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klmahobia2604
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K L MAHOBIA

poet ,Arthur

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K L MAHOBIA

बस अभिलाषा है इतनी 
तुम सम्मुख आओ
मैं दिव्य मनोहर चितवन का
दृग से पय पान करूं 
मेरी अभिलाषा है इतनी
तुम मेरे सम्मुख आओ
मै जीवन के श्रृंगार करू
देख मुझे तुम खिल जाओ!
मैं सम्मोहित मुग्धा हूं  
तुम मेरे सम्मुख आओ  !
मैं खिलू चांद सी नील गगन में ,
तुम मेरे तारे बन जाओ ! 
मै भरी  यामिनी वारिद माला , 
तुम प्रिय मल्हर गाओ !
मैं उषा की कुमुद कौमदी ,
तुम जीवन अंशुराशि विखराओ !
मैं अलके विखरा पड़ी शयन  में ,
तुम पुरवाई मीत मुझे जगाओ !
मेरी अभिलाषा है इतनी ,
 तुम मुझको यौवन मद का पान कराओ !!
मेरे सूने जीवन घट में प्रियवर 
प्रीति का अलख जगाओ !!
बस अभिलाषा है इतनी 
तुम सम्मुख मेरे मुस्काओ !! मेरी अभिलाषा है इतनी

मेरी अभिलाषा है इतनी

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K L MAHOBIA

मेरे गीत तुम्हारे सपनो में

मेरे गीत तुम्हारे सपनो में

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K L MAHOBIA

मधुर स्मृति
कोयल सी बोले मधुर मधुर 
छवि है निराली घटा जैसी !
प्यारी-प्यारी मृगनयी बाला
लहराए है तू सागर जैसी !
मद में आ पड़ा तेरा यौवन 
चपला-सी हो जाती चंचल !
पयोधर तेरे क्या कहने 
छाया उसमें निर्मल आचल !
तू हिले-डुले तो मचला जाए
जाने वो भी कितना पागल !
कलि है तू जिस बगिया की 
होगा उसमें हर दिन सावन !
तेरे नयनो में खो जाता जग
हँसी में तेरे सुमन बरसे !
ओ मतवाली,मधुबाला
तेरी मधुछवि देखन ललचे !! मधुर स्मृति

मधुर स्मृति

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K L MAHOBIA

कविता -   " बारिश में "

कविता - " बारिश में "

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K L MAHOBIA

लो प्रियवर प्रणाम मेरा,छट जाएगा अंधेरा !
मत बैठो मन को मारे,जग में आएगा सबेरा !!
तुम रख्खो सबसे दूरी ,अच्छा जो बात अधूरी !
घर में बैठे आज प्यारे,करो उसको पूरी !!
अपने और कितने साथी , जो चल पड़े सफर में !
जीवन अपना सच पड गया किस भवर में !!
मत सोचो ज्यादा और , प्यारे मुश्किल घड़ी है !
रक्षित रहो घर में बाहर ,मौत ले कोरोना खड़ी है !!
गुजारिश मेरे प्यारो ,मुसीबत आके जो है घेरा !
धैर्य रख्खो आज दिल में, जल्दी आएगा सबेरा !!
परिवर्तन सतत् प्रकृति में , संसृति का नियम है !
तुम वंदित ईश की अनुकृति , नश्वर यह सितम है !!
लो प्रियवर कर प्रणाम मेरा , नश्वर यह तम का अंधेरा ! 
मनस्वी मनुज संयम रखो ,आएगा फिर से भव में सबेरा !! #river


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