूमियत की बातें
बंद आँखों से सुनना कभी ये सिसकियाँ
ऐसे जैसे किसी बाँझ की लोरियाँ
बेचैन कर जाएँगी तुम्हें तुम्हारे सपनों में
तुम भी मरहूम पाओगे खुद को अपनों में
ये रातें मुस्कुरा भी लेती हैं कभी आँखें बचा कर सबकी
अकेले में मुस्कराने का कुछ मतलब ना निकल आये कहीं #Raat#कविता#Raatein#raatkibaat
तेजस
मुद्दतों बाद, फिर वही मुश्किल है सामने
के मुद्दतों बाद आज मिरा दिल है सामने
दिल चाहता है के हो जाऊँ फना फिर से
तबस्सुम सजाए, मिरा क़ातिल है सामने
अक्सर बस्तियों को होता है झूठा गुमान
सैलाब से बचाएगा जो साहिल है सामने #शायरी#katil
तेजस
शाम ओ सहर लबों पर सजाता हूँ तुझे
उतार कर ग़ज़लों में, गुनगुनाता हूँ तुझे
लिखता हूँ तुझे, मैं तन्हाइयों में अक्सर
सजा कर महफ़िलें फिर सुनाता हूँ तुझे
यूँ तो ये तन्हाईयाँ अब हमसाया हैं मेरी
होने लगे जो वहशत तो बुलाता हूँ तुझे #शायरी#YouNme
तेजस
आज फिर एकदम से अंतरात्मा चौंका है,
पर्यावरण दिवस है भाई, अच्छा मौका है।
कुछ करूँ कुछ लिखूँ सुबह से इसमें जुटा था,
तभी से जब AC बंद कर के बिस्तर से उठा था।
मैं भी तो प्रकृति प्रेमी हूँ ख्याल आया,
कुछ लिखने को मैं कलम उठाया।
20-30 पन्ने फाड़ा, कुछ ढंग का नहीं लिखाया,
टिश्यू पेपर से लगातार पसीना सुखाया। #विचार#पर्यावरणदिवस
तेजस
ना रवा कहिए, ना सजा कहिए
दर्द ए दिल को ही शिफा कहिए
दिल लगाने की सजा मिलती है
क्यों ना ऐसे शै को खता कहिए
वो देते तो थे, वफ़ा की मिसाल
छोड़िए, उन्हें मत बेवफ़ा कहिए #adventure#शायरी
तेजस
अश्कों में डूबी दास्तां सुन ले कोई,
दाद नहीं थोड़ी सी दुआ चाहिए।
जज़्बात दिल के उकेरे हैं गजलों में,
लिखता नहीं के मुझे सना चाहिए।
बोल दे कोई दो बोल हमदर्दी के,
रोने को इतनी सी वजह चाहिए। #शायरी#शजर
तेजस
समझ जाना उसे तू तवील ए बयां ए नज़र से।
रह गयी जो बात अधूरी लफ्ज़ ए मुक्तसर से।।
खयालों में तेरा अक्स जब भी उभर आता है,
महक सा उठता है मेरा वजूद तेरे ही सहर से।
जो मुत्तासिर है बेपनाह, तेरे किताबी हुस्न से,
क्या शिकवा करूँ तेरी मैं भला उस क़मर से? #Dreams#शायरी
#SushantSinghRajput को समर्पित...
सुशांत सिंह 'राजपूत' को समर्पित...
दास्तान ये मेरी नहीं, मेरे बेबसी की है।
शौक से वरना किसने ख़ुदकुशी की है?
आज भी देखो, मेरा ग़म मुझमें ही रहा,