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ahanaarchanapand8125
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ahanna archana pandey

writer, poet, blogger, magazine writer

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ahanna archana pandey

#nojatohindi #nojotoactors #TikTok
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ahanna archana pandey

मौन होना किसी के गुनाहों का प्रमाण नहीं होता
व्यक्ति तब भी मौन हो जाता है 
जब उसकी उम्मीदों को छला जाता है

©ahanna archana pandey #nojoto #sad_ #thought 

#nojohindi #SAD #thought
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ahanna archana pandey

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ahanna archana pandey

1.(  उम्मीद)



मई की शान्त सुबह , धूप अपनी चरम सीमा पर थी, किन्तु सुबह की शीतल हवाएं ताप पर एक आवरण बनी हुई थी, जिससे गर्म सुबह में भी एक राहत बदन को स्पर्श कर रही थी.  लेकिन मन में  कहीं न कहीं एक उदास पहर थी , चेहरे पर न तो हंसी की किलकारी थी, न ही उम्मीदों का शोर .  आँखो से अनवरत बहते आंसू दर्द को बयां कर रहे थे. उम्मीदों के काँच के समान टूटने का दर्द. 
कितना कठिन होता है न? उम्मीदों के वगैर जीना .
उम्मीद वो बीज होती है जो जीवन को मिठास से परिपूर्ण फल प्रदान करती है. यदि उम्मीदें ही काँच की तरह बिखर जाये, तो जिंदगी कितनी कड़वी हो जाती है न?  कोई मिठास ही नहीं बचता जीवन में . 
बिना उम्मीद के जीवन बेरंग लगने लगती है, जैसे बिना स्याही की कलम, बिना रंग के इन्द्रधनुष , बिना भाव की कविता.

खत में तो यही लिखा था शाहो ने " दिन निकलने से पहले गाँव के छोर पे आता मिलूंगा , दिन ढलने को है पर  शाहो का कहीं अता - पता ना है " शन्नो चिन्तन की सिलवटें माथे पर ओढे़ मैदान के खाली छोर पर ऊँचे वाले टिले पर बैठी उचक- उचक कर बार शाहो की राह ताकती . सुबह से वहाँ बैठी राह ताकती शन्नो का एक पहर बीत गया.

शम्भू काका, अपने गईयन की झुंड लेकर चरवाहन के साथ निकल पड़े थे. उस धूल भरी मैदान में एक सीध में जाती गायों  की झुंड एक रेखा सी बना रही थी मानों किसी ने मैदान के बीचोबीच एक सीधी लकीर खींच दी हो.  आंधियां भी जोर - शोर से चल पड़ी, धूल भरी आंधियां नीम व शीशम  के सूखे पत्ते तोड़ रही थी, प्रकृति से उलाहना सुनती ये आंधियां इन चरवाहो के लिये इनके गायों की आपूर्ति का एक साधन होती हैं.
शम्भू काका को मैदान में झरते दरख्तो को एकत्र करते देखकर , एक बार फिर शन्नो का मन अपने शाहो के पास लौट आया था.
उसकी बाट देखती आँखो में दस्तक दे रहा था दरख्त चुनता शाहो .
पहली बार उसकी भेंट शाहो से तभी तो हुई थी.
 वो कैसे चुन- चुन कर लकड़ियाँ इकट्ठी कर रहा था ताकि उन्हें जलाकर रोटियां सेकी जा सके, तभी शन्नो के हाथों के स्पर्श से वो थोड़ा सहम सा गया था.

 शन्नो भी तब हर रोज बापू के साथ लकड़ियाँ इकट्ठी करने यहाँ आया करती थी . शन्नो का पहला स्पर्श उसके दिल में उतर गया था और शन्नो की आँखो में शाहो की मनमोहक छवि,  पर न तो शाहो की जुबान से और न ही शन्नो की जुबान से परिचय के एक शब्द भी निकले थे. 
हर रोज शाहो अपने काका संग और शन्नो अपने बापू संग लकड़ियाँ बीनने आया करते थे, और हर रोज शन्नो के बापू और शाहो के काका के बीच मेल मिलाप हुआ करता .
समय बीतता चला जा रहा था धीरे- धीरे शाहो और शन्नो के मध्य भी नज़दीकियां बढ़ने लगी.
और उन  दोनों के मध्य बढ़ती नजदीकियों को देख एक रोज शन्नो के बापू ने शन्नो का ब्याह शाहो संग तय कर दिया.

शन्नो और शाहो अब ब्याह की तारीख आने तक एक- एक , दिन गिन रहे थे, उनके समाज में ब्याह से पूर्व दूल्हा , दुल्हन का एक - दूसरे से मिलने का रिवाज बिल्कुल भी न था इसलिए जब तक ब्याह न हो जाए तबतक मिलने की मनाही थी.

दूसरी ओर गाँव वाले आपस में काना- फूसी करते रहते, " देखो लाज , हया तो बची ही ना आजकल के लोगों में बालक आपस में स्वयं ही ब्याह के लिए ढूंढ ले रहे और घर वाले जाकर रिश्ता कर दे रहे" राम जाने आगे कैसा युग देखने को मिले " .

किन्तु इन वाक्यो से न तो उन दोनों को कोई फर्क पड़ता और ना ही उनके परिवारो को, अपितु दोनों का परिवार बेहद प्रसन्न था उस रिश्ते से " कहते हैं न लोगों का काम है ईर्ष्या करना , संसार सुखी हो ये सब चाहेंगे किन्तु उनसे अधिक सुखी हो ये कोई नहीं चाहेगा, अच्छा व बुरा हर प्रकार से एक दो लोग कुछ न कुछ कहने वाले मिल ही जाएंगे " ये कहावत शन्नो और शाहो के घर वाले भली भांति जानते थे इसलिए वो मौन अपने बच्चों की खुशियाँ बटोर रहे थे.

जैसे- तैसे दिन गुजरे व दोनों का ब्याह धूमधाम, गाहे- बजाहे हो गया.
शन्नो व शाहो के घर सुख- समृद्धि का भरपूर आनन्द था.
एक दिन शाहो ने कहा " शन्नो कब तक हम काका के कमाई पर निर्वाह करेंगे ? " मैं कुछ दिनों के लिए शहर होके आता हूँ, देखूं कोई काम- धन्धा मिल जावे" .
शन्नो बोली " तो मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी , तुम्हारे बगैर ना रहा जायेगा मुझसे ". 
अरे! पगली मैं कोई हमेशा के लिए थोड़ी ना जा रहा , मैं एक महीने के भीतर लौट आऊंगा, शन्नो को समझाकर शाहो कैसे शहर चला गया था.

एक महीने क्या पूरा एक वर्ष होने को जा रहा था किन्तु शाहो अब तक अपने गाँव से दूर था उस अजनबी शहर की भीड़ में , हर महीने उसका एक खत डाकिया शन्नो की चौखट पर छोड़ जाता , बड़े चाव व उत्साह से शन्नो जब उस खत को खोलती तो उसमें हर बार वापस आने की बात को लेकर टालमटोल लिखा होता था.
शाहो की राह देखते - देखते शन्नो की आशा अब फीकी पड़ने लगी थी.
अचानक एक रोज शाहो का तार आया , शाहो ने उसमें अपने आने की सूचना दी थी, शन्नो खुशी से बावरी हो गयी और सारे गांव वालों को घूम - घूम कर " कल शाहो शहर से वापस आ रहा है" बताने लगी.
आज सुबह से ही शाहो के इंतजार में शन्नो इस धूल भरे मैदान में उसकी राह ताक रही थी, तीसरा पहर बीतने को था अब बादल भी आसमान में घूमड़ा रहे थे .
शम्भू काका बारिश की आशंका जताते हुए दूर से ही चिल्लाये " अरी ! शन्नो लागत है अब तहार शाहो आज भी ना आएगा, मौसम बेहद खराब है लागत है तेज बारिश पड़ने वाली है तू घर लौट जा , आंधी बड़ी रफ्तार पे है ". 

शम्भू काका की चिंता को देखते हुए शन्नो ने भी  घर लौटने का मन बना लिया और उदास मन से उठ वो वहाँ से लौटने लगी.
अभी दो पग ही बौछार भरी धूल में पड़े ही थे कि शन्नो ने पीछे से किसी की आहट सुनी, उसे आभास हुआ जैसे पीछे शाहो खड़ा हो.
शन्नो खुशी से पीछे मुड़ी तो उसकी प्रसन्नता का ठिकाना न रहा, सिर पर सूती गमछा ओढ़े , एक लाठी पीठ पर रखे , सूती पतलून में कोई राहगीर शन्नो की ओर बढ़ता चला आ रहा था, ये कोई और नहीं बल्कि शन्नो का शाहो ही था. 
शन्नो की उम्मीद टूटते - टूटते बच गयी थी.


अहाना अर्चना पांडेय

©ahana archana pandey #No_1trenl
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#Memories  Yagyeshwar Vats One Wish Ikk Reejh Adhoori Junaid Ahmed Ansari लक्षित राहगीर pooja yadav

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ahanna archana pandey

कितना कठिन होता है न? 
उम्मीदों के वगैर जीना .
उम्मीद वो बीज होती है 
जो जीवन को मिठास से परिपूर्ण फल प्रदान करती है. यदि उम्मीदें ही काँच की तरह बिखर जाये, 
तो जिंदगी कितनी कड़वी हो जाती है न?  
कोई मिठास ही नहीं बचता जीवन में . 
बिना उम्मीद के जिदंगी बेरंग लगने लगती है, 
जैसे बिना स्याही की कलम,
 बिना रंग के इन्द्रधनुष , 
बिना भाव की कविता. #nojoto
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ahanna archana pandey

पत्थर  रगड़ कर माथे की लकीरें  चमकायी है
कांटो की सेज पे सपनों की बुनियाद बनायी है
 #nojoto

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ahanna archana pandey

जैसे दरिया के अंदर भी, सीप की मोती होती है
जैसे घर को किये रोशन, दीप की ज्योति होती है
जो कहते हैं परायी है, तो उनके भाग खोटे है
जाते खुल ताले किस्मत के जिनकी बेटी होती है
हम ही गंगा हम ही यमुना हम ही से सृष्टि है सारी
हम बेटी ठान ले तो अंतरिक्ष भी भेद आती हैं
न होती तो अगर बेटी, तो तुम भी शामिल होते क्या
जो बेटी हो मेरे जैसी, तो लेखक बन वो जाती  है #nojoto
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ahanna archana pandey

बेटी पूंजी परायी होती है ,धर के धीर वो आयी होती है
शर्म व लाज ,हया का घूँघट, हृदय में बसायी होती है
हर बेटी की है ये पुकार, करो मत पीडि़त बार बार
करती है जब वो पलटवार,अवतार लक्ष्मी बाई होती है #nojoto
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ahanna archana pandey

तुम सच कहते हो , मैं मात्र "कल्पना" हूँ  .....और स्वयं भी कल्पनाओं में ही जीती हूँ,... तुम्हारे प्रेम की कल्पनाओं में ꫰ जीवनरुपी सफर में संघर्ष का एक घना वन....जहाँ घनघोर अँधेरा था....वहाँ भी तेरे प्रेम की "रोशनी" के एक कतरे का आभास हुआ, और उस रोशनी के फैले जाल ने मुझे वो वन  पार कराया ꫰......तेरी क्षणिक यादों के मात्र स्पर्श मेरे प्यासे हृदय को तृप्त कर जाते हैं, तेरी कल्पनाओं से तेरे प्रेम की अनुभूति होती है ꫰ ....कल्पनाओं से ऊकरे तेरे प्रेम के एक एक शब्द ...दिल के पन्नों को फूलों की भाँति सजाते हैं, जिसकी खुशबू मेरे बदन से होकर तुम तक पहुँचती है....तभी तो तुम मेरी कल्पनाओं में जीते हो꫰ #nojoto
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