मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए
न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए
मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल न जाए
मिरा जाम छूने वाले तिरा हाथ जल न जाए
Pawan Sharma (p.k)
Pakhi Gupta ✍Ruchi ki kalam se✍ Pooja Preeti Shah Puspa Kri
Pawan Sharma (p.k)
#Umeed Soumya Jain कवि जय पटेल दीवाना Intezaar / इंतेज़ार Dhananjay Kumar Ram_N_Mandal
खुश हूं! क्योंकि,
में काम में खुश हूँ, आराम में खुश हूँ,
आज पनीर नही, दाल में ही खुश हूँ,
आज गाडी नही, पैदल ही खुश हूँ,
आज कोई नाराज़ नही, उसके इस अंदाज़ से खुश हूँ,
जिसको देख नही सकती, उसकी आवाज़ से ही खुश हूँ,
जिसको पा नही सकती, उसको सोच कर ही खुश हूँ,
बीता हुआ कल जा चुका है, उसकी मीठी याद में खुश हूँ,