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anandkumarashodh5037
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Anand Kumar Ashodhiya

Author, Writer, Composer, Blogger, Publisher

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Anand Kumar Ashodhiya

2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी 


नेक कमाई करिए बन्दे, ना कार कमाइए खोटी ।
चोरी का धन मोरी में जा, खाणी सैं दो रोटी ।।


तूं भी माटी तेरे तन पै माटी, सब माटी बीच समावै सै ।
सब कुछ माटी हो ज्या सै क्यूं, पाप की गठड़ी ठावै सै ।।
किसके लिए कमावै सै या, रिश्वत ले ले मोटी ।।


मैं मैं, मैं मैं, मेरा मेरी, मैं नस नस के म्ह समा गई ।
बेईमानी और अहंकार नै, नस नस के म्ह रमा गई ।।
तेरी बुद्धि पै रू जमा गई, देइ खेल समय नै गोटी ।।


इस काया का के करले जब, आग के बीच धकेली जा ।
जीव आत्मा सौंपी जा सै, के करले महल हवेली का ।।
कुछ बनै ना पिसे धेली का, जब चलै काळ की सोटी ।।


तूं नई योजना त्यार करै, वो पहलमै लिखकै धर रहया सै ।
गुरू पालेराम कै आनन्द शाहपुर, रोज हाजरी भर रहया सै।।
गुरू घणी सहाई कर रहया सै तूं, रच बड्डी या छोटी ।।


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©Anand Kumar Ashodhiya
  2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी #ragni #हरयाणवी #Haryanvi

2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी #ragni #हरयाणवी #Haryanvi #कविता

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Anand Kumar Ashodhiya

2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी 


नेक कमाई करिए बन्दे, ना कार कमाइए खोटी ।
चोरी का धन मोरी में जा, खाणी सैं दो रोटी ।।


तूं भी माटी तेरे तन पै माटी, सब माटी बीच समावै सै ।
सब कुछ माटी हो ज्या सै क्यूं, पाप की गठड़ी ठावै सै ।।
किसके लिए कमावै सै या, रिश्वत ले ले मोटी ।।


मैं मैं, मैं मैं, मेरा मेरी, मैं नस नस के म्ह समा गई ।
बेईमानी और अहंकार नै, नस नस के म्ह रमा गई ।।
तेरी बुद्धि पै रू जमा गई, देइ खेल समय नै गोटी ।।


इस काया का के करले जब, आग के बीच धकेली जा ।
जीव आत्मा सौंपी जा सै, के करले महल हवेली का ।।
कुछ बनै ना पिसे धेली का, जब चलै काळ की सोटी ।।


तूं नई योजना त्यार करै, वो पहलमै लिखकै धर रहया सै ।
गुरू पालेराम कै आनन्द शाहपुर, रोज हाजरी भर रहया सै।।
गुरू घणी सहाई कर रहया सै तूं, रच बड्डी या छोटी ।।


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©Anand Kumar Ashodhiya 2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी #ragni #हरयाणवी #Haryanvi

2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी #ragni #हरयाणवी #Haryanvi #कविता

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Anand Kumar Ashodhiya

चुनावी रागणी - शतुरमुर्ग*

विकास का मुद्दा ठावण आळी, वा पार्टी पड़कै सो ली 
जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली 

शाल दुशाले काम्बळ काळे, मनै धर लिए तह लगाकै
देशी इंग्लिश की पेटी भी, मनै धर ली गिणा गिणाकै
अरै वोट कितै और चोट कितै, मैं आग्या बटण दबाकै
नाच नाच कै ढोल बजाया, मनै पंगु सरकार बणाकै
इब शतुरमुर्ग की तरिया मनै, रेत में नाड़ गडो ली
जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली 

देख देख कै नोटां की तह, मनै मन की लौ बुझा दी 
अरै बेगैरत की ढाळ आत्मा, देकै लोभ सुवा दी 
ले ले कै नै नोट करारे, मनै बोगस वोट घला दी 
ज़मीर बेचकै सोदा पाड़या, बोटां की झड़ी लगा दी 
इब पछता कै के फायदा जब, पाप में टाँग डबो ली 
जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली 

कदे धर्म पै कदे जात पै, कदे माणस ऊपर हार गया 
कदे नामा कदे जड़ का सामा, वोट के ऊपर वार गया 
कदे इंग्लिश कदे घर की काढी, गळ के नीचै तार गया 
झूठ कपट बेईमानी का नश्तर, सबके भीतर पार गया 
सच की घीटी पै पांह धरकै, मनै पाप की गठड़ी ढो ली 
जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली 

सही समय पै सही माणस नै, चुणने में हम फेल रहे 
गुरु पालेराम की बोट की खातिर, बड़े बड़े पापड़ बेल रहे 
अपणी बात बणावण खातिर, झूठ बवण्डर पेल रहे 
पाप की लकड़ी, सच की गिंडु, टोरम टोरा खेल रहे 
"आनन्द शाहपुर" चेत खड़या हो, क्यूँ नाश की राही टोह ली 
जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली 

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©Anand Kumar Ashodhiya
  #हरयाणवी हरयाणवी रागनी चुनावी शतुरमुर्ग कविता व्यंग

#हरयाणवी हरयाणवी रागनी चुनावी शतुरमुर्ग कविता व्यंग

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Anand Kumar Ashodhiya

अशोक तंवर : चुनावी रागनी दोचश्मी 


औरत : श्री अशोक तंवर जी नै, पिया इब जितवावेंगे। 

पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥


औरत :  36 जातों का प्यारा, यो सबके हक दिलवा रहया 

पुरुष  :  सिरसा डिस्ट्रिक्ट तै, यो न्या का झण्डा ठा रहया 

पुरुष  :  मनै कसम तेरी खाली, इबकै हँगा लावेंगे।

पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥


औरत :  बे‌रोजगारी भत्ता, यो दस हजार मिलेगा 

पुरुष  :  हो घर घर एक नौकरी, भाई कोशिश यो करेगा 

पुरुष  :  बुर्जुग महिला पैंशन, पाच हजार दिवावेंगे।

पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥


औरत : राशन, गैस कनेक्शन, बिजली पाणी दे रहया

पुरुष  :  शिक्षा मुफ्त चिकित्सा, किसान मानधन दे रहया

पुरुष  :  एन पी एस के जरिए सबकी, पेंशन बंधवावेंगे।

पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥


औरत : कहै आनन्द शाहपुरिया, करो वोटा का जरिया 

पुरुष  :  करे हाथ जोड़ विनति, जितवादो इस बरिया 

पुरुष  :  गरीब किसान पिछड़ों की, आवाज उठावेंगे।

पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥


Anand Kumar Ashodhiya©2024

©Anand Kumar Ashodhiya #कविता

कविता

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Anand Kumar Ashodhiya

नहाकै ,आकै सिगरण लागी

चुटकी, बिछुएं ,पायल, पहरे पहर लिये पगपान
कडी  टणका छैल कडे था नेवरी पाती पर ध्यान
झाझन और कडुले पहरे शोभा बनगी बेअनुमान 

मगजी ऊपर पायपीन गोटा का किनारा चमकै
लाल लामन लगी हुई  रंग रंगीला न्यारा चमकै
काला दामन पहर रही सारा प्यारा प्यारा चमकै
घटा जैसे सामण मै छागी

तागड़ी का गुच्छा सटका चाल म्ह झंकारा लागै
झब्बेदार नाडा , कमरबंध का चमकारा लागै
नौ डांडी का बाजना जो बाजता भी प्यारा लागै

कुर्ता कुर्ति आंगी चोली का रंग गजब घाल रहा
गलसरी, कंढी,गल पटटी जुगनी का धमाल रहा
हंसली पतरी हार झालरा हमेल का कमाल रहा
कई माला थी मन को भागी

अंगूठी,वींटी,मूंदडी थे छाप और हथफूल पाती
छन्न कडे़,छन्न पछेल्ली ,गजरा गोखरु करामाती
चूडी,,चूडामणि कंगन फूंदा ,पौंची मन को भाती

डंडे बाली झुमकी लटकै जो  कानों का है सिंगार
नाक में नथनी सजाई मुखड़ा चंदा  सी उनिहार
ठीक बीच में टिकी आई काली भोहे बनी कटार
केश थे काले मांग जमागी

छाज ,बोरला,राखडी सिंगार पट्टी लग रही प्यारी
सितारे भी करै पलापल सिर क ऊपर चीर हजारी
काले सैंडल पहर  लिए पनघट की करली तैयारी

सिर के ऊपर दौघड़ धरी हाथ के में लिया डोल
केले कैसा गात लरजता पैरों मै बजती रमझोल
अशोक कुमार जाखड़ जो मर्द देखता रहा बोल
कोई हूर स्वर्ग की धरा पै आगी

©Anand Kumar Ashodhiya
  Haryanvi Ragni by Ashok Jakhad

Haryanvi Ragni by Ashok Jakhad #समाज

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Anand Kumar Ashodhiya

देश की बेटी म्हारी बेटी

तू किसके आगे हाथ जोड़ती, रो रो कर रही चीख पुकार 
लँगड़ा लूला पुलिस महकमा, आंधी बहरी है सरकार 

न्या मांगणिये बाड़े में बंद, आज भ्र्ष्टाचारी राज करैं  
जाँच कमेटी बिठा देइ न्या, करते करते आज करैं 
चौगिरदे कै पुलिस बिठया दी, ना क्याहे की ल्ह्याज करैं 
बब्बर शेर भी बेबस होग्ये, कित लग चिड़िया बाज मरैं 
देश की शान बढ़ावण आले, आज हो रहये सैं लाचार  

बिका हुआ दलाल मीडिया, चुपका सा तमाम होग्या 
आँख पे पट्टी मुँह पे टेप, सरकारी गुलाम होग्या 
यौन शोषण का दोषी आज, मीडिया का राम होग्या
दबंगई कर नेता बणग्या, न्यू समझे भगवान होग्या 
भाण और बेटी लगी दाँव पे, यो कौरव का दरबार 

कौम की बेटी इज्जत खातिर, रो रो कै नै डकराती    
जिगरे आले सत पुरुष ही, सच के बणैं हिमाती 
स्वाभिमान, ज़मीर की खातिर, हो वज्जर कैसी छाती
देश की बेटी, म्हारी धरोहर, इज्जत ही तो कहलाती 
ना जाति, ना प्रभुत्व भरो, इज्जत की हुंकार 

दागी नेता, भ्रष्ट प्रशासन, ना होती काररवाई 
न्या पावण की खातिर बेटी, भरती फिरें तवाई 
खरदूषण लाईलाज बीमारी, करणी पड़ै दवाई 
आनन्द शाहपुर उठ खड़या हो, क्यूँकर करै समाई 
दो हर्फी है माँग हमारी, हो खरदूषण गिरफ्तार    

रचयिता : आनन्द कुमार आशोधिया@कॉपीराइट

©Anand Kumar Ashodhiya देश की बेटी म्हारी बेटी - हरयाणवी रागनी। #हरयाणवी #हरयाणवी_रागनी

देश की बेटी म्हारी बेटी - हरयाणवी रागनी। #हरयाणवी #हरयाणवी_रागनी #कविता

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Anand Kumar Ashodhiya

हरियाणा संस्कृति का ह्यस

फेसबुक और इंस्टाग्राम पे, एक नया पुवाड़ा होग्या
रील बणावण के चक्कर में, यो देश उघाड़ा होग्या

भले घरां की बहू अर बेटी, आज रील बणावण लागी
अंग प्रदर्शन करैं, अर्धनग्न हो, वाह वाह पावण लागी
वक्ष दिखाके, नितम्ब हिलाकै, उरोज हिलावण लागी
कदे बन्द कमरे में कदे छात पे, खड़दम तारण लागी
लाज शर्म सब बेच कै खागी, यो घर घर राड़ा होग्या

आँख नचाके, मुँह बितराके, कामुक इशारे करण लगी
लाइक पावण के चक्कर मे, पींघ इश्क की भरण लगी
अंजाणे और गैर मर्द की, बाँहया के महँ तिरण लगी
सैर सपाटे गळ बंहिया हो, होटल मोटल फिरण लगी
इश्क का भाण्डा फूट गया फिर, घर मे खाड़ा होग्या

घर की भाभी, बहू गाम की, बणी सेटिंग और पटोले
भाण और बेटी फीम अर लाडू, इन कवियाँ ने कित रोले
गन्दी भाषा, गन्दा गाणा, द्विअर्थी मतलब टोह ले
स्याणा माणस शर्म के मारे, सिर धरती में गो ले
गायक नायक गीतकार सब, धन का लाड़ा होग्या

सभ्यता और संस्कृति का, हरियाणे में हयास हुया
डी जे आळे गाणे सुण सुण, नई पीढ़ी का नाश हुया
हास्य नाटक लाइव स्टैंडअप, सबका पर्दाफाश हुया
देख देख कै ढंग दुनिया का, एक नया आभास हुया
कहै आनन्द शाहपुर संस्कृति का, काम बिगाड़ा होग्या।
रचयिता : आनन्द कुमार आशोधिया@कॉपीराइट

©Anand Kumar Ashodhiya
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