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सुरेश सारस्वत

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सुरेश सारस्वत

नवरात्रि पर्व पर सभी मित्रों को शुभ कामनाएँ "माँ" के प्रति अपने  भावों के साथ 
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माँ सुनो ....माँ सुनो ........द्वार तेरे मैं खड़ा 
प्रार्थना आराधना के लिए दीप तेरे मैं खड़ा ।

तू ही दुर्गा,तू ही लक्ष्मी तू ही माँ सरस्वती 
दरस अंतर देती तू जब कृपा बन बरसती 
देख  आँखें माँ मेरी  तेरे दरस को तरसती 
सुर स्वरों में लिए तुझे माँ द्वार तेरे मैं खड़ा 

नाम तेरे हैं सहस्त्र, पर मैं तो जानूँ एक नाम 
होता है सब दरस जब मैं पुकारूँ माँ ही नाम 
प्रेम, करुणा,स्नेह ,ममता तुझसे है तेरा नाम 
सिर पे रख दे हाथ माँ कब से झुकाये मैं खड़ा 

अद्भुत अलौकिक रूप तेरे देखता अंतर में जब 
नयन भरे भरे नेह जल बहती है तू माँ गंगा बन 
मूढ़ हूँ ,अज्ञानी मैं,आलोक उज्जवल मन में भर 
सब तिमिर अंतर के काट  माँ द्वार तेरे मैं खड़ा

©सुरेश सारस्वत #Navraatra
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सुरेश सारस्वत

White खुद में उतरकर जब भी मिला हूँ 
खुद से ही मैं सबसे ज्यादा डरा हूँ

वक़्त ने है दिखाया जब भी आइना 
खुद से अक्सर मैं छिपता फिरा हूँ

सच है यही रोशनी जब भी उतरी
बनकर परछाई मैं खुद से घिरा हूँ 

नहीं काफ़िलों में मिले हमसफ़र हैं 
सफ़र में अकेला मैं तन्हां चला हूँ

पुरानी सी बस्ती में बिखरी हैं यादें 
कि जैसे पुराना सा खंडहर बना हूँ

©सुरेश सारस्वत
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सुरेश सारस्वत

White मैं खुली आंखों के सच को बोलने से डरता हूं
मैं आंखें बंद करके मौन ध्यान में भी विचलित रहता हूं
मेरा भय मेरे अंतर में पसरा हुआ है
मेरा विश्वास भी अंतर में मौजूद है
यदा कदा विश्वास से भय भयभीत हो जाता है
यही वो क्षण है जब मन अपनी ताकत को स्वयं में देखता है
यही वो क्षण जब चेतना का स्पर्श बिजली की तरह रगों में दौड़ता है
 एक बड़ा बदलाव अंतर में प्रकट होता है 
मन उत्तिष्ठत जाग्रत की चेतना बन जाता है 
 सच निर्भीकता से अपने गंतव्य को स्पष्ट कर देता है
 विश्वास निर्भीकता को पोषित करता है 
मौन ध्यान में विश्वास खिलता है

©सुरेश सारस्वत #  आज का विचार

# आज का विचार

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सुरेश सारस्वत

White 

सहज मिल रही है खुशी 
बेशकीमत है ....
मगर एहसास नहीं ... 
कोई परोस कर दे 
इसका इंतज़ार है ....
नियति ...ये प्रश्न है तुमसे ....

कब तक सहज बिखरी खुशी से...
ऐसे मिलेंगे हम 
क्या ये इंकार नहीं ...
कहीं ऐसा ना हो 
कोई परोसे इस इंतज़ार में 
कोई और बटोर ले....  
खुशी मेरी-तेरी नहीं होती... 
एहसासों में ढालना पड़ता है ...  
खुशी की भूख चमकती है... 
इच्छाएँ ठुमकती हैं ....
एहसासों के हाथ खुद-ब-खुद उठते हैं ...  
दूर-सुदूर गाँव से 
ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से 
लहराती नदियों से 
उछलती लहरों से 
शांत किनारों से 
बहती हवाओं से 
नियति ये हैं सारे तुम्हारे ही इशारे ... 

और कभी-कभी 
जो आस-पास है 
जिसके नाम है खुशी 
वो ही अनजान है 
क्यों...होता है ऐसे 
नियति ... ये तुमसे प्रश्न है

©सुरेश सारस्वत
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सुरेश सारस्वत

White नश्वर देह .... 
चंचल मन ....
अजर आत्मा ...
अनंत आँखें .... 
देखती हैं बस ....
बस एक रूप ....दृश्य लावण्य रूप 
लुप्त चैतन्य ...
उन्मुक्त भाव ...
भागते हुए दूर अनन्यता से ...
भटकते हुए मोहजाल में ...
लिपटे हुए दृश्य-रंग से ....
रिक्त...रिक्त....कुछ भी लब्ध नहीं ....
लिप्सा बढ़ती हुई अमर बेल सी ...
लालसा चढ़ती हुई अमर कि कामना संग ...
 ढूंढते हैं सत्य-रूप ... 
क्या है यही जीवन सच ...
हर पल ...भ्रमित ओढ़ते हुए 
कुछ नया वरण-आवरण ...
ये कैसी यात्रा ...
ये कैसा स्वरूप ...
है प्रभु ....दे मुझे बस ...
शून्य....शून्य....शून्य स्वरूप....

©सुरेश सारस्वत #sad_shayari
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सुरेश सारस्वत

White इक नज़्म 

हर सहर फ़रमान है
मन जागा पूरी रात है
एक ही अरमान है ...
एक ही जज़्बात है...
नए जागे जागे ख्वाब है...२
Hmm hmm hmm hmmm
अज़ान की आवाज़ से
नए गूंजते अल्फ़ाज़ है
उतर उतर गहरे उतर
ठहर ठहर रूहे बसर
जगा रहे नए ख्वाब है...२
Hmm hmm hmm hmmm...
बदल गई नज़र नज़र
क्यों है भरम पूछे करम
इमरोज़ की आंखे भरी
माजी की हर इक बात से
भीगे हुए सब ख्वाब हैं...२
Hmm hmmm hmmm hmm...
पंख अब खुलते नहीं
अर्श अब झुकते नहीं
मेरी ज़मीं मुझे पूछती
कहां खो गई परवाज़ है
किससे जुड़े नये ख्वाब है...२
Hmm hmmm hmmm hmm...

©सुरेश सारस्वत #GoodMorning
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सुरेश सारस्वत

जादुई ही सी होती है मुस्कान 
खुशियाँ घोल देती है मुस्कान

ख्वाब लेकर उड़ती आसमान में 
परवाज खोल देती है मुस्कान

लगती दूर-दूर सी,है मगर करीब 
एहसास को बोल देती है मुस्कान 

घण्टियों सी गूंज अनहद में सुनो 
सहज रिश्ते जोड़ देती है मुस्कान 

रूह में रहे बस्तियाँ ऐसे जवाँ
रूह को टटोल लेती है मुस्कान

©सुरेश सारस्वत #मुस्कान
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सुरेश सारस्वत

White मैं तो पी जाऊंगा दश्त-ए--खामोशी अंदर 
मेरे अंदर भी है एक प्यासा सूखा सा समंदर 

वो जो लहरों के संग आई हैं सीपिया बह कर 
देख साहिल गौर से कितना संग भरा समंदर  

मेरी आंखो में भी बहती है एक प्यासी नदी 
कौन जाने मैं हूँ किस नदी की  प्यास का समंदर

 तय है मिलना अब हमें इस बात का पूरा यकीन 
रिश्ता कुछ ऐसा जुड़ा बन गया सहरा समंदर

वक्त सबको दिखलाता है अपना हसीं मिजाज़
किस्से कहानियों में अक्सर बहा है तन्हा समंदर

©सुरेश सारस्वत #good_morning_quotes
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सुरेश सारस्वत

White एक एहसास है ...
एक ख्वाब है ....
कह रहा है ... रखना ...रहना साथ  
अपने घर में ... घोंसले में ... 
संभालना...बिखरे नहीं ... 
आंधियों से...हर मौसम में 
बांधे है विश्वास हैं तिनको को ..
बिखर जाते है बंधन कभी-कभी ...
गिर जाते है तिनके हवाओं से 
पकड़ो ताकत हवाओं से 
जोड़ो हिम्मत भुजाओं में 
ज़ीना है साथ यही जज़्बा है ...
तिनका तिनका अपना है 
हर तिनका अपना सपना है

©सुरेश सारस्वत #love_shayari  हिंदी कविता

#love_shayari हिंदी कविता

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सुरेश सारस्वत

White सम हो षड्ज हो ज्ञान हो माँ तुम
हर सम ..सरगम गान हो माँ तुम

मीत मीत को सुनाऊँ गीत 
रीत रीत से निभाऊँ प्रीत 
सुर सब सधते तुझसे ही माँ
मीठे सुरों की तान हो माँ तुम
हर सम..सरगम गान हो माँ तुम

देख छवि माँ स्वप्निल तेरी
सजल झील हुई आंखें मेरी
सांस सांस की डोर है तू माँ
मान मेरा अभिमान हो माँ तुम
हर सम..सरगम गान हो मां तुम

स्पर्श है दर्शन नयन नयन में
चहुँ दिशा में अयन अयन में
अधर अधर  मुस्कान बनो माँ
भाव भाव में भान हो माँ तुम
हर सम..सरगम गान हो माँ तुम

रूप अनन्य नित्य स्वरूपा 
आदि अनन्त आनंद रूपा 
अचिन्त्य चिंतन चेतनरूपा 
शक्ति-भक्ति ध्यान हो माँ तुम
हर सम..सरगम गान हो माँ तुम

©सुरेश सारस्वत #love_shayari  प्रेरणादायी कविता हिंदी Maa पर कविता

#love_shayari प्रेरणादायी कविता हिंदी Maa पर कविता

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