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indreshdwivedi1489
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Indresh Dwivedi

मेरा परिचय मेरे शब्दों में यूं तो अक्सर ही मैं बस प्रेम गुनगुनाता हूं कभी कभी सामाजिक मुद्दे भी उठता हूं आवाज को अपनी मैं अपना हथियार बनाता हूं और गुस्से को अपने मैं अपनी कविता में गाता हूं!!

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Indresh Dwivedi

White बड़ा ही फर्क है तेरे और मेरे मिजाज में
तुझे भीड़ पसंद है और मुझे तन्हाई, तुझे दिखावा और मुझे सच्चाई, तुझे सिर्फ बोलना और मुझे सुनना, तो, तू खुश रह अपने इस झूठे जहान में
और मैं तो हूं एक आवारा बादल जो हमेशा उड़ता रहेगा आसमान में!!

तुझे पसंद हो बेशक भीड़ और लोगो में मशगूल हो जाना पर मुझे ये सब बेमानी सी लगती है
और चार दिन पहले तो लगा था कि तू अपनी है मेरी आज ना जाने क्यों तू बेगानी सी लगती है
तेरी बातें, तेरी हसीं तेरे नखरे सब अब फरेबी से लगने लगे है
तू साथ होकर भी अब अनजानी सी लगती है!!



कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi #love_shayari
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Indresh Dwivedi

शहीदें आजम भगत सिंह जी की जयंती पर मेरे श्रद्धा सुमन के कुछ शब्द:

उम्र मात्र ही तेईस की थी और वो देश धर्म पर फूल गया
आजादी का वो दीवाना इश्क मोहब्बत भूल गया
मिले आजादी भारत मां को बस ऐसी उसकी मंशा थी
और हमारी आजादी के लिए हमारा भगत सिंह फांसी पर झूल गया!!

अगर चाहता तो वो भी सिगार पी सकता था
अंग्रेजो की महफिल में वो भी शराब पी सकता था
लेकिन हमको जगाने को अपना बलिदान दिया उसने
चाहता तो पीकर बकरी का दूध वो अनशन भी कर सकता था!!

लेकिन वो तो मतवाला था, भारत मां का रखवाला
आजादी का दीवाना था वो सारे जग से बेगाना था
प्राण निछावर करके उसने हमको आजादी दे डाली
ऐसा मेरा भगत सिंह निराला था!!


कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi #शहीद_भगत_सिंह #जन्म_जयंती
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Indresh Dwivedi

White अहिंसा परमो धर्मस्त्थाहिंसा परो दमः |
अहिंसा परमं दानम् अहिंसा परम तपः ||
अहिंसा परमो यज्ञस ततस्मि परम फलम् |
अहिंसा परमं मित्रम अहिंसा परमं सुखम् ||

यह श्लोक महाभारत, अनुशासन पर्व, अध्याय 117 – दानधर्मपर्व में लिखा गया है। इसका अर्थ इस प्रकार हैः-

इसका अर्थ है की अहिंसा ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है | वही उत्तम इन्द्रिय निग्रह है | अहिंसा ही सर्वश्रेष्ठ दान है , वही उत्तम तप है | अहिंसा ही सर्वश्रेष्ठ यज्ञ है और वही परमोपलब्धि है | अहिंसा ही परममित्र है , और वही परम सुख है |

लेकिन जब धर्म की रक्षा की बात आती है तब एक और श्लोक भी कहा गया है

"अहिंसा परमो धर्मः, धर्म हिंसा तदैव च l" 

अर्थात - अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है.. किन्तु धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है.

साथ ही अहिंसा सर्वश्रेष्ठ यज्ञ तभी होता है जब उसमे अवश्यकतानुसार हिंसा रूपी हव्य डाला जाये......तभी वह परमोपलब्धि पूरक है।

©Indresh Dwivedi #Krishna
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Indresh Dwivedi

शीर्षक : दिल और जज़्बात

कुछ दिन पहले ही आयी थी दिल में मेरे एक बात 
कैसे उसको मैं सुनाऊँ अपने दिल के जज़्बात
दिल ये डरता बहुत है कुछ भी से खोने से अब 
बस यही सोचने में  बीत गयी पूरी रात !!

रात बीति तो फिर नव सवेरा हुआ 
एहसास हल्का जो था आज गहरा हुआ 
चित ये खोया मेरा है फिर वर्षों के बाद 
साँस थम सी गयी है दिल ये ठहरा हुआ !!

ठहरे दिल में उठा है फिर से बवंडर कोई 
दिल ये पहले तो था जैसे खंडहर कोई 
उसकी सूरत तो है मेरे दिल में बसी
कैसे उसको बताऊँ बता दो कोई!!

बात दिल की उसे है बतानी मुझे 
कहानी प्रेम की अपने है सुनानी मुझे 
हाल उसके भी है मेरे जैसे ही या 
बात दिल की हाँ उसके जाननी है मुझे !!

ग़र जो दोनो के दिल के ये जज़्बात हो 
दिल में दोनो के ही एक ही बात हो
तो कोई ऐसा करम मुझपे करना हे श्याम 
साथ उसके ही अब मेरे जीवन की हर एक रात हो!!


कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)
दिल्ली

©Indresh Dwivedi #मेरी_कलम_से✍️

मेरी_कलम_से✍️ #कविता

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Indresh Dwivedi

White एक जिद है तुझे पाने की, तेरे ख्यालों में खो जाने की, तेरी आंखों में डूब जाने की, तेरे साथ लड़ने की, फिर तुझे मनाने की, अपना तुझे बनाने की, तेरे साथ जिंदगी बिताने की, हां एक जिद है मेरी तुझे पाने की!

तेरे आगोश में सो जाने की, तुझे सीने से लगाने की, तेरी बातें सुनने की और अपनी सुनाने की, तेरी नींदें चुराने की, तेरे दिल में समाने की, तुझे थोड़ा सताने की और तेरे साथ दुनिया बसाने की, हां एक जिद है मेरी तुझे पाने की!!

तुझे मंगलसूत्र पहनाने की, तेरे हाथ में मेरे नाम का कंगन हो और पांव में पायल बांधने की, तुझे चूड़ियां दिलाने की, तेरी मांग सजाने की और तुझे अपनी दुल्हनियां बनाने की, हां एक जिद है मेरी तुझे पाने की!!



कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi #love_qoutes  प्यार पर कविता

#love_qoutes प्यार पर कविता

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Indresh Dwivedi

सारे जग से न्यारा है, वो शख्स बहुत ही प्यारा है
मम्मी पापा का राजदुलारा, बहनों की आंख का तारा है
अपनी पत्नी और बच्चो का वो इकलौता एक सितारा है
और मेरी तो सारी दुनिया है वो ऐसा भईया हमारा है!!

मेरी ताकत मेरी हिम्मत, मेरे भईया से ही मेरी हस्ती है
भईया से ही है सारी खुशियां मेरी, मेरे भईया में मेरी जान बसती है
आज जन्म दिन है मेरे भईया का तो सोचता हूं क्या उन्हे उपहार दूं
भईया की एक मुस्कान के आगे तो यारों दुनिया की हर चीज  सस्ती हैं!!



भगवान मेरे भईया को कभी कोई गम ना दे, मेरे भईया को मेरी भी उमर लगे
बस इन्ही दुआओं के साथ भईया आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏❤️🙏💐🎂🥳🎉

©Indresh Dwivedi #कविता_जन्मदिवस
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Indresh Dwivedi

25 जून हमेशा से रहा है मेरे जीवन का सबसे खास दिन
क्यूंकि ये है आप दोनो के विवाह, प्रेम और अटूट साथ का दिन!!

अगर 25 जून 1975 को रब ने आप दोनो को मिलाया ना होता
तो हमने आप जैसे मां पिता को पाया न होता!!

जीवनभर हमे मिलती रहे आपके आशीर्वाद रूपी मिठाई
मम्मी - पापा आप दोनो को 49वीं वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक बधाई!!



आपका बेटा:

कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi #happY_anniversary Mummy Papa🎂❤️😘🥳💐❤️

#happY_anniversary Mummy Papa🎂❤️😘🥳💐❤️ #कविता

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Indresh Dwivedi

प्यार का दर्द मुझको हां ऐसा मिला, मैने चाहा जिसे उसने मुझको छला 
प्यार की कसमें सारी वो झूठी हुई
उसने मुझको ठगा और ठगती रही!

दिल से मैने निभाई थी रस्में सभी
सारी कसमें और वादे निभाता रहा
मूंद कर आंखे जिसपर भरोसा किया
धूल आंखो में वो मेरे भरता रही!

सात जन्मों की खाई थी कसमें कभी 
सात वचनों से जोड़ा था बंधन वही
सात फेरों में समेटा था संसार को
सात कदम भी वो चल ना सकी साथ में!

खाकर धोखा मैं ऐसा गिरा हूं सुनो लाख बहलाऊ दिल ये बहलता नहीं 
टूटकर मैं था एकदम बिखर सा गया, चोट ऐसी लगी जख्म भरता नहीं !

मैं उसका होता गया वो मेरी बन ना सकी प्यार का ये सबक मैं अबतक भुला नही
मैने उसको दिया उसके हिस्से का प्यार
इसका अंजाम धोखा है ये मुझको खबर थी नहीं!!


कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi #Broken💔Heart #Like #share #Comment #Support
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Indresh Dwivedi

वो हाथ जो आज कांपने लगे है कभी उन्होंने ही हमे चलना सिखाया था
अपना सब कुछ लुटाकर उन्होंने ही तो हमे उड़ना सिखाया था
खर्च करदी पूरी जवानी अपनी हमारे लिए
और वही कामयाब बेटा बोलता है कि कुछ खास नही किया तुमने तो बस अपना फर्ज निभाया था!!

दो जोड़ी कपड़े में एक बाप ने बिता दिए कई साल
यहां तक कि औलाद की खातिर बेच दी उसने अपनी खाल
और बड़ा होने के बाद बेटा गिरगिट सा एकदम बदल गया
बूढ़ा बाप लगने लगा उसे अब जी का जंजाल!!

लेकिन सुनो ये बर्ताव तुम्हारा सही नही है
माता पिता के सिवा जीवन का कोई आधार नहीं है
और करोगे बुजुर्गो की इज्जत तो तुम्हारा भी सम्मान बढ़ेगा
दादा दादी की सेवा से बढ़कर जीवन में कोई और संस्कार नही है!!

वक्त अभी है प्यारे तुम इतनी बात मेरी मानो
ज्यादा ना उड़ो आसमान में अब जमीं पर वापस आओ
और पकड़ लो उन झुर्रियों भरे हाथो को मजबूती से तुम
करो सेवा बुजुर्गो की अपने और अपना जन्म सुधारो!!

क्यूंकि घर में बैठे बुजुर्ग वटवृक्ष के समान होते है
सदा चाहते है वो भला तुम्हारा और अपना आशीष देते है
बुजुर्गो से ही है मिलती है परवरिश वही तो  हमे अच्छे संस्कार देते है
और जो नही करता सम्मान अपने बुजुर्गो का, खुद भगवान उन पापियों को दुत्कार देते है!!



कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi #बुजुर्गो_का_सम्मान_करो
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Indresh Dwivedi

श्रीकृष्ण सा श्यामल रंग और नटखट अदाएं
उसकी मुस्कान सबके दिल को लुभाए
कोई और नही वो है भांजा मेरा, मेरे जिगर का छल्ला
रब करे उसको मेरी भी उम्र लग जाए!!



जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं मेरे लाडले 🎂🥳🎂❤️💐🎉

©Indresh Dwivedi #Happy_Birthday_bhanje🎂🎂🎂🥳🥳🎁😘❤️🎉🥳💐🥳

Happy_Birthday_bhanje🎂🎂🎂🥳🥳🎁😘❤️🎉🥳💐🥳 #शायरी

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