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vinaymishra7599
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Vinay Mishra

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Vinay Mishra

White मिश्री के जैसी मीठी हूँ मैं
मिर्ची के जैसी तीखी हूँ मैं 
कुछ भी कर सकती हूँ मैं
थोड़ी ज़िद्दी हूँ मै, हाँ स्त्री हूँ मैं
सबकी सुनती हूँ, सब कुछ करती हूँ
मुश्किलों से मै कभी ना डरती हूँ
सह लेती हूँ बीस हड्डियों के टूटने का दर्द
इस स्रष्टि का सृजन भी मै ही करती हूँ
रिश्तों की सलवटो पर 
एक उम्दा इस्तरी हूँ मै
थोड़ी ज़िद्दी हूँ मै, हाँ स्त्री हूँ मै
सब्र मेरा कब्र से भी गहरा है
ये वक़्त सिर्फ स्त्रियों के लिए ही ठहरा है
ख्वाहिशें तो है चाँद को छूने की
मेरी उम्मीदों पर समाज का पहरा है
सुधार दे जो ज़िंदगी की गाड़ी को
एक ऐसी बेहतर मिस्त्री हूँ मैं
थोड़ी ज़िद्दी हूँ मैं, हाँ स्त्री हूँ मैं

©Vinay Mishra #stree
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Vinay Mishra

सिर्फ एक कप चाय पीने वाली स्त्री का नाम क्या होगा? 
दिमाग लगाए और बतायें.....

©Vinay Mishra
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Vinay Mishra

White एक दोस्त ने कहा, "यार कहीं भी जाओ, ये महिलाएं तैयार होने मे बड़ा समय लेती है! "
मैंने कहा, "समय लेती है तो क्या हुआ,
 सबसे अलग सबसे सुंदर भी तो दिखती है, 
मर्दों का क्या है,कोई भी फंक्शन हो,
 हर जगह सब एक जैसे लगते हैं

©Vinay Mishra #good_night
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Vinay Mishra

जिम्मेदारियों का बाजार कब बीचोंबीच बीच खड़ा हो गया
पापा के बीमार होते ही एक दिन में उनका ये बेटा बड़ा हो गया

©Vinay Mishra
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Vinay Mishra

White अज्ञानता के अंधेरे में था
ज्ञान की रोशनी मे ला दिया
भटक गया था जो राहों में 
मुझको मुझसे से ही मिला दिया
क्या खूब पाया मैंने आप जैसा गुरु
मुझे आदमी से इंसान बना दिया

©Vinay Mishra #guru_purnima  प्रेरणादायी कविता हिंदी

#guru_purnima प्रेरणादायी कविता हिंदी

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Vinay Mishra

White मामा के ना फूफी के
ये है भैया UP के
@
election results
#अयोध्या

©Vinay Mishra #election_2024
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Vinay Mishra

White यूँ तो अलार्म घड़ी मुझे 6 बजे जगा देती हैं
पर ये जिम्मेदारियां मुझे 5 बजे ही उठा देती हैं
आँखों में नींद, चेहरे पर उदासी लिए किचन में जाती हूँ
पर बेटी की मासूमियत मुझे हँसा देती हैं
मन तो करता है कि आज स्कूल ही ना जाऊँ, 
घर ही रहू और थोड़ा आराम फरमाऊँ, 
कुछ सुकून के पल खुद के लिए निकालू
कुछ अच्छा सा बनाउ और खा के सो जाऊँ, 
पर स्कूल की घंटी मुझे ख्वाब से जगा देती हैं
थक जाती हूँ रोज़ बच्चो को पढ़ाने मे
थोड़ा सुकून तो मिले खाना खाने मे
पर खाली क्लास की चिंता मुझे क्लास में बुला लेती हैं
घर पहुँचती हूं ऑटो में धक्के खाते खाते
काश पतिदेव आज एक चाय ही पिला दे
पर बच्चो के होमवर्क की टेंशन उनकी किताब खुलवा देती हैं
अब रात को खाने मे क्या बनाऊँ, 
पहले दूध गर्म करू या पहले बर्तन धो जाऊँ
इसी उधेड़बुन मे दाल कुकर की सीटी बजा देती हैं
आखिर कब जिउगी खुद के लिए, 
कब खुद के लिए कुछ कर पाउंगी
यही सोचती रहती  हूं, लगता हैं आज सो ना पाउंगी
पर सुबह जल्दी उठने की चिंता मुझे जल्दी सुला देती हैं
यूँ तो अलार्म घड़ी मुझे 6 बजे जगा देती हैं...............

©Vinay Mishra #sunset_time
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Vinay Mishra

White आसमान से मानो आग बरस रही है
भट्टियों सी ये दीवारे तप रही है
कैसे बिता लेती हैं वो घंटों किचन में
सिर्फ वो जानती हैं कि रोटियां कैसे बन रही है
कभी हसती है कभी मुस्कुराती है
अपना गुस्सा सिर्फ आटा गूथने मे दिखाती है
कितनी भी थकी हो, बीमार हो
 ये खाना सबको बड़े प्यार से खिलाती है
सबको बेतहाशा गर्मी लग रही है
तवे पर बेचारी उंगलियाँ जल रही है
कैसे बिता लेती हैं वो घंटों किचन में
सिर्फ वो जानती हैं कि रोटियां कैसे बन रही है
गर्म खाने की सबकी ख्वाहिश रहती है
बच्चो की अलग ही फरमाइश रहती हैं
वक़्त तो लगता हैं सबको खुश करने मे
काम जल्दी से निपटे उसकी कोशिश रहती हैं
किचन मे AC/कूलर की कमी खल रही हैं
पलको पर पसीने की बूँदे चल रही है
कैसे बिता लेती हैं वो घंटों किचन में
सिर्फ वो जानती हैं कि रोटियां कैसे बन रही है

©Vinay Mishra #wo
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Vinay Mishra

White चर्चे मेरे कम है, 
सबसे आखिर में अपने नाम आते हैं
हाँ, बुरे है हम
क्योंकि बुरे वक़्त मे काम आते है

©Vinay Mishra #SAD
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Vinay Mishra

थोड़ा सुकून थोड़ा आराम दिला देती है
ये चाय की चुस्की, मेरा दिन बना देती हैं

©Vinay Mishra #GingerTea
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