Nojoto: Largest Storytelling Platform
siddharthadan1659
  • 119Stories
  • 168Followers
  • 2.1KLove
    905Views

kalam_shabd_ki

Siddharth Dan, M.tech, MIAZ, PhD Scholar, NITJ

https://instagram.com/kalam_shabd_ki?igshid=ZGUzMzM3NWJiOQ==

  • Popular
  • Latest
  • Video
effc47f99a11324237798248417ebbb2

kalam_shabd_ki

Unsplash सबकी खुशी में हँस के शामिल होता हूँ मैं,
दर्द छुपा के भी महफ़िल में रोता हूँ मैं।
एक खुशी से खुद को दूर रखूँगा,
जिस दिन तेरी डोली उठेगी, टूट जाऊँगा मैं।

- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki #library
effc47f99a11324237798248417ebbb2

kalam_shabd_ki

Sometimes, death is better than arguing
with a teacher who is like God.








.

©kalam_shabd_ki #Death
effc47f99a11324237798248417ebbb2

kalam_shabd_ki

White एक वही शख्स मेरी हर कहानी
हर किस्से में आया,
जो मेरा होकर भी ना 
कभी मेरे हिस्से में आया,
यूं तो हम पूरी दुनिया में
रिश्ते निभाते रहे,
जिससे दिल का रिश्ता था एक
वही रिश्ता मेरे हिस्से में ना आया |

- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki
effc47f99a11324237798248417ebbb2

kalam_shabd_ki

White मुस्कान मेरी पहचान है, दर्द की कोई राह नहीं,  
हंसी ठिठोली हर बात में है, पर हर बात मज़ाक नहीं।  
दिल के जख्म छुपाए हैं, जो बाहर से दिखते नहीं,  
हर खुशी के पीछे छिपा है दर्द, जो लफ़्ज़ों में कभी बयां नहीं।

- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki #GoodNight
effc47f99a11324237798248417ebbb2

kalam_shabd_ki

दर्द की बूँदें, कागज पर बिखरती रहीं,
अवसाद में, रात भर लिखता रहा।

नक्षत्रों से मिले, आकाश की ऊँचाइयाँ,
मैं चाँद की छाँव में, छिपा रहता रहा।

अगर टूट जाता, कब का मैं मिट गया होता,
मैं तो नाज़ुक शाखा, सबके आगे झुकता रहा।

लोगों के रंग बदले, अपने-अपने ढंग से,
मेरे रंग में भी आई चमक, पर मैं हर बार घुलता रहा।

जो थे आगे बढ़ने में, वो मंज़िल की ओर चले,
मैं गहराइयों में समुद्र का रहस्य समझता रहा।

(सिद्धार्थ दाँ)
- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki #river
effc47f99a11324237798248417ebbb2

kalam_shabd_ki

क्योंकि तुम मिलने नहीं आए, तब तुम बीमार थे,  
अब मैं बीमार हूँ,  क्योंकि तुमसे मिलना नहीं है।  
बातें तुमने की थीं, अब खामोशी है,  
ये बीमार का बहाना है, या फिर बस अदाकारी है।

- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki #sad_quotes
effc47f99a11324237798248417ebbb2

kalam_shabd_ki

White  मुझे गंदी राजनीति का हिस्सा नहीं बनना,  
क्या तुम सच्ची राजनीति में मुझसे टकरा पाओगे?  
जिस खेल को आज तुम खेलते हो,  
वो खेल एक समय हम भी महारथी बनकर खेलते थे।  

मैंने इस खेल को छोड़ दिया है, पर खेलना नहीं भूला,  
तुम क्या जानो, इस रण में हम बाजी पलटाते थे।  
तुम अपने में खोए हो, मैं तुम्हें समझता हूँ,  
तुम लड़ाई करते हो, मैं वक्त का इंतज़ार करता हूँ।  
मैं राजनीति का एक कुशल खिलाड़ी हूँ,  
मेरे जवाब से तुम उत्तर देने के काबिल नहीं रहोगे।  

हर कदम पर चुपके से मैं जाल बुनता हूँ,  
तुम्हारी हर चाल पर मेरी नजर है, बस तैयार।  
यह जंग अपनों की है, पर अपना कोई नहीं। 
ये रिश्ते की अहमियत भी तुम क्या समझोगे।

- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki #sad_quotes
effc47f99a11324237798248417ebbb2

kalam_shabd_ki

White मैं उस सीढ़ी से फिसला,
जिसके बाद छत आने वाली थी,  
बस एक कदम था बाकी,  
पर किस्मत ने फिर से चाल चली थी।  

रिश्तों की उस मोड़ से लौटा,  
जहां रास्ते कई खुलते थे,  
पर उलझनों में खो गया मैं,  
जहां दिल के फैसले बिखरते थे।  

छत की तलाश में चला था,  
पर शायद रास्ते ही बदल गए,  
जिन्हें मैं अपना मान रहा था,  
वो पल कहीं दूर निकल गए।  

अब न छत की ख्वाहिश बाकी,  
न रिश्तों का वो सवाल,  
मैं अपनी राह पर हूँ चल पड़ा,  
नया सफर, नई मिसाल।

- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki #Thinking
effc47f99a11324237798248417ebbb2

kalam_shabd_ki

White जज़्बात नहीं, अरमान लिखूंगा,  
हर अधूरी ख्वाहिश का बयान लिखूंगा।  
खुद से खुद की ये अनकही दास्तां,  
मैं हर पन्ने पर नई पहचान लिखूंगा।

रूह को जिन्दा, लम्हों में ढालूंगा,  
हर साँस में, मैं नए सपने पालूंगा।  
जिस्म को मानो मैं मुर्दा कर दूंगा,  
पर दिल की धड़कन को अमर लिखूंगा।

शाम को मैं सांझ की चादर दूंगा,  
खून को मैं लहू की तरह बहा दूंगा।  
दर्द को मैं किस्मत का हिस्सा मानूंगा,  
और हंसी को ख्वाबों में सजा दूंगा।

लिख पाऊं तो हर अल्फाज़ में बसा दूंगा,  
मैं खुद को खुद से बार-बार लिखूंगा।  
हर लफ्ज़ में अपनी परछाईं रचूंगा,  
इस कहानी में, मैं खुद को ही लिखूंगा।

- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki #Sad_shayri
effc47f99a11324237798248417ebbb2

kalam_shabd_ki

कुछ शिकवे-गिले से लगते हो,  
तुम कहो तो सारे मिटा दूँ क्या। 

दिल में छुपा है दर्द गहरा,  
तुम कहो तो, तुमसे छिपाऊँ क्या ।

तुम्हें लगता है मेरी मोहब्बत कम है,  
तुम कहो तो हर दिन जताऊँ क्या। 

पर अफसोस, तुम कुछ भी कहते नहीं,  
साथ होने का वादा, पर कभी रहते नहीं।  
दिल में हैं अनगिनत सवाल,  
तुम कहो तो सभी बताऊँ क्या। 

तुम शायद मुझे कभी समझ न पाओ,  
एक बार कह कर तो देखो,  
तुम्हें समझाऊँ क्या।

- मेरी कलम








.

©kalam_shabd_ki
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile