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Shubham Sahay

Aspiring writer who wants her voice to be Heard ✨

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Shubham Sahay

*माजी*

पूछा जब मैंने, अतीत से एक सवाल,
थकते नहीं तुम, संजो कर इतने काल।

हस्ते हुए बोला उसने, वर्तमान को भूत बनाऊंगा,
समय के इस पहिए को मैं साबित करता जाऊंगा।

 जब जब तुम रुकोगे, तो संघर्ष याद करावाऊंगा,
अतीत हूं तुम्हारा, परछाई बन साथ निभाऊंगा।

लेकर बैठा हूं , तुम्हारा हर हसना और रोना,
तुम्हारी मेहनत हो या किसी अपने को खोना।

मैं ना रहूं, तो मुड़कर किसे देखोगे,
हर पल जो जी लिए, तो आज को कहा समेटोगे।

पन्नों में मेरे, तुम्हें बीता हर पल मिल जाएगा,
परंतु ना रहेगा उसमे, तुम्हारा कल कैसा बन पाएगा।

तो ढोकर मुझे चलना छोड़ो, आगे भी तो बढ़ना है,
पन्नों को अब बंद कर दो, भावी से जो  लड़ना है।

जीवन नहीं सरल, इसे आसान तुम्हें बनाना है,
अतीत को ही सीढ़ी मानकर, भविष्य में कदम बढ़ाना है।
                 - शुभम् सहाय
                  @alfaazo__se #writersunplugged #wu #top50
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Shubham Sahay

मैं बंजारा

राही मैं हर एक कश्ती का,
किनारों की तलाश नहीं,
मन मौजी मैं आवारा हूं,
थोड़ा नासमझ, मैं तो एक बंजारा हूं।

किसी आशियानें की तलब नहीं,
रास्तों का ठिकाना कहा,
गुम रहूं किसी गली में मैं,
हर मोहल्ले का चमकता तारा हूं,
थोड़ा नासमझ, मैं तो एक बंजारा हूं।

मंजिल की चाह से परे,
मुसाफिर मैं दीवाना एक,
भूला भटका कह दो मुझे,
पर खुद का ही मैं सहारा हूं,
थोड़ा नासमझ, मैं तो एक बंजारा हूं।

कितनों के ठोकरों से ,
खुद को संभाला हूं,
दर्द में रोता भी मैं,
खुद को कई बार मैं हारा हूं,
थोड़ा नासमझ, मैं तो एक बंजारा हूं।

हसाता चलू मैं,
मुस्काता चलूं मैं,
अपने कला से सबको लुभाता चलूं मैं,
ज़ोर नहीं  अरमानों पर मेरे,
बेफिक्र हूं बहुत, शायद कोई सरफिरा सितारा हूं,
थोड़ा नासमझ , मैं तो एक बंजारा हूं।

ना प्यार की भूख,
ना जज्बातों की महसूस,
आसमान की चादर ,
से खुद को हर बारी मैं संवारा हूं,
थोड़ा नासमझ, मैं तो एक बंजारा हूं।

चांद की रोशनी में ,
खुद को प्रकाशित कर लेता,
बारिशों की आड़ में ,
अपने आंसुओं को हर लेता,
कितनी बार , रवि की किरणों से,
अपने हुनर को निखारा हूं,
थोड़ा नासमझ, मैं तो एक बंजारा हूं।

दो वक़्त की रोटी में,
सम्पूर्ण आनंद मिलता मुझे,
खबर नहीं रखता,
कि कौन था अपना यहां,
पराया भी तो अपना ही लगता मुझे,
कभी उसका रहा, तो कभी तुम्हारा हूं,
थोड़ा नासमझ, मैं तो एक बंजारा हूं।

तनहाई के शोलो में,
जब जलने लगूंगा,
इस दुनिया से दूर,
कहीं चलने लगूंगा,
आराम उस दूर गगन में कर लूंगा मैं,
भगवान के घर में एक घर लूंगा मैं,
शिकायत नहीं, ऐसी ज़िन्दगी से मुझे,
उनके पास से ही आया था,
उन्हीं के चरणों में, हरदम ही हारा हूं,
थोड़ा नासमझ, मैं तो एक बंजारा हूं,
थोड़ा नासमझ, मैं तो एक बंजारा हूं।
                    - शुभम् सहाय
@alfaazo__se #alone #writersunplugged #wu #top50


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